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UPPCL: गलत बिजली बिल की समस्या से मिलेगा छुटकारा, विभाग ने शुरू की OCR टेक्नोलॉजी से मीटर रीडिंग

केस्को ने उपभोक्ताओं को गलत बिलों से मुक्ति दिलाने के लिए ओसीआर (ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकॉग्निशन) तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया है। इस तकनीक से मीटर रीडिंग की फोटो कैप्चर कर बिल बनाया जाएगा जिससे मानवीय त्रुटि की संभावना नहीं होगी। अगस्त में 393901 उपभोक्ताओं के लिए ट्रायल सफल रहा और अब इसे जारी रखा जाएगा। इस पहल से केस्को के 7 लाख 43 हजार उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

By ritesh dwivedi Edited By: Abhishek Pandey Updated: Wed, 04 Sep 2024 09:52 AM (IST)
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर
रितेश द्विवेदी, कानपुर। बिजली के बिल गलत आने से उपभोक्ता परेशान होकर कार्यालय के चक्कर काटते रहते हैं। बिल गड़बड़ी के अभी तक अलग-अलग कारण सामने आए हैं। लेकिन सबसे ज्यादा रीडिंग सही नहीं होने की शिकायतें की गई। जिसके बाद केस्को ने बिलिंग व्यवस्था सुधारने के लिए ओसीआर (आप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन) टेक्नोलाजी के माध्यम से मीटर रीडिंग शुरू कर दी है।

ओसीआर से मीटर रीडिंग डिमांड की फोटो कैप्चर कर बिजली बिल बनेगा। जिसमें मानवीय त्रुटि की कोई संभावना नहीं होगी। अगस्त माह में केस्को ने ट्रायल के रूप में 3,93,901 उपभोक्ताओं के ओसीआर तकनीक से बिल बनाए। सकारात्मक परिणाम मिलने के बाद इसे आगे जारी रखने का निर्णय लिया गया है।

केस्को खर्च कर रहा एक करोड़ का बजट

केस्को बिलिंग व्यवस्था में सुधार के लिए एक करोड़ रुपये का बजट खर्च कर रहा है। बिलिंग का काम केटीएल कंपनी को सौंपा गया है। यह कंपनी ओसीआर तकनीक से बिल बनाना शुरू कर दिया है। अभी तक मीटर रीडर घर-घर जाकर उपभोक्ताओं के मीटर में केबिल लगाकर प्रोब बिलिंग में गड़बड़ी हो रही थी।

शिकायत मिलने के बाद केस्को ने जांच कराई, जिसमें पता चला कि सूर्य की रोशनी मीटर में पड़ने के कारण के रीडिंग सही से नहीं हो पाती। जिसके बाद बिलों में गड़बड़ी में हो रही है। जिसके बाद केस्को ने ओसीआर का ट्रायल शुरू कर दिया। इस नई व्यवस्था से केस्को के सात लाख 43 हजार उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

बीते वर्ष ओसीआर का ट्रायल लखनऊ में हो चुका है। जिसके बाद अब केस्को के अफसरों ने इसे लागू करने का निर्णय लिया गया है।

ऐसे होती है ओसीआर बिलिंग

ओसीआर बिलिंग में मीटर रीडर अपने मोबाइल के मौजूद ओसीआर ऐप के माध्यम से मीटर रीडिंग एवं डिमांड की फोटो कैप्चर करता है। इसके बाद रीडिंग की आंकलन करने के बाद एप के माध्यम से आटोमेटिक रीडिंग एवं डिमांड आ जाती है। बिल रीडिंग के अनुसार बन जाता है। इसमें मानवीय त्रुटि की संभावना नहीं रहती है।

बिल में गड़बड़ी के यह रहें मुख्य कारण

  • पूर्व में बिलिंग करने वाली कंपनी टीडीएस टेबिल बिलिंग करने से हुई गड़बड़ी।
  • मीटर रीडरों ने प्रोब रीडिंग ठीक से नहीं की।
  • नए साफ्टवेयर में डेटा ट्रांसफर से 25 हजार उपभोक्ताओं के बिल में हुई गड़बड़ी।
  • टीडीएस कंपनी का ठेका निरस्त और नए टेंडर की कार्रवाई के चलते रीडिंग समय पर नहीं हुई।
  • तीन हजार उपभोक्ताओं के मीटर खराब होने से बिलिंग सही नहीं हुई।
उपभोक्ताओं की बिलिंग की समस्या को खत्म ओसीआर बिलिंग शुरू की गई है। ओसीआर से रीडिंग को लेकर हो रही गड़बड़ी समाप्त हो जाएगी। अगस्त माह में ट्रायल के रूप में 80 प्रतिशत ओसीआर बिलिंग का ट्रायल सफल रहा है। सैमुअल पाल एन,प्रबंध निदेशक,केस्को

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