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गेहूं से महंगा मोटा अनाज, ठंड में होता ज्यादा इस्तेमाल, लेकिन गर्मी में बढ़ी हैं कीमतें

गेहूं से डेढ़ गुणा से ज्यादा महंगा इस समय ज्वार मक्का और बाजरा है। हालाकि इसका सर्दी में ज्यादा इस्तेमाल होता है। इसके बाद भी गर्मी में कीमतें बढ़ी हैं। अब बड़ी कंपनियां इन्हें मिलाकर महंगा आटा बनाने लगी हैं। इसलिए इनकी कीमतें गेहूं से ज्यादा हैं।

By Abhishek VermaEdited By: Updated: Fri, 10 Jun 2022 07:37 PM (IST)
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गर्मियों के सीजन में भी गेहूं से महंगा मोटा अनाज ज्वार, मक्का और बाजरा है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। मोटे अनाज सामान्यतौर पर गेहूं से सस्ते होते हैं। इस समय पिछले वर्षों के मुकाबले गेहूं की कीमत ज्यादा है, इसके बाद भी ज्वार, बाजरा और मक्का की कीमत उससे भी ज्यादा है। इनकी खपत सर्दियों में ज्यादा होती है, लेकिन गर्मियों में भी इनकी कीमतें बढ़ी हुई हैं।

गेहूं इस समय 2,050 रुपये प्रति क्विंटल के करीब बिक रहा है, जबकि ज्वार की कीमत करीब 3,500 रुपये है। इसमें भी पीले और सफेद ज्वार की कीमत अलग है। पीला ज्वार थोक बाजार में 2,500 से 2,600 रुपये प्रति क्विंटल बिक रहा है। वहीं, सफेद ज्वार की कीमत थोक बाजार में 3,500 रुपये प्रति क्विंटल है। कारोबारियों के मुताबिक ज्वार की उपज सामान्यतौर पर सबसे कम होती है और इस समय उपज और भी ज्यादा कम हो गई है। अब सर्दी में पीले ज्वार की कीमत 1,700 रुपये और सफेद ज्वार की कीमत 2,500 रुपये प्रति क्विंटल तक आ जाएगी। दूसरी ओर बाजरा की कीमत बढ़ते-बढ़ते 2,600 रुपये क्विंटल तक पहुंच गई थी। हालांकि, मक्का की कीमत गिरने से इस समय बाजरा की कीमत 2,150 रुपये प्रति क्विंटल तक आ गई है। मक्का की कीमत भी 2,600 रुपये प्रति क्विंटल से गिरकर 2,250 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है।

कीमत प्रति क्विंटल थोक बाजार में

गल्ला        कीमत

गेहूं        2,050

ज्वार        3,500

बाजरा        2,150  

मक्का        2,250

एक समय था जब ज्वार, बाजरा, मक्का मोटा अनाज होने की वजह से गरीबों का भोजन माना जाता था और इसकी कीमत बहुत कम थी, लेकिन अब बड़ी कंपनियां इन्हें मिलाकर महंगा आटा बनाने लगी हैं। इसलिए इनकी कीमतें गेहूं से ज्यादा हैं।  - विनोद गुप्ता, महामंत्री, कानपुर उद्योग व्यापार मंडल।

बाजरा मुर्गी दाना के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इसकी कीमत कुछ समय से लगातार बढ़ती जा रही थी, अब मक्का का भाव पहले से कम हुआ तो बाजरा की कीमतें भी कुछ कम हो गई हैं। लेकिन अभी भी ये गेहूं से ज्यादा हैं।- महेश गुप्ता, गल्ला कारोबारी।