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फर्जी आधार कार्डों से लगाया करोड़ों का चूना, अब शुरू हुई पड़ताल

रेलवे से मिले रिकॉर्ड की जांच में खुलासा होने पर वाणिज्य कर विभाग ने पड़ताल शुरू कराई है। अब विभागीय अधिकारी कर अपवंचना रोकने को हर तरह के माल की जांच कर रहे हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 13 Oct 2018 01:34 PM (IST)Updated: Sat, 13 Oct 2018 01:35 PM (IST)
फर्जी आधार कार्डों से लगाया करोड़ों का चूना, अब शुरू हुई पड़ताल

कानपुर(जागरण संवाददाता)। टैक्स चोरी करने वाले वाणिज्य कर विभाग को चूना लगाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। अब फर्जी आधार कार्ड और जीएसटी नंबर के जरिए कर अपवंचकों ने विभाग को करोड़ों की चोट पहुंचाई है। ई-वे बिल जेनरेट करने से बचने के लिए माल की कीमत ही कम दर्शा दी है। रेलवे से मांगे गए रिकॉर्ड की जांच में हकीकत सामने आने के बाद विभागीय अधिकारियों के भी कान खड़े हो गए हैं और पड़ताल शुरू कराई है।

वाणिज्य कर अधिकारी इन दिनों सेंट्रल स्टेशन पर ट्रेन से आ रहे माल की जांच में जुटे हैं। इसमें सामने आया कि लाखों के माल को पचास हजार रुपये से कम का बताकर बिना ई-वे बिल भेजा जा रहा है। इस पर अधिकारियों ने सक्रियता दिखाते हुए अगस्त और सितंबर माह का रिकॉर्ड रेलवे से मांगा। इसमें उस माल पर नजर रखी गई जो बिना ई-वे बिल आया और गया है। इसमें सामने आया कि आधार कार्ड नंबर लिखकर जो माल भेजा गया, उनमें से आधा दर्जन फर्जी हैं। माल जहां जाना था और जहां से भेजा जा रहा था इनके नाम पते भी गलत ही अंकित थे। सभी मामलों को जोड़कर तकरीबन 63 करोड़ रुपये के राजस्व की हानि का अनुमान लगाया जा रहा है।

दूसरे स्टेशनों पर उतर रहा माल

स्टेशन पर हर मिनट हो रही जांच देखते हुए कर अपवंचकों ने दूसरे स्टेशनों पर माल मंगाना और वहां से भेजना शुरू कर दिया। खासतौर पर दिल्ली से आने वाली कालिंदी एक्सप्रेस का माल कानपुर की जगह फर्रुखाबाद में उतारा जा रहा है। वहां से दूसरी गाडिय़ों से यहां लाया जा रहा है।

अब बरती जा रही सख्ती

अब वाणिज्यकर विभाग के अधिकारी हर तरह के माल की जांच कर रहे हैं। इससे 80 फीसद कर अपवंचना रोकने का दावा किया जा रहा है। अधिकारियों के मुताबिक रेलवे को साथ लेकर यह काम किया गया है। वाणिज्य कर विभाग के ग्रेड टू जोन वन के एडीशनल कमिश्नर आरके श्रीवास्तव का कहना है कि अगस्त, सितंबर में बिना ई-वे बिल भेजे गए माल की जांच में यह मामला सामने आया। इसकी जानकारी रेलवे को दी गई। साथ में मिलकर काम किया तो सितंबर के अंत और अक्टूबर की शुरूआत में 80 फीसद तक माल पर बिल मिलने लगा।


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