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Kanpur Fake Aadhar Case: जालसाजों का कारनामा, कानपुर के पते में असोम और छत्तीसगढ़ के गांव

कानपुर में फर्जी आइडी बनाकर सिमकार्ड खरीदे जाते थे। पुलिस को आरोपित शैलेंद्र के मोबाइल फोन से कई अहम जानकारी हासिल हुई है। इसमें असोम बिहार व पश्चिम बंगाल के 38 संदिग्ध नंबर मिले हैं जिन्हें ट्रेस किया जा रहा है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Mon, 14 Dec 2020 10:54 AM (IST)
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पुलिस को फर्जी आइडी मामले में कई सुराग मिले हैं।
कानपुर, जेएनएन। फर्जी आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज बनाने के बाद उनसे बड़ी संख्या में सिमकार्ड भी खरीदे जाते थे। साइबर कैफे के गिरफ्तार कर्मचारी शैलेंद्र साहू के मोबाइल फोन से पुलिस को यह अहम जानकारी मिली है। आरोपित असोम, पश्चिम बंगाल और बिहार के कई नंबरों पर लगातार बात करता था। पुलिस ने उन नंबरों का ब्योरा निकलवाया तो पता लगा कि सभी नंबर भी फर्जी आइडी लगाकर लिए गए थे। पुलिस करीब तीन दर्जन मोबाइल नंबरों की लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश कर रही है।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि आरोपित के फोन में 38 मोबाइल नंबर असोम, पश्चिम बंगाल और बिहार राज्यों के मिले हैं। ये सभी नंबर फर्जी आइडी पर प्री एक्टिवेटेड सिम जारी कराकर हासिल किए गए। माना जा रहा है कि ये सभी नंबर आरोपित के बाहरी राज्यों में मौजूद एजेंटों के हैं, जो उसे फर्जी प्रमाणपत्र बनवाने के लिए ग्राहक मुहैया कराते थे। पुलिस को कुछ आवेदनपत्रों में बाहरी राज्यों के मोबाइल नंबर मिले हैं।

थाना प्रभारी ने बताया कि आधार व अन्य दस्तावेजों को बनवाने के दौरान मोबाइल नंबर भी लिखना अनिवार्य होता है, इसलिए हो सकता है कि आरोपितों ने फर्जी आइडी पर जारी नंबर लिखे। यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इन मोबाइल नंबरों पर कितने दस्तावेज तैयार कराए गए? फर्जी दस्तावेज बनने के बाद उनके जरिए कितने फर्जी सिमकार्ड एक्टिवेट कराए गए?

असोम और छत्तीसगढ़ के गांवों को कानपुर में दिखाया

फर्जी आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज तैयार करवाने में आवेदक के पतों में भी खेल किया गया था। असोम, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल आदि राज्य के कई गांवों को कानपुर नगर का दिखाकर निवास प्रमाणपत्र बनवाए गए थे। पुलिस को प्रमाणपत्रों की जांच के दौरान इस बात का पता लगा है। पुलिस ने फरार चल रहे दिव्यांग सुनील पाल के साइबर कैफे से करीब एक हजार आवेदनपत्र, दो सौ से ज्यादा निवास प्रमाणपत्र, फर्जी आधार कार्ड व परिचय पत्र बरामद किए थे।

पुलिस ने जब इन सभी दस्तावेजों की जांच शुरू की तो पता लगा कि करीब 40 निवास प्रमाणपत्र एक ही रजिस्ट्रेशन नंबर पर बने थे। यही नहीं, उनमें लिखा पता भी पूरी तरह फर्जी है। निवास प्रमाणपत्रों में फर्जी पता अंकित करने के लिए आरोपितों ने असोम राज्य के गांवों और मोहल्लों को कानपुर में दिखाया था। उदाहरण के लिए असोम के चिरांग जिले के धालीमाओं गांव को कानपुर सदर तहसील के अंतर्गत दिखाया गया है। इसी तरह छत्तीसगढ़ के जगदलपुर को भी सदर तहसील में दिखाकर निवास प्रमाणपत्र बनाया गया है। थाना प्रभारी रवि श्रीवास्तव ने बताया कि बरामद हुए प्रमाणपत्रों की जांच की जा रही है।

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