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73 शस्त्र लाइसेंसों पर डीएम के फर्जी हस्ताक्षर, गायब फाइलें खोलेंगी कई राज Kanpur News

कानपुर कलेक्ट्रेट में फर्जी शस्त्र लाइसेंस जारी होने के मामले में जांच अधिकारी सीडीओ ने रिपोर्ट दी है।

By AbhishekEdited By: Updated: Wed, 21 Aug 2019 11:35 AM (IST)
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73 शस्त्र लाइसेंसों पर डीएम के फर्जी हस्ताक्षर, गायब फाइलें खोलेंगी कई राज Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। कलेक्ट्रेट के असलहा अनुभाग में तैनात लिपिकों ने शस्त्र लाइसेंस मंजूर कराने के लिए किस हद तक फर्जीवाड़ा किया, इसकी हकीकत अब सामने आने लगी है। लिपिकों ने एक या दो नहीं, 90 लाइसेंस मंजूर कराए, जिन पर डीएम के फर्जी हस्ताक्षर किए जाने की बात कही जा रही है। इनमें 73 लाइसेंस की बुकलेट जारी कर दी गई, 17 की बुकलेट जारी होने से पहले मामला पकड़ में आ गया। जो बुकलेट जारी हुई हैं, उन पर सिटी मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर हैं। गलत तरीके से मंजूर लाइसेंस की फाइलें ही गायब हैं। ये फाइलें किसके पास हैं, अभी इसका राजफाश होना बाकी है।

बुकलेट भी जारी कराई गई

लिपिकों पर आरोप है कि उन्होंने बड़ा खेल किया। फर्जी तरीके से फाइलें तैयार कर डीएम के फर्जी हस्ताक्षर किए और फिर सिटी मजिस्ट्रेट से बुकलेट जारी करा ली। सीडीओ अक्षय त्रिपाठी व एडीएम आपूर्ति डा. बसंत अग्रवाल की जांच में प्रथम दृष्टया पाया गया है कि फाइलें डीएम के यहां नहीं गईं बल्कि फर्जी तरीके से उनके स्कैन किए गए हस्ताक्षर का उपयोग होता रहा। फिलहाल दूध का दूध और पानी का पानी तब होगा जब लिपिक और उसके कारखास जितेंद्र (लिपिक के रूप में अवैध तरीके से कार्यरत) के बयान दर्ज हो जाएंगे। लिपिक विनीत ने जांच का आदेश होते ही जहर खा लिया है। इस वजह से उससे पूछताछ नहंी हो सकी है जबकि जितेंद्र फरार है।

स्कैन किए हुए हैं हस्ताक्षर

कलेक्ट्रेट में डीएम विजय विश्वास पंत, सीडीओ अक्षय त्रिपाठी और एडीएम सिटी विवेक श्रीवास्तव ने प्रेसवार्ता की। सीडीओ ने बताया कि एक जुलाई 2018 से 30 जुलाई 2019 तक जारी लाइसेंस का डाटा तैयार कराया था। 180 नए लाइसेंस जारी होने की बात सामने आई। 90 की फाइलें मिली हैं, इनमें गड़बड़ी नहीं है। 90 लाइसेंस की फाइलों की कोई जानकारी नहीं है। फर्जी तरीके से स्कैन किए हुए जिलाधिकारी के हस्ताक्षर फाइलों पर किए जाने की आशंका है। डीएम ने कहा कि जो भी दोषी होंगे, उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

तुड़वाई जाएगी अलमारी

जिलाधिकारी ने बताया कि लिपिक विनीत तिवारी के पास अलमारी की चाबी है। वह अभी अस्वस्थ है। अलमारी में अहम दस्तावेज हो सकते हैं। गुरुवार को उसका ताला तुड़वाया जाएगा। सीडीओ ने तीन दिन पूर्व ही अलमारी को सील कराया था।

रजिस्टर में दर्ज हैं 431 लाइसेंस

एक जुलाई 2018 से 30 जुलाई 2019 तक दस्तावेजों में कुल 431 असलहे दर्ज हैं। इनमें मृतकों के वारिसों को हस्तांतरित 78, विभिन्न कारणों से लाइसेंस धारकों से आश्रित को हस्तांतरित 84, नए स्वीकृत 180 लाइसेंस दर्ज हैं।

सिटी मजिस्ट्रेट बोले, फाइल देख किए हस्ताक्षर

सीडीओ ने बताया कि 73 बुकलेट में सिटी मजिस्ट्रेट के हस्ताक्षर हैं। इस संबंध में पूछे जाने पर सिटी मजिस्ट्रेट ने जवाब में कहा कि फाइल देखकर ही हस्ताक्षर किए हैं। संभव है कि फर्जीवाड़ा करने वालों ने जिलाधिकारी के स्कैन किए हस्ताक्षर का इस्तेमाल किया या फिर उनके ही फर्जी हस्ताक्षर तैयार कर दिए। इस संबंध में जब सिटी मजिस्ट्रेट रवि प्रकाश श्रीवास्तव से दैनिक जागरण ने संपर्क किया तो उन्होंने किसी भी प्रकार की टिप्पणी से इन्कार किया। कहा कि जो कुछ बात करनी है, जांच अधिकारी से करें।

रद किए जाएंगे फर्जी लाइसेंस

जिन 90 आवेदकों के नाम फर्जी तरीके से शस्त्र लाइसेंस स्वीकृत हुए हैं, उनको नोटिस दी गई है। उन्हें बुलाकर बयान दर्ज किया जाएगा ताकि यह पता चल सके कि उन्होंने लाइसेंस बनवाने लिए किन लोगों से संपर्क किया और कहीं किसी को कोई धनराशि तो नहीं दी। इन लाइसेंस को रद करने की तैयारी डीएम ने शुरू की है। असलहा अनुभाग के कंप्यूटर के हार्ड डिस्क और लिपिकों के ई-मेल की भी जांच कराई जा रही है।

कई लिपिकों के शामिल होने की आशंका

अधिकारी लाइसेंस फर्जीवाड़े में कई लोगों के शामिल होने की आशंका से इन्कार नहीं कर रहे हैं। उनका मानना है कि इस काम में कंप्यूटर में पूरी तरह से दक्ष लोगों का हाथ है। वही स्कैनिंग और हस्ताक्षर की कॉपी तैयार करा सकते हैं।

पुलिस से लिया जा रहा सहयोग

गलत तरह से लाइसेंस जारी होने के मामले में पुलिस का भी सहयोग लिया जा रहा है। एक टीम बनाई गई है जो बाहर से सारी गतिविधियों पर नजर रखी हुई है। साइबर एक्सपर्ट का सहयोग लिया जा रहा है। गलत तरह से जारी हुए लाइसेंस में रिवाल्वर की संख्या अधिक है। कुछ लोगों ने रायफल का लाइसेंस भी लिया है।

ऐसा बनता है शस्त्र लाइसेंस

जिलाधिकारी लाइसेंस स्वीकृत करते हैं। बुकलेट सिटी मजिस्ट्रेट जारी करते हैं। डीएम की स्वीकृति से पहले थाना प्रभारी, चौकी प्रभारी, सीओ, एसपी व एसएसपी की संस्तुति होती है। जिलाधिकारी के मुताबिक विरासत के तीन लाइसेंस की गड़बड़ी के मामले में लिपिक संजय श्रीवास्तव और मृत्युंजय के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जा रही है। उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हो गई है।

तीन तरह के फर्जीवाड़े की आशंका

शस्त्र लाइसेंस फर्जीवाड़े में अभी अफसरों को मास्टर माइंड की तलाश है। डीएम विजय विश्वास पंत और सीडीओ अक्षय त्रिपाठी ने तीन तरह के फर्जीवाड़े की आशंका जताई है। इसकी कडिय़ां जोड़कर असली गुनहगार तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। पहली आशंका है कि फाइल जारी ही नहीं हुई। दूसरी आशंका है कि फाइल बनी लेकर गलत हस्ताक्षर किए गए। तीसरी आशंका है कि फाइल बनी लेकिन, हस्ताक्षर को स्कैन किया गया। तीनों आशंकाओं की पड़ताल कराई जा रही है।

फाइल मिलते ही लगेगा सुराग

सीडीओ और एडीएम आपूर्ति बुधवार को असलहा अनुभाग में फाइलों की तलाश कराएंगे। इस काम में विकास विभाग के लिपिकों को लगाया जाएगा। सारे डाटा तैयार कराए जाएंगे। सीडीओ के मुताबिक गलत तरह से तैयार हुई बुकलेट की अगर एक भी फाइल मिलती है तो उसकी पड़ताल कराई जाएगी। उससे पता चल सकेगा कि आखिर किस तरह से फर्जीवाड़ा हुआ।

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