एंटी करप्शन टीम ने रंगेहाथ 10 हजार की रिश्वत लेते महिला लेखपाल को पकड़ा, फिर हुआ कुछ ऐसा हर कोई रह गया हैरान
उत्तर प्रदेश के कानपुर में भ्रष्टाचार का एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। श्यामनगर में एक महिला लेखपाल को दस हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया। हालांकि पांच घंटे तक चले घटनाक्रम के बाद रिश्वतखोर लेखपाल को क्लीनचिट दे दी गई। पीड़ित को रिश्वत की रकम भी वापस कर दी गई। इस मामले ने विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर। भ्रष्टाचारी सरकारी कर्मचारियों को पकड़ने वाला महकमा खुद भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। शिकायत मिलने के बाद मंगलवार को विभाग के अधिकारियों ने श्याम नगर में एक महिला लेखपाल को दस हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़ा। मगर, पांच घंटे तक चले घटनाक्रम के बाद रिश्वतखोर लेखपाल के साथ सांठगांठ करते हुए उसे क्लीनचिट दे दी।
मामले को दबाते हुए पीड़ित को रिश्वत वाली रकम भी वापस कर दी गई। महिला लेखपाल ने जमींदोज हो चुके एक कच्चे मकान की दोबारा निर्माण के नाम पर वसूली की थी। इसको लेकर तीन आडियो भी सामने आए हैं, जिनमें पीड़ित और लेखपाल के बीच बातचीत भी है। इस बाबत संबंधित विभाग के अफसरों ने बयानों के लिए कोई फोन नहीं उठाया।
मामला नर्वल तहसील के गांव का है। 65 वर्षीय सावित्री देवी का कच्चा मकान कुछ वर्ष पहले बरसात में ढह गया था, जिसमे दबकर पति बाबूलाल विश्वकर्मा की मौत हो गई थी। पांच महीने पहले वृद्धा के एक बेटे मनोज का भी निधन हो चुका है। दूसरा बेटा छोटेलाल मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण करता है।
दबंग मकान पर कर रहे कब्जा
पीड़ित परिवार का आरोप है कि जमींदोज हो चुके पैतृक मकान की जमीन पर स्थानीय दबंग कब्जा करने के लिए जबरन मिट्टी आदि डालकर अतिक्रमण कर रहे थे। यह देख सावित्री देवी ने 18 सितंबर को डीपीसी भरवानी शुरू कर दी। दबंगों के कहने पर महिला लेखपाल ने जबरन काम बंद करा दिया।
महिला लेखपाल से जब पीड़ित परिवार मिला, तो उन्होंने जमीन के कागजात मंगाए। सावित्री देवी अपनी बेटी राधा के साथ लेखपाल के घर पहुंची और भूमि आवंटन की पत्रावली आदि दिखाई। लेखपाल ने कहा 10 हजार रुपये देने पर वह खड़ी होकर निर्माण करा देंगी।
पीड़िता की बेटी राधा के मुताबिक मंगलवार को महिला लेखपाल से फोन के बात की, उसने पैसे लेकर अपने आवास श्यामनगर के पास बुलाया। इससे पहले ही उन्होंने सरकारी भ्रष्ट कर्मचारियों को पकड़ने वाले एक विभाग से संपर्क किया। महिला लेखपाल के पैसे लेते ही संबंधित विभाग के कर्मचारियों ने उसे पकड़ लिया और घसीटते हुए अपने कार्यालय ले आए।
करीब पांच घंटे तक उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया गया। रात करीब नौ बजे उनसे मामले में समझौता करने को कहा गया। मना करने पर उन्हें रिश्वत के दस हजार रुपये जबरन थमा दिए गए और आरोपित महिला लेखपाल को छोड़ दिया गया।
बातचीत के ऑडियो बताते असलियत
पीड़ितों और लेखपाल के बीच हो रही बातचीत के ऑडियो असलियत बयां करने को काफी हैं। एक आडियो में तो राधा और महिला लेखपाल के बीच लेनदेन को लेकर बात हो रही है। महिला लेखपाल ने यहां तक कहा कि तहसील के उच्च अधिकारियों को पैसा पहुंचाना पड़ता है।
एसपी ने फोन नहीं उठाया, मातहत बोले प्रमाण नहीं मिले
इस प्रकरण में जब महकमे के एसपी से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। हालांकि एक मातहत ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि ऐसी जानकारी है कि महिला लेखपाल द्वारा रिश्वत लेने का कोई प्रमाण नहीं मिला। वीडियो में भी लेनदेन साफ नहीं है। अगर उनकी बात सच मानी जाए, तो भी सवाल है कि फिर पीड़ित परिवार को दस हजार रुपये क्यों वापस किए गए।
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