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सौ साल का हुआ उत्तर भारत का पहला कामर्स कालेज, पढ़िए- किसने की स्थापना और इतिहास

कानपुर में वीएसएसडी डिग्री कालेज स्थापना के समय उत्तर भारत का पहला कामर्स कालेज था। सौ साल पूरे होने पर शताब्दी समारोह वर्ष मनाया जा रहा है जिसमें शौर्य दिवस पर 16 दिसंबर से कार्यक्रमों की शुरुआत हो जाएगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Fri, 10 Dec 2021 05:47 PM (IST)
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कानपुर का वीएसएसडी डिग्री कालेज का शताब्दी वर्ष।
कानपुर, जागरण संवाददाता। नवाबगंज स्थित विक्रमाजीत सिंह सनातन धर्म (वीएसएसडी) डिग्री कालेज सौ साल पूरे कर रहा है। 16 दिसंबर को शौर्य दिवस से शताब्दी समारोह का शुभारंभ हो रहा है और जून 2022 तक अनवरत विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करने की तैयारी है। पहले दिन पांच किमी की मैराथन से इसकी शुरुआत हो जाएगी।

उत्तर भारत का था पहला कामर्स कालेज

प्राचार्य डा. विपिन कौशिक ने बताया कि सन् 1910 में श्री ब्रह्मावर्त सनातन धर्म महामंडल की स्थापना हुई थी। स्वामी ज्ञानानन्द जी (काशी) के शिष्य स्वामी दयानन्द जी के मार्गदर्शन में राय बहादुर विक्रमाजीत सिंह जी ने सनातन धर्म महाविद्यालय की स्थापना, सनातन धर्म कालेज आफ कामर्स के रूप में 1921 में की थी। यह उत्तर भारत का पहला कामर्स कालेज था और बांबे विश्वविद्यालय से संबद्ध था। 1923 में इलाहाबाद विवि से संबद्ध हुआ। 1925 में अर्थशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर की शिक्षण व्यवस्था के साथ कला संकाय शुरू हुआ।

उन्होंने बताया कि 1927 में हिंदी व संस्कृत विषयों में स्नातकोत्तर की शिक्षा का अग्रणी केंद्र बना। 1928 में जब आगरा विवि ने कार्य करना शुरू किया तो कालेज आगरा विवि का प्रमुख शिक्षा केंद्र हो गया। 1928 में ही यहां विधि संकाय शुरू हुआ। 1957 में विज्ञान संकाय की स्थापना हुई और 1964 में विज्ञान संकाय में स्नातकोत्तर और सभी विषयों में परास्नातक व शोध कार्य शुरू हुए। 1967 में कानपुर विवि की स्थापना होने पर कालेज कानपुर विवि से संबद्ध हुआ। इसके बाद बीएड, एमएड, बीपीएड, एमपीएड, डीएलएड कोर्स शुरू हुए। नैक ने वर्ष 2009 व 2016 में कालेज को ए ग्रेड दिया था।

जून माह से शुरू हुआ था पहला सत्र

महाविद्यालय के प्राचार्य डा. विपिन कौशिक ने बताया कि वीएसएसडी कालेज की स्थापना वर्ष 1921 है और उस वर्ष जून माह से कक्षाएं शुरू हुई थीं। लिहाजा शताब्दी समारोह जून 2022 तक मनाया जाएगा। 16 दिसंबर को शौर्य दिवस पर पांच किमी की मैराथन से शताब्दी समारोह की शुरुआत होगी। मैराथन कालेज मैदान से शुरू होकर वीआइपी रोड, भैरोघाट चौराहे से तिलक नगर होते हुए वापस आएगी। विजेताओं को प्रथम पुरस्कार में 5100 रुपये, द्वितीय पुरस्कार 3100 रुपये और तृतीय पुरस्कार 2100 रुपये दिए जाएंगे। शताब्दी वर्ष में खेल प्रतियोगिताएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होंगे। अंतरमहाविद्यालयी प्रतियोगिताएं भी कराई जाएंगी, जिन्हें आजादी के अमृत महोत्सव से जोड़ा जाएगा। 500 से ज्यादा पुरातन छात्र भी आएंगे। देश के विख्यात विद्वानों के उद्बोधन, कवि सम्मेलन होंगे।

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