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161 साल में पहली बार यात्रियों व ट्रेनों की आवाज सुनने को तरस रहा कानपुर सेंट्रल स्टेशन

1859 में पुराना और 1930 में बना था मौजूदा स्टेशन भवन प्रतिदिन एक लाख से अधिक यात्रियों का होता है आवागमन।

By AbhishekEdited By: Updated: Thu, 26 Mar 2020 08:32 AM (IST)
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161 साल में पहली बार यात्रियों व ट्रेनों की आवाज सुनने को तरस रहा कानपुर सेंट्रल स्टेशन

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। कानपुर में ट्रेनों का संचालन शुरू हुए करीब 161 साल गुजर गए हैं। शहर में रेल के इस लंबे सफर के दौरान सेंट्रल स्टेशन से युद्ध काल में भी ट्रेनों का संचालन होता रहा है। ऐसा पहली बार हुआ जब 21 मार्च को ट्रेनों का संचालन पूरी तरह बंद कर दिया गया। सेवानिवृत्त रेलवे कर्मचारियों की मानें तो सेंट्रल पर ऐसी खामोशी पहली बार देखने को मिली है।

सबसे पहले प्रयागराज से आई थी मालगाड़ी

1859 में कानपुर जंक्शन का भवन बना था। 10 डिब्बे वाली पहली मालगाड़ी प्रयागराज से ईंट और गिट्टी लेकर पुराने स्टेशन पर आई थी। इसके बाद अन्य ट्रेनों का संचालन होने लगा। नवंबर 1928 में अंग्रेजी हुकूमत के इंजीनियर डॉन एच ओनियन की देखरेख में नए भवन का निर्माण शुरू हुआ। 29 मार्च 1930 को मौजूदा भवन बनकर तैयार हुआ। पहले यहां तीन प्लेटफार्म थे। एक ट्रेन से सफर शुरू करने वाला कानपुर जंक्शन अब कानपुर सेंट्रल के नाम से जाना जाता है। यहां से प्रतिदिन करीब 350 से अधिक ट्रेनें गुजरती हैं और एक लाख से अधिक यात्रियों की आवाजाही होती है। वर्तमान में यहां 10 प्लेटफार्म हैं। कानपुर सेंट्रल दिल्ली-हावड़ा रूट का सबसे अहम स्टेशन है। तकरीबन 20 साल पहले रेलवे से सेवानिवृत्त हुईं सविता देवी ने बताया कि युद्धकाल में भी ट्रेनें चलती रहीं। यहां से कभी ट्रेनों का संचालन बंद नहीं हुआ। सेंट्रल स्टेशन पर अब भयभीत करने वाली खामोशी है। हालांकि मालगाडिय़ां जरूर स्टेशन के सन्नाटे को तोड़ती हैं।

नहीं लगता समय का अंदाजा

स्टेशन के बाहर चाय की दुकान चलाने वाले बुजुर्ग शिवदयाल ने बताया कि दुकान लगाते ङ्क्षजदगी बीत गई। कभी दुकान पर घड़ी लगाने की जरूरत नहीं पड़ी। ट्रेनों के आवागमन की उद्घोषणा से टाइम का अंदाजा अपने आप लग जाता था। मगर, अब सन्नाटा पसरा हुआ है। टाइम का भी अंदाजा नहीं लगता है।