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Ganesh Chaturthi 2022: रोचक है कानपुर के गणेश उत्सव का इतिहास, अंग्रेजों को पता भी नहीं चला और बन गया था मंदिर

Ganesh Chaturthi 2022 कानपुर के घंटाघर स्थित सिद्धि विनायक मंदिर से गणेश उत्सव की शुरुआत हुई थी। मंदिर में बप्पा के साथ शुभ-लाभ और ऋषि-सिद्धि भी विराजमान हैं। बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजों के विरोध के बीच एक घर की तरह नींव रखी थी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Wed, 31 Aug 2022 04:04 AM (IST)
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कानपुर के घंटाघर में है गणेश मंदिर।

कानपुर, [अंकुश शुक्ल]Ganesh Chaturthi 2022 : शहर में गणेश पूजन का इतिहास आजादी से पहले का है। गणेशोत्सव के उत्साह की नींव वर्ष 1918 में बाल गंगाधर तिलक ने रखी थी। अंग्रेजों के विरोध के चलते घंटाघर स्थित प्राचीन मंदिर मकान के रूप में निर्मित किया गया था।

जहां पर गणपति महाराज के कई स्वरूपों के दर्शन भक्तों को होते हैं। मंदिर में विह्नहर्ता के पुत्र शुभ और लाभ के साथ ऋद्धि-सिद्धि भी विराजमान हैं। प्रतिवर्ष गणेशोत्सव पर मंदिर में भगवान के दर्शन को देश-विदेश से भक्त आते हैं।

मंदिर के संरक्षक खेमचंद्र गुप्त ने बताया कि उनके बाबा लाला रामचरण और लाला ठाकुर प्रसाद ने वर्ष 1908 में बाल गंगाधर तिलक के सामने मंदिर निर्माण की इच्छा जाहिर की। जिसके बाद बाल गंगाधर तिलक ने 1918 में शहर आए और मंदिर का भूमि पूजन किया।

मंदिर स्थल के पास ही मस्जिद होने के चलते अंग्रेजों ने मंदिर का निर्माण नहीं दिया। जिसके बाद मकान के रूप में मंदिर का निर्माण वर्ष 1923 में पूरा हो हुआ। मंदिर में संगमरमर की मूर्ति के अलावा पीतल के गणेश भगवान के साथ रिद्धि और सिद्धि को भी स्थापित हैं।

मंदिर में विघ्नहर्ता के साथ उनके बेटे शुभ-लाभ और ऋद्धि-सिद्धि की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं। मंदिर के दूसरे खंड पर गणेश भगवान के नौ रूपों को स्थापित हैं। प्राचीन मंदिर में भगवान गणेश की दस सिर वाली अद्भुत प्रतिभा भी स्थापित है।

इसी स्थान से पहली बार शुरू हुआ गणेशोत्सव का उत्साह

मंदिर के संरक्षक खेमचंद्र गुप्त बताते हैं कि उन दिनों पूरे कानपुर में यहीं से पहली बार गणेश उत्सव की शुरुआत हुई थी। मंदिर निर्माण के समय अंग्रेज अधिकारियों के मना करने के बाद बाल गंगाधर तिलक ने अंग्रेजों के बड़े अधिकारी से मिलकर मंदिर निर्माण पर बात की थी। जिसके बाद से शहर में गणेशोत्सव का उत्साह धूमधाम से मनाया जाने लगा। प्रतिवर्ष गणपति महाराज का भव्य दरबार सजाकर दस दिनों तक विशेष पूजन अर्चन किया जाता है। कोरोना की बंदिशों से मुक्त होकर इस बार महाराष्ट्र की तर्ज पर शहर में गणेशोत्सव की छठा दिखेगी।

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