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Ganesh Temple In India: यहां गजानन पर पड़ती है सूर्य-चंद्रमा की पहली किरण, भिन्न् है प्रतिमा, दाहिनी ओर घूमी है नाक

यूपी के जनपद में गणेश मंदिर में स्थापित प्रतिमा बिल्कुल अलग है यहां सूर्य और चंद्रमा की पहली किरण प्रतिमा पर पड़ती है तो सूंड भी दाहिनी ओर घूमी हुई है। इस मंदिर में नाना राव पेशवा और रानी लक्ष्मी बाई भी दर्शन करने आती थीं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sun, 04 Sep 2022 05:12 PM (IST)
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मंदिर को बचाने के लिए गंगा में आ गई थी बाढ़।

कानपुर, जागरण संवाददाता। बिठूर के गणेश मंदिर का इतिहास आदि काल से जुड़ा हुआ है। 400 वर्ष से ज्यादा प्राचीन मंदिर इस मंदिर में क्रांतिकारी नानाराव पेशवा और रानी लक्ष्मी बाई दर्शन के लिए आते थे। मंदिर में स्थापित गणपति महाराज की प्रतिमा का मुख पूर्व दिशा की ओर है जिसके कारण सूर्य और चंद्रमा की प्रथम किरण बप्पा पर सीधी पड़ती है। सिद्ध विनायक रूप होने के चलते गणेश भगवान के ऊपर सिंदूर चढ़ाया जाता है। गणेशोत्सव के दिनों में मंदिर में देशभर से भक्त पूजन अर्चन के लिए आ रहे हैं।

दर्शन के लिए आते थे नाना साहब और रानी लक्ष्मी बाई

बिठूर का गणेश मंदिर गंगा जी के तट पर लवकुश नगर में स्थित है। मंदिर के पुजारी प्रकाश टाकिलेकर ने बताया सिद्ध विनायक मंदिर में जो भी भक्त श्रद्धाभाव से से पूजन अर्चन करता है बप्पा उसकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। आजादी के नायक रहे पेशवा नाना साहब और रानी लक्ष्मी बाई भी इस प्राचीन मंदिर में गजानन का वंदन करने आते थे।

मंदिर को बचाने के लिए प्रगट हुई थीं मां गंगा 

भक्तों के मुताबिक, अंग्रेज सेना मंदिर को तोप से उड़ाना चाहा लेकिन मंदिर को बचाने के लिए मां गंगा स्वयं प्रकट हो गईं। अचानक ही गंगा नदी में बाढ़ आ गई और मंदिर बालू के ढेर में गुम हो गया। काफी खोजने पर भी अंग्रेज सैनिक खोज नहीं सके। काफी समय के बाद यहां लोगों ने बालू में दबी प्रतिमा को बाहर निकालकर पूजन अर्चन शुरू कर दिया था।

सभी जगह से भिन्न है प्रतिमा

यहां प्राचीन मंदिर में बप्पा की प्रतिमा बाकी सबसे भिन्न है। इनकी सूंड़ दाहिनी तरफ घूमी हुई है और मूसक पर सवार हैं। ऐसी प्रतिमा बहुत ही कम देखने को मिलती है।

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