Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

ट्रेन में मिले 1.40 करोड़ रुपये से पहले इन्कार फिर दावा, शक के घेरे में गाजियाबाद की टेलीकॉम सर्विस प्रदाता कंपनी

कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एक्सप्रेस में मिले लावारिस ट्राली बैग में 1.40 करोड़ रुपये मिले थे जिसपर कई दिन चुप्पी के बाद गाजियाबाद की कंपनी ने दावा पेश किया है ओर कंपनी के अधिकारी ने लेटर दिया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sat, 06 Mar 2021 11:56 AM (IST)
Hero Image
आयकर विभाग की जांच के बाद जीआरपी करेगी कार्रवाई।

कानपुर, जेएनएन। स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के पेंट्रीकार में लावारिस ट्राली बैग से मिले 1.40 करोड़ रुपये के मामले में हर दिन नए सवाल खड़े हो रहे हैं। कई दिन बीतने के बाद गाजियाबाद की टेलीकॉम सर्विस प्रदाता कंपनी बीएस-4 रुपये पर दावा करने से शक व सवालों के घेरे में है। कंपनी पहले रुपये की जानकारी से ही इन्कार कर चुकी थी। आयकर विभाग कंपनी के दावों की हकीकत तो परखेगा ही, जीआरपी भी मुकदमा करने का विकल्प तलाश रही है।

गाजिबाद की बीएस-4 कंपनी के अधिकारी आरके शर्मा ने 28 फरवरी को पत्र भेजकर 1.40 करोड़ रुपये पर दावा किया था। आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, अधिकारी पूछताछ में जुटे तो कंपनी पहले पीछे हट गई। कह दिया कि रुपये हमारे नहीं है। हालांकि, इसके ठीक दो दिन बाद कंपनी के कर्मचारी लेजर और बहीखाता लेकर अधिकारियों के पास पहुंच गए। बही खाते में 58 लाख रुपये का लेनदेन कंपनी दिखा पाई थी और बाद में अन्य कागज दिखाने को कहा। अधिकारियों के मुताबिक, कंपनी ने कहां पैसा कैश निकाला और कहां उसका टैक्स दिया, यह देख पाना मुमकिन नहीं था। इसके बाद मामला आयकर विभाग को भेज दिया गया। आयकर विभाग की जांच के बाद ही जीआरपी आगे बढ़ेगी। उधर, कंपनी के दस्तावेजों में कहीं भी चूक रह गई तो आयकर विभाग भी कड़ी कार्रवाई करेगा।

शक करने पर मजबूर कर रही 13 दिन की चुप्पी

बीएस-4 ने 13 दिन बाद रुपयों पर दावा किया है। 13 दिन तक कंपनी किस बात का इंतजार करती रही, यह आयकर विभाग के साथ ही जीआरपी को भी समझ नहीं आ रहा। अफसर कहते हैं कि जेब से दो हजार का नोट इधर-उधर होने पर तो आदमी बेचैन हो जाता है। फिर कंपनी ने इतनी बड़ी राशि को बिना किसी व्यक्ति की कस्टडी के कैसे भेज दिया?

यह था मामला

दिल्ली से जयनगर बिहार जा रही स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के पेंट्रीकार से लाल रंग का ट्राली बैग उतारने के लिए डिप्टी एसएस कामर्शियल के कंट्रोल रूम पर रेलवे इंटरकॉम से 15 फरवरी की रात दो बजे फोन आया। इसके बाद बैग की डिलीवरी देने के लिए रेलवे इंटरकॉम पर फिर फोन आया। कर्मचारियों ने आइडी मांग ली तो फोन करने वाले ने आरपीएफ के कंट्रोल रूम पर एडीजी रेलवे बनकर फोन कर दिया। लगातार नाम बदलकर आ रहे फोन से शक होने पर बैग खोला गया तो 1.40 करोड़ रुपये मिले थे।

  • बिना सुरक्षा के पैसा भेजना और इतने दिनों तक दावा न करना कंपनी को शक के घेरे में लाता है। रेलवे पुलिस की जांच चल रही है। मुकदमा भी दर्ज कराया जा सकता है। -ब्रजेश कुमार सिंह, प्रभारी एसपी, जीआरपी प्रयागराज मंडल।
लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें