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वैश्विक मंदी ने UP के एक्सपोर्ट मार्केट को दिया तगड़ा झटका, अकेले कानपुर को लगी हजारों करोड़ की चोट

इजरायल-हमास के बीच शुरू हुए संघर्ष की वजह से मिडिल ईस्ट के देशों में भी अब निर्यात प्रभावित होने लगा है। उत्तर प्रदेश से पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2022-23 में अप्रैल से अगस्त के बीच 60 हजार करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। उसके बाद इस वर्ष निर्यात पर वैश्विक स्तर पर मंदी का असर देखने को मिला है। कानपुर के निर्यात पर भी इस सुस्ती का असर पड़ा है।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Tue, 24 Oct 2023 02:17 PM (IST)
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UP Export: वैश्विक मंदी ने कानपुर के निर्यात बाजार को पहुंचाई चोट
 जागरण संवाददाता, कानपुर। वैश्विक मंदी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने उत्तर प्रदेश के निर्यात को तगड़ा झटका दिया है। चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 के पहले पांच माह के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश से अप्रैल से अगस्त तक 52 हजार करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है। यह पिछले वित्तीय वर्ष के इन्हीं पांच माह की तुलना में आठ हजार करोड़ रुपये कम है।

कानपुर भी इससे अलग नहीं है पहले पांच माह में मात्र तीन हजार करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है जबकि बीते वित्तीय वर्ष में कुल निर्यात 8,995 करोड़ रुपये था। इसे लेकर निर्यातकों के साथ ही निर्यात की कड़ियों में जुड़े अधिकारी तक चिंतित हैं।

इजरायल और हमास के बीच शुरू हुए संघर्ष की वजह से मिडिल ईस्ट के देशों में भी अब निर्यात प्रभावित होने लगा है। उत्तर प्रदेश से पिछले वित्तीय वर्ष यानी 2022-23 में अप्रैल से अगस्त के बीच 60 हजार करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। उसके बाद इस वर्ष निर्यात पर वैश्विक स्तर पर मंदी का असर देखने को मिला है।

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कानपुर के निर्यात पर भी इस सुस्ती का असर पड़ा है। कानपुर से पांच माह में तीन हजार करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में 9509 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था, वहीं 2022-23 में 8995 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था। इस तरह दो वित्तीय वर्ष से कानपुर से होने वाले निर्यात में कमी आ रही है।

वित्तीय वर्ष 2022-23 में 514 करोड़ रुपये का निर्यात कम हुआ। माना जा रहा है कि अभी तक निर्यात में जो सुस्ती दिखाई दे रही है, उससे इस वित्तीय वर्ष में आंकड़े कम ही होंगे।

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फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन के उत्तर प्रदेश के सहायक निदेशक आलोक श्रीवास्तव के मुताबिक निर्यात पहले ही प्रभावित हो रहा था, अब इजरायल और हमास के बीच का संघर्ष इसे और धीमा कर सकता है। जरूरी है कि ये संघर्ष रुकें और निर्यात का माहौल फिर से बने।

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