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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर में जीपीआर से संभव है खोदाई के बगैर दबी वस्तुओं की पहचान

ज्ञानवापी परिसर में होने वाले एएसआई सर्वे में जीपीआर की मदद से खोदाई के बगैर दबी वस्तुओं की पहचान की जा सकती है। आइआइटी कानपुर के भूविज्ञानी प्रोफेसर जावेद मलिक ने देश के कई बड़े पुरातात्विक खोज अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान किया है उन्‍होंने यह जानकारी दी। बता दें क‍ि इलाहाबाद हाईकोर्ट में पर‍िसर का सर्वे करने के मामले में सुनवाई चल रही है।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Thu, 27 Jul 2023 10:35 AM (IST)
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Gyanvapi Case: ज्ञानवापी परिसर में ब‍िना खोदाई सर्वे जीपीआर जीपीआर से संभव

कानपुर, जागरण संवाददाता। जीपीआर यानी ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार ऐसी तकनीक है जिससे किसी भी वस्तु या ढांचे को बगैर छेड़े हुए उसके नीचे जले हुए कंक्रीट धातु पाइप केबल या अन्य वस्तुओं की पहचान की जा सकती है।

आइआइटी कानपुर के भूविज्ञानी प्रोफेसर जावेद मलिक ने देश के कई बड़े पुरातात्विक खोज अभियानों में महत्वपूर्ण योगदान किया है उन्होंने बताया कि जीपीआर की मदद से किसी भी वस्तु को छेड़े या नुकसान पहुंचाए बगैर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन की मदद से ऐसे सिग्नल प्राप्त किए जाते हैं जो यह बताने में सक्षम हैं कि किसी भी वस्तु के आंतरिक हिस्से में क्या क्या मौजूद है अगर कोई बड़ी सी चट्टान है और उसके अंदर कोई अन्य धातु या पदार्थ मौजूद है।

किसी भी अन्य तरह की पदार्थ संरचना बनी हुई है तो उसका भी साफ-साफ आकलन किया जा सकता है इस तकनीक का प्रयोग करने के दौरान इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणों को उस वस्तु या स्थान पर प्रवेश कराया जाता है जिसकी जांच करनी होती है लौटने वाली किरणों और ध्वनि आवृत्तियों का विश्लेषण कर निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है । इस तकनीक का प्रयोग 1972 में चांद पर भेजे गए अपोलो 17 मिशन के दौरान भी किया गया है।