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वैवाहिक जीवन को और भी खुशहाल बनाएंगे ये पांच टिप्स, पति-पत्नी के रिश्ते में कभी नहीं आएगी दरार

Happy Married Life TIPS दांपत्यजीवन में आपस में कहा-सुनी होना कोई अनोखी बात नहीं है। इससे आपस में प्रेम बढ़ता है लेकिन इसके साथ ही कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें। रिलेशनशिप एक्सपर्ट डा. शालिनी शर्मा से दिनेश दीक्षित की बातचीत...

By Shaswat GuptaEdited By: Updated: Fri, 12 Nov 2021 01:32 PM (IST)
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Happy Married Life TIPS : पति-पत्नी की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।
कानपुर, [फीचर डेस्क]। Happy Married Life TIPS किसी ने सही ही कहा है कि दुनिया में शायद ही कोई ऐसा दंपती हो, जिसके बीच आपस में कभी न कभी बहस न हुई हो या कहा-सुनी न हुई हो। दांपत्य जीवन में आपस में कहा-सुनी या बहस होना आपसी रिश्ते को मजबूत बनाने की एक खास कड़ी है। इस संदर्भ में रिलेशनशिप एक्सपर्ट डा. शालिनी शर्मा का कहना है कि बहस या कहा-सुनी होने के बाद दोनों का यह दायित्व है कि आराम से बैठकर उस संदर्भ में चर्चा जरूर करें जिस वजह से बहस या कहा-सुनी हुई हो।

तभेद की जड़ तक पहुंचें : आपसी बहस या कहा-सुनी के बाद आप दोनों एक बार गंभीरता से यह जरूर मंथन करें कि क्या वाकई इस बहस या कहा-सुनी की जरूरत थी? जब आप गंभीरतापूर्वक विचार करेंगे तो पाएंगे कि इस कहा-सुनी या बहस की तो जरूरत ही नहीं थी, लेकिन कुछ बातें ऐसी जरूर होती हैैं जिनकी वजह से आप दोनों ऐसा करने पर मजबूर हो जाते हैैं। इससे ये फायदा होगा कि अगली बार कम से कम उन मुद्दों पर बहस या कहा-सुनी नहीं होगी जिनकी वजह से पिछली बार हो चुकी है।

आत्मविश्वास कमजोर न होने पाए : कई बार दोनों में से किसी एक को महसूस होता है कि उसका साथी उससे उतना प्यार नहीं कर रहा है, जितना उसे करना या जताना चाहिए। इस प्रकार की बातें लगातार सोचने पर आप दोनों गलत निष्कर्षों पर पहुंच जाते हैैं। नतीजतन ये बातें कहा-सुनी और बहस का रूप ले लेती हैैं। इस प्रकार की बातें सोचने का मतलब है कि आप दोनों के आत्मविश्वास में कहीं न कहीं कमी है। इसलिए अपना आत्मविश्वास मजबूत बनाएं ताकि आप दोनों किसी प्रकार की गलतफहमी के शिकार न बनें।

सही तरह से बात रखें: दांपत्य जीवन में कई बार केवल इस वजह से आपस में कहा-सुनी या बहस हो जाती है, क्योंकि दोनों में से कोई एक या कभी-कभी दोनों ही अपनी बात को सही तरह से व्यक्त नहीं कर पाते हैैं। इस संदर्भ में एक बात हमेशा ध्यान रखनी चाहिए कि आपका जीवनसाथी कोई जादूगर या मनोचिकित्सक नहीं है, जो आपके दिल में छिपी हुई बातों को आसानी से जान और समझ लेगा। इसलिए जब भी आप दोनों को आपस में कोई बात कहनी हो या साझा करनी हो तो उस बात को बहुत ज्यादा घुमा-फिराकर कहने की बजाय प्यार से अपनी बात कहने और प्यार से अपनी भावनाओं को साझा करने की कोशिश करें। अक्सर देखा गया है कि बात को सही तरीके से पेश न करने की वजह से भी आपस में कहा-सुनी हो जाती है, जबकि सही तरीके से कही गई बात दिल पर गहरा असर छोड़ती है। इस संदर्भ में एक और बात का ध्यान रखें कि भले ही आप कोई सच बात कहने जा रही हों, लेकिन आपके कहने का तरीका ऐसा न हो कि लगे कि आप शिकायत कर रही हैैं या अपने साथी को छोटा दिखाना चाहती हैैं। सच बात को भी विनम्रतापूर्वक और धीमे स्वर में व्यक्त करना काफी असरदायक होता है।

आपस में प्रशंसा भी जरूरी है: याद रखिए दांपत्य जीवन में केवल कहा-सुनी या बहस की जरूरत नहीं है, न ही केवल अपने साथी को तोहफे देने या घर से बाहर घूमने जाने की जरूरत होती है। दांपत्य जीवन को मधुर बनाने के लिए आपस में एक-दूसरे की प्रशंसा करना भी जरूरी है। प्यार से की गई साथी की तारीफ दांपत्य जीवन में मिठास घोलने का काम करती है। इसलिए हमेशा अपने साथी की कमियों के बारे में सोचने की अपेक्षा दोनों लोग यह भी सोचें कि हमारे साथी में क्या खूबियां हैैं। हर वक्त कमियों के बारे में सोचते रहने से आपको केवल साथी की कमियां ही नजर आएंगी। नतीजतन आपके रिश्ते में मधुरता समाप्त होती जाएगी। इसलिए समय-समय पर आपस में एक-दूसरे की प्रशंसा जरूर करें।

सोचने-विचारने के लिए थोड़ा समय भी दें : याद रखें कि हर एक के सोचने-समझने का नजरिया अलग होता है। इसलिए कभी कोई बात कहने के बाद उस विषय पर तुरंत प्रतिक्रिया जानने की अपेक्षा रखना या जीवनसाथी पर दबाव डालने की बजाय उसे उस बात को सोचने और समझने के लिए थोड़ा सा समय जरूर दें। कई बार ऐसा होता कि जब हम बिना सोचें-समझे कोई प्रतिक्रिया देते हैैं तो जरूरी नहीं है कि वो सही ही साबित हो। कई बार वो प्रतिक्रिया उलटा असर छोड़ देती है। इसलिए कोई बात कहने के पश्चात अपने साथी को उस विषय पर सोचने-विचारने के लिए थोड़ा समय जरूर दें।

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