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Happy Mothers day 2022: पत्नी, बेटी, बहू और बहन को वित्तीय साक्षर बनने के लिए करें प्रोत्साहित

Happy Mothers day 2022 इसलिए आज से ही अपनी पत्नी बेटी बहू बहन और नाती पोतियों को वित्तीय साक्षर बनने के लिए प्रोत्साहित कीजिये ताकि वह न सिर्फ कमाए बल्कि कमाई को बढ़ाये भी और वित्तीय स्वतंत्र बने।

By Amit SinghEdited By: Updated: Fri, 06 May 2022 02:37 PM (IST)
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Happy Mothers day 2022: निवेश की दुनिया में करें नई शुरुआत।

विनायक सप्रे। आज मदर्स डे है। मांएं उस नींव की तरह होती हैं जिनके ऊपर सारा घर टिका होता है मगर जब भी बात आती है निवेश की, तो वे तुरंत ही पीछे हट जाती हैं। जबकि महिलाओं को जब वित्तीय साक्षर करने की बात आती है तब तो बहुत ही निराशाजनक प्रतिक्रियाएं मिलती हैं। मेरे जैसे कुछ लोग जो वित्तीय साक्षरता भारतीय पद्धति से बढाने में प्रयासरत हैं उनको उत्साहजनक परिणाम नहीं मिलते परन्तु सत्य यह है की महिलाओं का वित्तीय साक्षर होना उनके और उनके परिवार के लिए बहुत ही अधिक आवश्यक है।

विशेषकर पिछले दो वर्षों ने हमें यह सन्देश दिया है की किसी भी असामयिक घटना के लिए हमें तैयार रहना चाहिए, निश्चित ही हमें जीवन में सकारात्मक आशाएं रखनी चाहिए. विगत दो वर्षों में हममें से शायद ही कोई ऐसा हो जिसका कोई करीबी मित्र, रिश्तेदार अथवा घर का व्यक्ति कोरोना का शिकार न हुआ हो। कोरोना की दूसरी लहर में कई घरों के पुरुषों की अकाल मृत्यु हो गयी और ऐसे में यदि घर की महिला वित्तीय साक्षर नहीं थी उस पर यदि उसको एवं उसके परिवार को कोई योग्य सलाहकार न मिला तो बहुत सी परेशानियाँ हुईं। दुर्भाग्यवश आम तौर पर लोगों की यह राय होती है, जिनमें महिलायें भी शामिल हैं कि वित्त के बारे में ज्ञान लेना महिलाओं के बस की बात नहीं है और यह काम पुरुषों के बस का ही है. जबकि मेरा व्यक्तिगत अनुभव कहता है कि एक बार महिलाएं रूचि लेने लग जाएँ तो वो बेहतर निवेशक साबित होती हैं।

मूलतः आज के आधुनिक युग में महिलाओं को तीन कारणों से वित्तीय साक्षर होना बहुत आवश्यक है-

एकल परिवार : आज दिन ब दिन एकल परिवारों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी हो रही है, ऐसे में पति पत्नी की एक दूसरे पर निर्भरता बहुत बढ़ जाती है और उस पर किसी भी प्रकार का अघोषित संकट महिला के वित्तीय साक्षर न होने से और बढ़ जाता है. उदाहरणार्थ यदि दुर्घटना घट जाए और इलाज के लिए पैसे की आवश्यकता पड़ जाय और निवेश एक नाम से ही किया गया हो तो पत्नी के लिए वह अत्यंत परीक्षा की घडी बन जाती है। इसलिए पत्नी यदि निवेश, बीमा अथवा क़र्ज़ सम्बन्धी निर्णय न भी ले परन्तु उसको इस बात की जानकारी होना बहुत आवश्यक है कि यदि निवेश हुआ है तो कहाँ हुआ है, बीमा की राशि क्या है और क़र्ज़ के लिए यदि मासिक भुगतान (EMI) किया जा रहा हो तो किस कारण और किस संस्था को किया जा रहा है। यह बड़े दुःख और आश्चर्य की बात है कि अच्छी खासी पढ़ी लिखी महिलायें भी इतनी महत्वपूर्ण ज़रुरत को नज़र अंदाज़ कर देती हैं।

अधिक औसत आयु का होना : पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की औसत आयु अधिक होती है. वर्ष 2017 के आंकड़े के अनुसार भारतीय महिलाओं की औसत आयु 71 वर्ष और पुरुषों की 68.5 वर्ष है। आम तौर पर पति पत्नी की आयु में अंतर 3-7 वर्ष और कभी कभी 10 वर्ष से भी अधिक होता है। इसका अर्थ यह है कि अधिकतर महिलाएं वृद्धावस्था के कई वर्ष अकेले बिताएंगी क्योंकि जिस प्रकार उन्होंने अपने लिए अलग घर बसाये संभवतः उनके बच्चे भी अपने लिए अलग घर बसायेंगे. ऐसे में यदि महिला वित्तीय साक्षर नहीं है अथवा अपने पैसे के प्रति जागरूक नहीं है तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए आज से ही पतियों को चाहिए की महिलाओं के वित्तीय सशक्तिकरण पर ध्यान दें और वह अनिच्छा जताती हैं तो उनको उसके भविष्य के दुष्परिणामों की संभावनाओं से अवगत कराएँ।

आर्थिक स्वतंत्रता : आज की लडकियां आत्मविश्वास से ओतप्रोत हैं और कार्य के हर क्षेत्र में न सिर्फ पुरुषों के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलती हैं बल्कि कई क्षेत्रों में उनसे बहुत अच्छा भी करती हैं परन्तु जब वित्तीय स्वतंत्रता की बात आती है तो वह या तो इससे अनभिज्ञ हैं अथवा उनको अपना मार्गदर्शक चुनने में असमंजस होता है। आज के आधुनिक युग में महिला को वित्तीय स्वतंत्रता पाना बहुत आवश्यक है और वह जितनी जल्दी मिल सके उतना परिवार के लिए बेहतर होता है और यह न भूलें कि अधिकतर महिलायें परिवार की खातिर कुछ वर्षों बाद नौकरी छोड़ देती हैं और आगे के वर्षों में पति पर निर्भर रहती हैं। साथ ही यह ध्यान में रखना बहुत आवश्यक है कि सम्बन्ध विच्छेद के मामले भी दिन ब दिन बढ़ रहे हैं ऐसे में भावनात्मक नुकसान की भरपाई करना मुश्किल है परन्तु आर्थिक नुकसान से निश्चित बचा जा सकता है।

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