बोल पाती है न सुन सकती है, दो साल बाद अंगूठे ने बता दिया भटकी बच्ची के घर का पता और मिला परिवार
कानपुर के स्वरूपनगर स्थित राजकीय बालिका गृह में दो साल से मूकबधिर भटकी बच्ची रह रही थी। उसके अंगूठे से घर का पता चला और फिर उसे परिवार से मिला दिया गया। बच्ची को सामने देखकर मां-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Tue, 15 Mar 2022 10:18 AM (IST)
कानपुर, चंद्र प्रकाश गुप्ता। स्वरूपनगर स्थित राजकीय बालिका गृह में रहने वाली भटकी बच्ची न बोल सकती है और न ही सुन सकती है, दो साल बाद उसके अंगूठे से घर का पता चल गया और पहचान होते ही परिवार मिल गया। जी हां, भटकी बच्ची को परिवार से मिलाने में उसके अंगूठा सबसे बड़ा आधार बना। पिछले दिनों बच्ची के थंब इंप्रेशन (अंगूठे के निशान) और आइ स्कैन (आंखों की जांच) रिपोर्ट के आधार पर उसका पूरा ब्योरा भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के अधिकारियों ने खोज निकाला और बालिका गृह की अधीक्षिका के प्रयास से बच्ची का परिवार उसे लेने कानपुर आया। बेटी को सामने देख स्वजन की आंखों से आंसू छलक पड़े। उन्होंने बालिका गृह के स्टाफ को दुआएं दीं।
बालिका गृह के स्टाफ ने बताया कि दो वर्ष पूर्व एक फरवरी 2020 को रेलवे की चाइल्ड लाइन टीम ने स्टेशन पर 10 वर्ष की मूकबधिर बच्ची को लावारिस हालत में घूमते देखा था। अशिक्षित होने से बच्ची अपना नाम, पता, परिवार के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सकी। इसके बाद बाल कल्याण समिति ने बच्ची को बालिका गृह की सिपुर्दगी में दिया था। बालिका गृह की अधीक्षिका ने उसे मनु नाम दिया। अब बच्ची के 12 साल की होने के कारण अधीक्षिका ने पांचवीं कक्षा में उसके दाखिले की कवायद शुरू की। इसी के साथ महिला कल्याण निदेशालय से भी लावारिस बच्चों के आधार कार्ड बनवाने का आदेश आया।
23 जनवरी को विशिष्ट पहचान प्राधिकरण कार्यालय की टीम ने बालिका गृह में बच्चों के आधार कार्ड बनाने के लिए थंब इंप्रेशन, आइ स्कैन करना शुरू किया तो मनु का बायोमीट्रिक रिकार्ड पहले से होने की बात सामने आई। टीम ने लखनऊ जाकर फिंगरप्रिंट व रेटिना रिपोर्ट के आधार पर मनु का पहले से बना आधार कार्ड निकाला। छह दिन पहले टीम ने आकर अधीक्षिका उर्मिला गुप्ता के सामने मनु का आधार कार्ड दिया। तब पता लगा कि मनु का असली नाम रेशमी है और वह लुधियाना के रामनगर की रहने वाली है।
अधीक्षिका ने बताया कि उन्होंने तुरंत लुधियाना बाल कल्याण समिति से संपर्क किया। तब वहीं की एक अन्य कालोनी में रेशमी उर्फ मनु के स्वजन मिले। उनसे बात कर अधीक्षिका ने उन्हें कानपुर बुलाया। सोमवार को रेशमी के पिता शंकर राय, मां बिंदु देवी, भाई मित्ररंजन और मौसी शबनम शहर आईं। रेशमी को देख उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अधीक्षिका ने बताया कि बाल कल्याण समिति के सामने पेश करके बच्ची को उसके स्वजन के सिपुर्द किया जाएगा।
बेटी ने सोचा कि मां बिहार चली गई तो घर से निकल आई : मां बिंदु ने बताया कि उनका परिवार मूलरूप से बिहार के मोतिहारी स्थित भवानीपुर का रहने वाला है। जनवरी 2020 में उनकी मां की तबीयत खराब हो गई थी। उन्हें देखने के लिए वह बेटी और बेटे के साथ बिहार गई थीं। लौटकर वापस लुधियाना आईं और अगले दिन पति के साथ मजदूरी करने निकल गईं। शायद तभी बेटी ने सोचा कि मां वापस बिहार चली गईं और वह एक आटो में बैठकर स्टेशन गई और वहां से ट्रेन से चली आई। शंकर ने बताया कि उन्होंने बेटी की गुमशुदगी लिखाई तो पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर एक आटो चालक को पकड़ा था, लेकिन उसकी भूमिका सामने न आने पर छोड़ दिया था। तब से वह बेटी की तलाश कर रहे थे।
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