कानपुर में कैसे पड़ा 'सीसामऊ' इलाके का नाम, रोचक है कहानी; राजा-रजवाड़े से लेकर पढ़ें अब तक पूरा इतिहास
कानपुर का सीसामऊ इलाका अपने समृद्ध इतिहास के लिए जाना जाता है। यह शहर का सबसे पुराना बसा हुआ क्षेत्र है जिसका उल्लेख 1120 ईस्वी के एक दान पत्र में मिलता है। सीसामऊ में कभी शीशम के पेड़ों का जंगल हुआ करता था जिसे काटकर यह ग्राम आबाद हुआ। इसीलिए इसे सीसामऊ कहा गया। आइए सीसामऊ क्षेत्र के बारे में विस्तार से जानते हैं...
जागरण संवाददाता, कानपुर। शहर में इस वक्त सीसामऊ विधानसभा उपचुनाव का शोर है। 20 नवंबर को यहां पर मतदान होना है। इतिहासकारों की मानें तो सीसामऊ कानपुर का सबसे पुराना क्षेत्र है। करीब 904 साल पहले यहां पर शीशम का जंगल था, जिसे राजा कन्नौज जयचंद्र के पितामह ने एक ब्राह्मण को दान दिया था।
पहले गांव बसा, फिर कस्बा और बाद में शहर। अंग्रेजों के शासनकाल में भी जाजमऊ परगना का सीसामऊ राजस्व ग्राम था और आज भी राजस्व अभिलेखों में सीसामऊ ही दर्ज है। कानपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट तथा डेवलपमेंट बोर्ड ने बाद में अनेक आसपास के गावों को इसकी परिधि में लाकर शहरीकरण किया गया और वर्तमान में यह इलाका शहर का केंद्र बिंदु बन गया है। सीसामऊ के इतिहास के लेकर पेश है हमारे संवाददाता गौरव दीक्षित की रिपोर्ट....।
कभी हुआ करता था शीशम के पेड़ों के जंगल
कानपुर का इतिहास भाग एक के दस्तावेजों के मुताबिक आधुनिक कानपुर का आधा भाग पटकापुर, कुरसवां, जुही, सीसामऊ आदि कई गावों से मिल कर बना है। ससईमऊ या सीसामऊ के बारे मे कहा जाता है कि यहां ससई (सिरसई) अर्थात शीशम के पेड़ो का जंगल था, जिसको काटकर यह ग्राम आबाद हुआ। इसीलिए इसे सीसामऊ कहा गया।सीसामऊ विधानसभा सीट का पूरा इतिहास, कैसे पड़ा नाम; कौन था यहां का राजा
कानपुर में कैसे पड़ा 'सीसामऊ' इलाके का नाम, रोचक है कहानी; साल 1120 में राजा से लेकर विधायक तक पढ़ें पूरा इतिहास
राजा जयचंद्र ने दिया था दान
यह भी हो सकता है कि यह नाम शीशम के जंगल से जुड़े नामों के अपभ्रंश के बाद प्रचलन में आया। ऐतिहासिक दस्तावेजों के मुताबिक सीसामऊ वर्तमान कानपुर का सबसे प्राचीन बसाव वाला क्षेत्र है। कन्नौज के राजा जयचंद्र के पितामह महाराजा गोविन्दचंद्र ने पंडित साहुल शर्मा नाम के ब्राह्मण को ससईमऊ (वर्तमान सीसामऊ) नाम से ख्यातिप्राप्त यह गांव दान में दिया था। यह बात गोविन्दचंद्र के उस दान-पत्र से सिद्ध होती है, जो काकूपुर के पास स्थित छत्रपुर गांव में आज से लगभग 78 वर्ष पूर्व प्राप्त हुए थे।
इस दान पत्र में तिथि संवत 1177 अर्थात सन् 1120 का जिक्र है। इस लिहाज से देखें तो सीसामऊ की बसावट कम से कम 904 साल से भी अधिक प्राचीन है। अंग्रेजों के शासनकाल में भी जाजमऊ परगना का सीसामऊ राजस्व ग्राम बना रहा और आज भी राजस्व अभिलेखों में सीसामऊ ही दर्ज है।
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