आइआइटी की खोज, सेंसर वाली ‘घड़ी’ से पता चलेगा, कांपने वाले हैं हाथ
विशेषज्ञों ने खास तरह की डिजिटल घड़ी बनाई है, जिसको पहनने से ट्रिमर्स (हाथ कांपने की दिक्कत) काफी पहले पता चल जाएगी।
By Edited By: Updated: Tue, 28 Aug 2018 12:03 PM (IST)
कानपुर [शशांक शेखर भारद्वाज]। न्यूरो की एक समस्या में रोगी के हाथ कांपने लगते हैं। उसके लिए किसी वस्तु को पकड़ना तो दूर हस्ताक्षर तक कर पाना मुश्किल हो जाता है। अब इस बीमारी को समय से पहले न सिर्फ पकड़ा जा सकेगा, बल्कि इलाज से समस्या को लंबे समय तक रोके रखा जाएगा। यह संभव होगा आइआइटी कानपुर की खोज से। विशेषज्ञों ने खास तरह की डिजिटल घड़ी बनाई है, जिसको पहनने से ट्रिमर्स (हाथ कांपने की दिक्कत) काफी पहले पता चल जाएगी। संस्थान ने एम्स समेत कई मेडिकल कॉलेजों को यह तकनीक देने की तैयारी की है ताकि इसे और ज्यादा प्रभावी बनाने में न्यूरोलॉजिस्ट की मदद मिल सके।
क्या है ट्रिमर्स
ट्रिमर्स एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें शारीरिक मांसपेशियों में संकुचन हो जाता है। इससे हाथ, पैर, जबड़ा, होंठ, आंखें कांपने लगते हैं। 80 फीसद मामलों में हाथ ज्यादा कांपते हैं। यह समस्या अधिकतर 60 से अधिक उम्र के लोगों में होती है।समस्या बढ़ने पर ही दिखते हैं लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक, ट्रिमर्स के लक्षण समस्या के बढ़ने पर ही सामने आने लगते हैं। सबसे पहले व्यक्ति को हस्ताक्षर करने में दिक्कत होती है। वह कुछ भी सही तरह से लिख नहीं पाता है।
ट्रिमर्स एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। इसमें शारीरिक मांसपेशियों में संकुचन हो जाता है। इससे हाथ, पैर, जबड़ा, होंठ, आंखें कांपने लगते हैं। 80 फीसद मामलों में हाथ ज्यादा कांपते हैं। यह समस्या अधिकतर 60 से अधिक उम्र के लोगों में होती है।समस्या बढ़ने पर ही दिखते हैं लक्षण
विशेषज्ञों के मुताबिक, ट्रिमर्स के लक्षण समस्या के बढ़ने पर ही सामने आने लगते हैं। सबसे पहले व्यक्ति को हस्ताक्षर करने में दिक्कत होती है। वह कुछ भी सही तरह से लिख नहीं पाता है।
कैसे करेगी काम
डिजिटल घड़ी को मोबाइल ब्लूटूथ से जोड़ा जाएगा। यह न्यूरोलॉजिकल या फिर ट्रिमर्स के सेंसर को बता सकेगी। इसकी जानकारी मोबाइल फोन पर आ जाएगी।पार्किंसन पर प्लानिंग
आइआइटी के विशेषज्ञ ट्रिमर्स के बाद अब पार्किंसन पर प्लानिंग कर रहे हैं। अभी घड़ी के एडवांस वर्जन पर भी तैयारी चल रही है। ट्रिमर्स पर अभी और काम किया जा रहा है। डिजिटल घड़ी से समस्या का काफी पहले पहले पता चल जाएगा। मोबाइल पर सिग्नल देखकर न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क किया जा सकेगा।
- प्रो. बृजभूषण, आइआइटी कानपुर
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आइआइटी के विशेषज्ञ ट्रिमर्स के बाद अब पार्किंसन पर प्लानिंग कर रहे हैं। अभी घड़ी के एडवांस वर्जन पर भी तैयारी चल रही है। ट्रिमर्स पर अभी और काम किया जा रहा है। डिजिटल घड़ी से समस्या का काफी पहले पहले पता चल जाएगा। मोबाइल पर सिग्नल देखकर न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क किया जा सकेगा।
- प्रो. बृजभूषण, आइआइटी कानपुर