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किसानों का मददगार आइआइटी का उपकरण, मोबाइल एप पर 90 सेकेंड में बताएगा मिट्टी की सेहत

आइआइटी कानपुर में विकसित मोबाइल एप पर क्लिक करने के बाद उपकरण काम करेगा और सिर्फ पांच ग्राम मिट्टी से गुणवत्ता बताएगा और विभिन्न फसलों के जरिए जरूरी उर्वरकों के बारे में भी सुझाव देगा। प्रौद्योगिकी लाइसेंस समझौते पर करार हुआ है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Tue, 14 Dec 2021 09:59 AM (IST)
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आइआइटी कानपुर ने उपकरण व एप विकसित किया है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। मिट्टी की सेहत अब महज 90 सेकेंड में पता लगेगी। यह जानकारी मिलेगी कि किसान खेत में कौन सा उर्वरक डालें, जिससे फसलों के लिए पोषक तत्वों की कमी पूरी हो और मिट्टी की सेहत ठीक रहे। महज पांच ग्राम सूखी और छनी हुई मिट्टी उपकरण में डालने के बाद डेढ़ मिनट में मोबाइल स्क्रीन पर मृदा रिपोर्ट सामने होती है। यह उपकरण मोबाइल एप से जुड़ा होता है। 'भू-परीक्षकÓ नाम से इस उपकरण और एप को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग ने तैयार किया है। एग्रोनेक्स्ट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने आइआइटी से उपकरण बनाने के लिए करार किया है।

जांच के लिए पांच ग्राम मिट्टी की जरूरत

आइआइटी के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने बताया कि फाउंडेशन फार इनोवेशन एंड रिसर्च इन साइंस एंड टेक्नोलाजी (फस्र्ट) के तहत केमिकल इंजीनियङ्क्षरग विभाग के प्रो. जयंत कुमार सिंह व उनकी टीम ने पोर्टेबल रैपिड मृदा परीक्षण उपकरण बनाया है। जांच के लिए केवल पांच ग्राम सूखी व छनी हुई मिट्टी के नमूने की जरूरत होती है।

पांच सेंटीमीटर लंबे बेलनाकार बेस में नमूना डालने के बाद उपकरण ब्लूटूथ के जरिए मोबाइल एप से जुड़ता है। एप्लीकेशन पर मौजूद स्कैन बटन क्लिक करने पर 90 सेकंड तक उपकरण नमूने का विश्लेषण करता है और मोबाइल स्क्रीन पर मृदा स्वास्थ्य रिपोर्ट प्रदर्शित करता है। इस नमूने की यूनिक आइडी भी बनती है, जो भू-परीक्षक एप के क्लाउड पर सुरक्षित होती है। बाद में भी रिपोर्ट देखी जा सकती है।

गूगल प्ले स्टोर से करें डाउनलोड

इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी तकनीक पर आधारित यह उपकरण मिट्टी के स्वास्थ्य मानक पूरे करने में मदद करेगा। गूगल प्ले स्टोर पर भू-परीक्षक नामक मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टाल कर किसान इस उपकरण का संचालन कर सकेंगे। यह मिट्टी में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, कार्बन, मिट्टी की सामग्री और कैटीअन एक्सचेंज क्षमता बताएगा। किसान यह भी जान सकेंगे कि खेत और फसलों के लिए किस उर्वरक की कितनी जरूरत है।

एप्लीकेशन स्थानीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराया गया है ताकि कम पढ़े लिखे किसान भी प्रयोग कर सकें। निदेशक के मुताबिक उपकरण के थोक उत्पादन के लिए तकनीक एग्रोनेक्स्ट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को एमओयू के जरिए स्थानांतरित की गई है। 11 दिसंबर को प्रौद्योगिकी लाइसेंस समझौते पर कंपनी के सीईओ रजत वर्धन से करार हुआ है।

एक लाख नमूनों की जांच कर सकेगा उपकरण

भू-परीक्षण उपकरण मिट्टी के एक लाख नमूनों का परीक्षण कर सकता है और बाजार में उपलब्ध उपकरणों से अधिक गुणवत्ता है। निदेशक ने बताया कि किसानों को मिट्टी के नमूनों की जांच के लिए दिक्कत होती थी। वैज्ञानिकों ने किसानों को दूर-दराज जिला मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं में मिट्टी की जांच के लिए जाते और एक पखवारे तक इंतजार करते देखा तो यह उपकरण बनाने का ख्याल आया था।

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