IIT Kanpur का App जिसपर अंगुली चलाकर सीखेंगे बच्चे, डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया पीड़ितों के लिए होगा मददगार
IIT Kanpur के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग की टीम ने ऐसा एप डेवलेप किया है जिसके जरिये बच्चे अक्षरों व शब्दों की पहचान करने के साथ ही उसे लिखने व बोलने में भी उत्कृष्ट बन सकेंगे और टचस्क्रीन आधारित अनुप्रयोग में सुनकर देखकर व लिखावट पर अंगुली चलाकर सीखेंगे।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sun, 14 Aug 2022 10:52 AM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग की टीम ने डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया बीमारी से पीड़ित बच्चों के लिए टचस्क्रीन आधारित एप (एप्लीकेशन) विकसित किया है। इस एप की मदद से बच्चे अक्षर, मात्रा व शब्दों को पहचान और समझकर सीख सकते हैं। यही नहीं, बिना गलती या अशुद्धि के शब्दों को तेजी से लिखने व बोलने में भी पारंगत हो सकेंगे।
डिस्लेक्सिया और डिस्ग्राफिया ग्रसित बच्चों के लिए सहायक अनुप्रयोग (एएसीडीडी) नामक एप का आविष्कार प्रो. ब्रजभूषण और प्रो. शतरूपा ठाकुर राय ने मनोचिकित्सक डा. आलोक बाजपेयी के साथ मिलकर तैयार किया है।प्रो. ब्रजभूषण ने बताया कि एप्लीकेशन पीड़ित बच्चों को सीखने में मदद करता है। डिस्लेक्सिया व डिस्ग्राफिया मस्तिष्क विकास संबंधी विकार हैं। डिस्लेक्सिया में बच्चा धीमी गति से व गलत शब्दों की पहचान करता है। आगे चलकर यह बीमारी सटीक और धारा प्रवाह शब्द पहचान के साथ ही वर्तनी की कठिनाइयों का कारण बनती है। डिस्ग्राफिया में बच्चा स्पष्ट रूप से लिखने में असमर्थ होता है।
बाल रोग विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों में डिस्लेक्सिया के मामले दो से 18 प्रतिशत तक, डिस्ग्राफिया के 14 प्रतिशत और डिस्केल्कुलिया के 5.5 प्रतिशत हैं। देश में 90 मिलियन लोग तेजी से सीखने में अक्षम होते हैं। आइआइटी की तकनीक पीड़ित बच्चों के लिए अतिरिक्त सहायता के रूप में कार्य करती है।-डिस्लेक्सिया व डिस्ग्राफिया बच्चे के विकास में बाधा उत्पन्न करती है। विशेषज्ञों की टीम ने जो तकनीक विकसित की है, वह बच्चों के लिए वरदान बन सकती है। एप में हिंदी भाषा को शामिल करने से हिंदी भाषी बच्चों को भी सीखने में आसानी होगी। -प्रो. अभय करंदीकर, निदेशक आइआइटी
कक्षा एक से पांच तक के छात्रों को होगी मदद
एप्लीकेशन से कक्षा एक से पांच तक के छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण देने में आसानी होगी। शुरुआत में हिंदी भाषी बच्चों के लिए एप तैयार किया गया है। बाद में अन्य भाषाओं को शामिल किया जाएगा। एप में बच्चे को अक्षर लिखा दिखाई देता है। जैसे ही बच्चा अक्षर के ऊपरी सिरे पर स्थित नीले बिंदु से नीचे गुलाबी बिंदु तक उंगली चलाता है तो साथ में पीली रेखा बनती जाती है।
अगर बच्चे की उंगली अक्षर से विचलित होती है तो पूरी पीली रेखा गायब हो जाती है और बच्चे को फिर वही प्रक्रिया दोहरानी पड़ती है। दूसरे चरण में बच्चों को पहेली के रूप में हिंदी अक्षरों के ज्यामितीय पैटर्न सिखाए जाते हैं। तीसरे चरण में 120 शब्दों को लिखने व समझने के लिए दृश्य, श्रव्य व स्पर्श माध्यम दिया गया है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।