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बर्फीले पहाड़ों पर जैकेट के अंदर ‘वार्म हग’ रखने से नहीं सताएगी सर्दी, आइआटी में बने उपकरण की कीमत भी काफी कम

आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने वार्म हग नाम से पट्टीनुमा उपकरण तैयार किया है इसे जैकेट के अंदर रखने से तापमान 55 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा। इससे गलेशियर पर तैनात सेना के जवानों को काफी रहात मिलेगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sat, 09 Jul 2022 11:34 AM (IST)
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आइआइटी कानपुर में वार्म हग बनाया गया है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। लद्दाख, कश्मीर के ग्लेशियरों पर तैनात जवानों को गर्माहट देने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग विभाग के विशेषज्ञों ने हीटर की तरह काम करने वाली एक एेसी इलेक्ट्रानिक पट्टी विकसित की है, जिसे किसी भी जैकेट में लगाया जा सकता है। खास बात ये है कि यह पट्टी मोबाइल फोन के पावर बैंक से भी चल सकेगी और मिनटों में पूरी जैकेट को गर्म कर देगी। संस्थान ने इसका नाम ‘वार्म हग’ दिया है।

वार्म हग को बनाने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले शोध स्थापना अधिकारी विश्वनाथ पांडा ने बताया कि यह विशेष पट्टी सभी भौगोलिक स्थितियों के लिए उपयुक्त है। यह विभिन्न चार्जिंग मोड में काम करके अलग-अलग तापमान उत्पन्न करती है। तापमान को इंगित करने के लिए विभिन्न रंग की रोशनी का इस्तेमाल किया गया है। नीले रंग की रोशनी का मतलब है कि उपकरण सबसे कम गर्मी उत्पन्न कर रहा है और लाल रंग की रोशनी इंगित करती है कि उपकरण सबसे ज्यादा गर्मी उत्पन्न कर रहा है।

महज 100 ग्राम वजन का यह उपकरण स्मार्टफोन के लिए इस्तेमाल होने वाली 2000 एमएएच (मिली एंपियर प्रति घंटा) क्षमता की बैटरी से भी संचालित होगा। फुल चार्ज बैटरी से यह 10 घंटे तक 16 से 55 डिग्री सेल्सियस तापमान उत्पन्न करेगा। इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. बाकर मजहरी ने बताया कि उपकरण एक प्रकार का हीटर है। इसे पारदर्शी व लचीली प्लास्टिक फिल्म की सतह पर इलेक्ट्रानिक्स तकनीक से बनाया गया है। इसमें बिजली के झटके का भी खतरा नहीं होता है। मैदान हो या पहाड़ या फिर ग्लेशियर, सभी जगह यह उपकरण अलग तापमान पैदा करके ठंड से बचाव कर सकता है। इसकी मदद से पहाड़ों पर लोगों को भारी जैकेट पहनने की भी जरूरत नहीं होगी।

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ने दिखाई रुचि : आइआइटी के इस अविष्कार का ट्रायल जल्द शुरू होगा। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) ने अपने जवानों के लिए वार्म हग में रुचि दिखाई है। ट्रायल के बाद आइआइटी प्रशासन बड़े पैमाने पर उत्पाद विकसित कराने के लिए यह तकनीक किसी कंपनी को हस्तांतरित कर सकता है।

तीन सौ से पांच सौ रुपये में उपलब्ध : एक पट्टी महज 300 से 500 रुपये में तैयार होती है, जो पूरी जैकेट को गर्म रख सकेगी। लोगों को केवल बैटरी चार्ज करने की जरूरत होगी। बैटरी से निकलने वाली ऊर्जा पट्टी को बनाने में इस्तेमाल की गई इलेक्ट्रानिक प्रिंटेड इंक में पहुंच कर उसे गर्म करती है। तापमान नियंत्रित करने के लिए सेंसर लगे हैं।

-संस्थान की ओर से विकसित इस विशेष पट्टी का प्रोटोटाइप तैयार किया गया है, इसके डिजाइन और कार्य को लोगों की जरूरत के मुताबिक ही बनाया गया है। विभिन्न मौसम की स्थितियों में इसका परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कराया जाएगा। -प्रो. अभय करंदीकर, निदेशक आइआइटी।

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