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चीन-अमेरिका के बाद भारत में भी रडार से बचने की तकनीक, IIT Kanpur में बने नैनो मैटीरियल से सेना को होगा खास लाभ

IIT Kanpur की स्टार्टअप कंपनी ने कार्बन और फेराइट आधारित नैनो मैटीरियल तैयार किया है जो रडार से निकली विद्युत चुंबकीय तरंगों को अवशोषित कर लेंगी। इसकी कोटिंग से लड़ाकू विमान पनडुब्बी आदि रडार की जद में नहीं आएंगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Thu, 04 Aug 2022 10:55 AM (IST)
चीन-अमेरिका के बाद भारत में भी रडार से बचने की तकनीक, IIT Kanpur में बने नैनो मैटीरियल से सेना को होगा खास लाभ
IIT Kanpur इस तकनीक से सेना को होगा खास फायदा।

कानपुर, चंद्रप्रकाश गुप्ता। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी IIT Kanpur) की स्टार्टअप कंपनी के विशेषज्ञों ने एक ऐसा नैनो मैटीरियल विकसित किया है, जिसकी किसी भी उपकरण में परत लगाने के बाद वह रडार की पकड़ में नहीं आ सकेगा। उसको रडार अब्जार्वर कोटिंग नाम दिया गया है।

यह तकनीक भारतीय सेना की तीनों शाखाओं के लिए उपयोगी होगी, उसकी मदद से दुश्मन की धरती पर किसी भी गोपनीय आपरेशन को अंजाम देना आसान होगा। रक्षा मंत्रालय के आइडेक्स (इनोवेशन फार डिफेंस एक्सीलेंस) कार्यक्रम के तहत इस तकनीक को शामिल कराने के लिए आवेदन किया गया है।

आइआइटी से मैटीरियल साइंस एंड इंजीनियरिंग में एमटेक और पीएचडी कर चुके डा. विशाल कुमार चक्रधारी ने पिछले वर्ष आरएफ नैनो कंपोजिट नाम से कंपनी बनाई थी, जिसे इसी वर्ष अप्रैल माह में संस्थान के स्टार्टअप इन्क्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआइआइसी) से समर्थित कराया। उन्होंने बताया कि रडार अब्जार्वर कोटिंग, कार्बन और फेराइट आधारित नैनो मैटीरियल को पालीमर के साथ मिलाकर बनाया गया है।

इसकी विशेषता है कि अगर किसी उपकरण या वस्तु पर इसको परत के रूप में लगाया जाएगा तो वह रडार, सोनार, इंफ्रारेड आदि से निकलने वाली विद्युत चुंबकीय तरंगों को अवशोषित कर लेता है। इससे वह उपकरण रडार की पकड़ में नहीं आता। यानी कि इस कोटिंग का इस्तेमाल लड़ाकू विमान, हेलीकाप्टर, मिसाइल, ड्रोन, जलीय यान, युद्धपोत, पनडुब्बी, टैंक आदि पर किया जाए तो दुश्मन के रडार की जद में नहीं आएंगे।

चीन, अमेरिका के पास ही है यह तकनीक

डा. विशाल ने बताया कि रडार की दृष्टि से किसी उपकरण को छिपाने की तकनीक अभी तक चीन, अमेरिका और रूस के ही पास है। अब भारत भी इस तकनीक को बनाने वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है। उन्होंने बताया कि यह तकनीक विभिन्न युद्ध के दौरान बेहद कारगर साबित होती है। यही नहीं, सर्जिकल स्ट्राइक और अन्य गोपनीय आपरेशन में भी इसकी अहम भूमिका होती है। यह तकनीक भारत के रक्षा क्षेत्र को ताकत देगी और विश्व में दबदबा बढ़ाएगी।

ईएमआइ परिरक्षण सामग्री भी बना रही कंपनी

कंपनी उन्नत ईएमआइ परिरक्षण (शील्डिंग) सामग्री भी विकसित करने की कोशिश कर रही है, जिसका उपयोग रक्षा व एयरोस्पेस क्षेत्र में किया जाता है। ईएमआइ परिरक्षण सामग्री की परत सभी तरह के इलेक्ट्रानिक्स उपकरणों को बाहरी विद्युत चुंबकीय हस्तक्षेप से होने वाले नुकसान से बचाती है। यह पदार्थ सभी तरह की माइक्रोवेव ऊर्जा को अवशोषित करने में सक्षम होगा। डा. विशाल ने बताया कि वर्तमान में इस सामग्री को विदेश से आयात करना पड़ता है।