वीडियो गेम खेलने से बढ़ता बच्चों का आइक्यू लेवल, टेककृति में प्रोफेसर बोले- पढ़ाई में भी होना चाहिये लागू
आइआइटी के उत्सव टेककृति में गैलीलियो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली लेमस ने वीडियो गेम खिलाकर बच्चों के आइक्यू लेवल की जांच के बाद सामने आए तथ्यों के आधार जानकारी दी वहीं गूगल क्लाउड के सीईओ ने टेकटाक में क्लाउड कंप्यूटिंग को समझाया।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sun, 27 Mar 2022 11:55 AM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। एक अध्ययन में मनोविज्ञानियों ने जब शिक्षा संबंधी वीडियो गेम खिलाकर बच्चों की क्षमता के स्तर की जांच की तो पता लगा कि उनके आइक्यू (इंटेलिजेंस क्योशंट यानी बुद्धिमत्ता स्तर) और ग्रेड में काफी सुधार मिला। स्पष्ट है कि पढ़ाई में शिक्षा संबंधी वीडियो बेहद जरूरी है और जितना जल्दी हो सके, इसको शिक्षा में लागू करना चाहिए...। गैलीलियो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली लेमस ने शनिवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ( आइआइटी) के वार्षिक तकनीकी और उद्यमशीलता उत्सव के 28वें संस्करण 'टेककृति-2022Ó में यह जानकारी दी।
टेककृति की इस वर्ष की थीम ट्रांसेंिंडग ओरििंजस है। उत्सव की शुरुआत गूगल क्लाउड के सीईओ थामस कुरियन के व्याख्यान से हुई। उन्होंने गूगल क्लाउड कंप्यूिंटग तकनीक की जानकारी दी। बताया कि क्लाउड कंप्यूटिंग 20 वर्षों में काफी विकसित हुई है। कहा कि जिस दर से प्रौद्योगिकी में सुधार हो रहा है, उस तेजी से उसे लागू करने की भी जरूरत है। दूसरे सत्र में नो ब्रोकर कंपनी के संस्थापक अमित अग्रवाल और सिटियस टेक के रिजवान कोइता के साथ पैनल चर्चा हुई। छात्रों के सवाल पर अमित ने बताया कि कि आइआइटी स्नातक की तरह उन्होंने कंसिंल्टग फर्मों में रहकर नौकरी की।
रिजवान ने बताया कि वर्ष 1990 के आसपास उद्यमिता का कोई क्रेज नहीं था। उन्होंने मैकिनजी में पांच साल तक काम किया और फिर 1999 में अपनी पहली बीपीओ फर्म ट्रांस वक्र्स शुरू की। इसे बाद में आदित्य बिड़ला समूह को बेच दिया था। इसके बाद बैचमेट के साथ मिलकर सिटियस टेक शुरू की। हाल ही में कंपनी के सीईओ का पद छोड़ा और बोर्ड में सलाहकार हैं। अमित ने छात्रों को सलाह दी कि अगर किसी व्यक्ति के पास पास कोई विचार या रुचि नहीं है, तो वह नौकरी कर सकता है। अगर विचार है तो स्टार्टअप शुरू करें।
प्रो, अली लेमस ने 'गेमीफाइंग आनलाइन कोर्स - रिस्पांस एक्सपेक्टेड विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि बच्चे ही नहीं, वयस्क भी वीडियो गेम खेलने में रुचि रखते हैं। इसमें खिलाडिय़ों की औसत आयु 40 वर्ष है। इन खिलाडिय़ों में 47 प्रतिशत महिलाएं हैं। वीडियो गेम से बच्चे सबसे बेहतर ढंग से समझते हैं। कामेडियन एक्टर साहिल शाह ने जीवन के यथार्थ को चुटीले अंदाज में समझाया।
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