IIT Kanpur : प्रोडक्ट असली है या नकली, चंद सेकेंड में चल जाएगा पता- चेको सॉफ्टवेयर बताएगा पूरी डिटेल
Checko Software चेको साफ्टवेयर के तहत किसी भी उत्पाद के लिए थ्री डी छवि के साथ 2डी कोड जारी किया जाता है। इस प्रक्रिया में पेटेंट तकनीक का प्रयोग किया जाता है जिससे इसकी नकल करना संभव नहीं है। स्मार्टफोन पर चेको स्कैनर डाउनलोड कर क्यूआर कोड वाले इस चेको लेवल को स्कैन करने पर उत्पादन संबंधी सभी जानकारी फोन की स्क्रीन पर सामने दिखने लगती है।
अखिलेश तिवारी, कानपुर : स्वर्ण आभूषण में जिस तरह हालमार्क का निशान शुद्धता की गारंटी है अब उसी तरह आइआइटी कानपुर में तैयार चेको साफ्टवेयर भी विभिन्न कंपनियों की उत्पादों की गारंटी ले रहा है। कंपनियों ने जो उत्पाद तैयार किया है वही आपके हाथ में है या बीच में किसी ने नकली उत्पाद तैयार कर बाजार में पहुंचा दिया है। इसकी जांच सेकंडों में यह साफ्टवेयर कर रहा है।
इसके लिए इंडियन आयल समेत देश की कई कंपनियों ने चेको के साथ करार किया है। चेको का प्रयोग मध्यप्रदेश कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन अपने सांची ब्रांड घी की शुद्धता के लिए भी कर रहा है। इसके अलावा जेके सीड्स, नेचरवाला, टीवीएस, हेला, डियागो जैसे ब्रांड भी चेको का प्रयोग कर रहे हैं।
आइआइटी, कानपुर के नेशनल सेंटर फार फ्लेक्सिबल इलेक्ट्रानिक्स में ऐसा अनोखा ‘थ्री-डी सिक्योर आफलाइन टैग’ का विकास किया गया है जिसमें किसी भी कंपनी के अलग-अलग उत्पादों के लिए अलग-अलग कोड निर्धारित किए जाते हैं। इस टैग को किसी भी सामान्य स्मार्टफोन (4-जी भी) की मदद से स्कैन कर उत्पाद की गुणवत्ता की संपूर्ण जानकारी पाई जा सकती है।
इसमें उत्पादन का समय, बैच नंबर से लेकर अन्य जानकारियां भी देखी जा सकेंगी। https://checko.ai का प्रयोग करने से जहां ग्राहकों को गुणवत्तायुक्त पदार्थ मिलने की गारंटी है। वहीं निर्माता कंपनियों को भी नक्कालों से छुटकारा मिल रहा है। अभी देश की बड़ी कंपनियों को अपने बाजार को बचाए रखने के लिए नकली उत्पादकों की पहचान करने और उनकी धर-पकड़ पर अतिरिक्त ऊर्जा व आर्थिक संसाधन लगाने पड़ रहे हैं।
2012-13 में शुरू किया गया काम : चेको प्रोजेक्ट के प्रमुख और आइआइटी कानपुर के मैटीरियल साइंस विभाग के प्रो. दीपक ने बताया कि इस प्रोजेक्ट पर काम 2012-13 में शुरू किया गया था। इसमें शिक्षक व छात्र दोनों ही शामिल रहे जिसमें प्रो. मोनिका कटियार, सतीश चंद्र, प्रणव अस्थाना, उत्कर्ष और प्रियंका प्रमुख हैं। टीम ने कई साल के प्रयोग के बाद सुरक्षित एक ऐसा क्यूआर कोड आधारित टैग सिस्टम तैयार किया है जिसके थ्रीडी होने की वजह से नकल करना संभव नहीं है और कोड में दर्ज सूचनाओं की नकल नहीं की जा सकती है।
नकली दवाओं पर लगेगी रोक : इस साफ्टवेयर के प्रयोग से देश में नकली दवाओं पर कठोर अंकुश लगाया जा सकता है। अभी नकली दवाओं के बारे में जब तक प्रयोगशाला रिपोर्ट न मिले तब तक पता लगाना मुश्किल है।जब इस साफ्टवेयर का प्रयोग किया जाएगा तो दवा निर्माता कंपनी के अलावा अगर कहीं दवा तैयार की जाएगी तो चेको.आइ के टैग से पता चल जाएगा कि वास्तव में उसे दवा निर्माता कंपनी ने तैयार किया है या कहीं जालसाजों ने बनाया है।
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