दुश्मनों को तबाह करेगा IIT कानपुर का कामीकाजी ड्रोन, अमेरिका से 10 गुणा बेहतर डिजाइन हुई तैयार; पढ़ें खासियतें
आईआईटी कानपुर का कामीकाजी ड्रोन भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। यह 50 मिनट में 100 किमी की दूरी तय कर सकता है और 6 किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकता है। यह ड्रोन दुश्मनों को तबाह करने के लिए आत्मघाती हमला करता है। आईआईटी की सेमीकंडक्टर कंपनी ने भी एक ऐसी कंप्यूटर चिप तैयार की है जो वायरलेस सिस्टम में लगाई जाएगी।
जागरण संवाददाता, कानपुर। आइआइटी कानपुर का कामीकाजी ड्रोन अगले छह महीने के दौरान भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है। छह किलो ग्राम विस्फोटक के साथ 50 मिनट में 100 किमी की दूरी तय करने के बाद कामीकाजी ड्रोन यानी आत्मघाती हमलावर अपने निशाने पर गिरकर दुश्मन को तबाह कर देगा।
आइआइटी की सेमीकंडक्टर क्षेत्र में काम कर रही कंपनी ने भी ऐसी कंप्यूटर चिप तैयार की है जो वायरलेस सिस्टम में लगाई जाएगी। यह चिप अमेरिकी कंपनियों से 10 गुणा बेहतर और तीन गुणा सस्ती है जिसमें बैटरी खर्च भी तीन गुणा कम हो जाएगा। यह कंपनी भी रक्षा क्षेत्र के साथ काम करने के लिए तैयार है और अगले दो साल के दौरान लगभग 15 हजार करोड़ रुपये का आयात घटा देगी।
आइआइटी कानपुर की स्टार्टअप कंपनी वीयू डायनमिक्स ने कामीकाजी ड्रोन तैयार किया है। इसका शुरुआती परीक्षण किया जा चुका है। कंपनी के फाउंडर एवं आइआइटी प्रो. सुंदरम सड्रीला ने बताया कि यह ड्रोन पूरी तरह से भारतीय संस्करण है। इसे आइआइटी की फ्लाइंग लैब में दो साल से अधिक समय में विकसित किया गया है।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दो नवंबर को आइआइटी आने पर इसे देखा और सराहा है। यह ऐसा ड्रोन सिस्टम है जिसे उड़ान भरने के लिए किसी हवाई पट्टी की जरूरत नहीं है। इसे एक लांचर अथवा कैनस्टर की मदद से उड़ान पर भेजा जा सकता है। इसके दो वर्जन हैं। दो किलोग्राम विस्फोटक लेकर 40 किमी तक और दूसरा संस्करण छह किलो वजन के साथ 100 किमी तक जा सकता है।
इसमें लक्ष्य पर सटीक निशाना साधा जा सकता है। इसके उडान भरने से पहले ही लक्ष्य के बारे में पूरी जानकारी और रूटमैप को दर्ज कर दिया जाता है। अगर जीपीएस फेल भी हो जाए तो भी यह ड्रोन सिस्टम अपने लक्ष्य पर पहुंचकर ही गिरेगा। उड़ान के समय इसकी गति 120 किमी प्रति घंटा और लक्ष्य पर गिरने के दौरान 200 किमी प्रति घंटा होती है।
सेमीकंडक्टर कंपनी करेगी रक्षा क्षेत्र में सहयोग
अनंत सिस्टम्स के संस्थापक सीईओ चितरंजन सिंह के अनुसार उनकी कंपनी ने वायरलेस कम्यूनिकेशन के क्षेत्र में काम शुरू किया है। ऐसी कंप्यूटर चिप तैयार करने में सफलता मिली है जो गुणवत्ता में अमेरिकी कंपनियों के मुकाबले 10 गुणा बेहतर और तीन गुणा कम बैटरी का उपयोग करेगी। इसकी कीमत भी तीन गुणा सस्ती है।
भारत के रक्षा क्षेत्र समेत विभिन्न संचार कंपनियों में इसका प्रयोग किया जा सकेगा। टाटा की तेजस कंपनी के साथ बातचीत चल रही है। उन्होंने बताया कि अगले सात से आठ साल के दौरान 60 से 70 हजार करोड़ रुपये का चिप आयात घटाने में मदद मिलेगी।आइआइटी स्टार्टअप कंपनी एक्सटेरा रोबोटिक्स के सीईओ आदित्य प्रताप सिंह राजावत ने बताया कि उनकी कंपनी ने सुवन रोबोट बनाया है जो चार पैरों पर चलता है। इसे दुश्मन क्षेत्र में निगरानी के लिए भेजा जा सकता है। जहां से यह वीडियो संदेश के साथ फोटो और ऑडियो भी भेज सकता है। यह तेल और गैस, बिजली संयंत्रों , खनन जैसे उद्योगों में सुरक्षा और दक्षता बढ़ाने के साथ-साथ नागरिक और रक्षा क्षेत्र में भी उपयोगी है।
यह आपदा प्रबंधन के अलावा सुरक्षा और निगरानी में भी काम लाया जा सकता है। स्टार्टअप समूह के निदेशक और सह-संस्थापक प्रो. शक्ति एस गुप्ता, सह-संस्थापक निमेश खंडेलवाल, अविनाश भास्कर और अमृतांशु मनु ने इसके विकास में काम किया है।आइआइटी के स्टार्टअप एवं इनोवेशन सेंटर के प्रभारी प्रोफेसर प्रो. दीपू फिलिप ने बताया कि दो नवंबर को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के आइआइटी आने पर 23 कंपनियों के उत्पादों का प्रस्तुतीकरण किया गया है। कई कंपनियों के नवाचार और उत्पादों की उन्होंने सराहना की है। डीआरडीओ अध्यक्ष डा. समीर कामत के साथ रक्षा आवश्यकताओं के अनुरूप छह परियोजनाओं का करार किया गया है।
आइआइटी की कई कंपनियां ऐसी हैं जो रक्षा क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने एआइ के क्षेत्र में एक एक्सीलेंस सेंटर आइआइटी को दिया है। इसके लिए 10 करोड़ रुपये का फंड भी मिल गया है।
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