कानपुर: शहर-शहर घूमकर प्रदूषण की रोकथाम में सहायक बनेगी आइआइटी की मोबाइल प्रयोगशाला, तीन वैज्ञानिक होंगे तैनात
केंद्र सरकार के सैद्धांतिक वैज्ञानिक सलाहकार से स्वीकृति के बाद आइआइटी लगातार प्रदूषण की रोकथाम के लिए काम कर रहा है। इसी परियोजना के तहत मोबाइल प्रयोगशाला तैयार की गई है। इसमें तीन विज्ञानियों के बैठने का स्थान होगा और सेंसर स्थापित करके मोबाइल लैब में आकलन किया जाएगा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम प्रदूषणकारी भारी यातायात कूड़ा जलने के समय अवशेष फिल्टर पर लेकर परीक्षण करती है।
फिल्टर पर सटीक नहीं आते आंकड़े
इन विभागों का है संयुक्त प्रयास
सिविल इंजीनियरिंग विभाग, सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग व कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग विभाग।ये टीम रही शामिल: प्रोफेसर पुरुषोत्तम कार व 15 विज्ञानियों की टीम
एडवांस टेक्नोलॉजीज फॉर मॉनीटरिंग एयर क्वालिटी इंडीकेटर्स नंबर (आत्मन) की परियोजना का ये दूसरा महत्वपूर्ण हिस्सा है। दो मोबाइल लैब तैयार कराई जा रही हैं। प्रमुख शहरों में एक साल तक इन्हें रोककर औद्योगिक, वाणिज्यिक, रिहायशी और शांत क्षेत्रों (अस्पताल और स्कूल) में बारी-बारी आकलन किया जाएगा। इसके अत्याधुनिक सेंसर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से प्रदूषण के आंकड़ों का बारीकी से त्वरित व सटीक परीक्षण करेंगे और इसकी रिपोर्ट पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और ग्राम्य विकास विभाग व शहरों में नगर निगमों को उपलब्ध कराए जाएंगे, ताकि वह समस्या के स्रोत पर ही निदान कर सकें। - प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी, विभागाध्यक्ष, सिविल इंजीनियरिंग विभाग
ये उपकरण उपलब्ध रहेंगे लैब में
- एयरोसोल मास स्पेक्ट्रोमीटर
- रियल टाइम मेटल मॉनीटर (भारी धातु की जांच के लिए)
- एथलोमीटर (ब्लैक कार्बन मॉनीटर)
- बीटा एटामिनेशन मॉनीटर (पर्टिकुलेट मैटर आकलन के लिए)
- गैस एनालाइजर (कार्बन, नाइट्रोजन, सल्फर डाई ऑक्साइड, ओजोन)
- स्कैनिंग मोबिलिटी पार्टिकल साइजर (पार्टिकल का आकार जानने को)
- आप्टिकल पार्टिकल साइजर (बड़े पार्टिकल का आकार जानने को)