इम्युनिटी बूस्टर शहद बनाएगा सीएसए, खास पेड़ों के पास पाली जाएंगी मधुमक्खियां
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले पेड़ों के नजदीक मधुमक्खी पालन की तैयारी की जा रही है। राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड से बजट मिल गया है। पेड़ और पौधों में परागण प्रक्रिया तेज होने से उत्पादन बढ़ेगा।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना संक्रमण की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। खाने पीने में ऐसी सामग्री, फल और पदार्थाें का उपयोग हो रहा है, जिनमें विटामिन, मिनरल्स, मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम, सोडियम समेत अन्य महत्वपूर्ण तत्व की अधिकता हो। यह सब शहद में मिलता हैं, लेकिन सवाल उसकी गुणवत्ता पर उठता है। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के विशेषज्ञ इम्युनिटी बूस्टर वाले शहद तैयार करने जा रहे हैं। इसके लिए विश्वविद्यालय को राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड से 10 लाख रुपये का बजट मिला है। विश्वविद्यालय में अलग से शहद की लैब खोलने की तैयारी है। मधुमक्खियों को रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले पेड़ों के पास पाला जाएगा। इसमें सहजन, जामुन, नीम, गूलर आदि के पेड़ शामिल हैं। इस विधि से तैयार शहद की गुणवत्ता का आकलन किया जाएगा।
फसलों का उत्पादन भी बढ़ेगा
मधुमक्खियों के फूल से रस चूसने के दौरान परागण की प्रक्रिया होती है, जिससे बेहतर फूल और फल आते हैं। इस प्रक्रिया में फसलों और फलों का बेहतर उत्पादन होता है। सीएसए में शहद के साथ ही फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर भी शोध किया जाएगा।
मधुमक्खियों के स्वभाव पर नजर
कीट विज्ञान विभाग मधुमक्खियों के स्वभाव पर नजर रखेगा। वह किस समय सक्रिय होती हैं, किस समय शांत हो जाती हैं। रस तैयार करने की प्रक्रिया को किस तरह से बढ़ाया जा सकता है। नई फसलों के नजदीक पालन से कितना रस मिलता है, इन बिंदुओं पर शोध किया जाएगा।
- मीडिया प्रभारी डा. खलील खान ने बताया कि शोध के साथ ही विश्वविद्यालय परिसर में अत्याधुनिक लैब बनाने की योजना है। यहां पर किसानों और आमजन के लिए शहद की गुणवत्ता की जांच की जा सकेगी। शोध को बढ़ावा मिलेगा।
- कुलपति डा. डीआर सिंह ने बताया कि किसानों को शहद निर्माण का प्रशिक्षण दिया जाएगा। शहद की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए परिसर में हर्बल पौधे लगाए जा रहे हैं।