वैश्विक रक्षा क्षेत्र में बढ़ता भारत का कद, दो बिलियन डॉलर के हथियारों का किया निर्यात; मिसाइल निर्माण में बना आत्मनिर्भर
India Defence Export भारत आज मिसाइल बनाने के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है। अभी तक भारतीय सेना के लिए हथियार और प्लेटफार्म दूसरे देशों से आयात होते थे लेकिन पिछले एक साल में दो बिलियन डालर की कीमत के हथियार सहित अन्य सैन्य उत्पादों का निर्यात किया गया है। डीआरडीओ चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने रविवार को रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (डीएमएसआरडीई) में इसका दावा किया।
जागरण संवाददाता, कानपुर। India Defence Export: भारत वर्तमान में वैश्विक मानकों के अनुसार, देश में मिसाइलों का निर्माण कर रहा है। भारत आज मिसाइल बनाने के क्षेत्र में आत्मनिर्भर है। अभी तक भारतीय सेना के लिए हथियार और प्लेटफार्म दूसरे देशों से आयात होते थे लेकिन पिछले एक साल में दो बिलियन डालर की कीमत के हथियार सहित अन्य सैन्य उत्पादों का निर्यात किया गया है।
भारत रक्षा क्षेत्र में अगले 10 सालों में अग्रणी निर्यातक बनने के साथ विश्व का नेतृत्व करेगा। डीआरडीओ चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने रविवार को रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (डीएमएसआरडीई) में इसका दावा किया।
पूर्व राष्ट्रपति कलाम की प्रतिमा का अनावरण
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की जीटी रोड स्थित इकाई डीएमएसआरडीई के गेट पर पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की करीब 220 किलो वजन की पीतल धातु की प्रतिमा का निदेशक डॉ. मयंक द्विवेदी के साथ अनावरण किया।चेयरमैन ने कहा कि डीआरडीओ देश में एक प्रथम अनुसंधान और विकास संगठन है जो रक्षा में आरएंडडी करता है। वर्तमान में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस जैसी अन्य नई प्रौद्योगिकियों के आने से युद्ध के तरीके बदले हैं।डीआरडीओ के वैज्ञानिक नई प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान व विकास पर काम करने के साथ सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल, हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल, क्रूज मिसाइल सहित अन्य आधुनिक मिसाइलों पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रबल संभावना है कि अगले 15 साल में भारत डिफेंस क्षेत्र में बड़ा नेतृत्वकर्ता बनेगा।
रक्षा आरएंडडी में भारत को यूएस और चीन के बराबर बजट खर्च करने की जरूरत
चेयरमैन डॉ. समीर ने चुनौतियों के बारे में कहा कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आरएंडडी के क्षेत्र में यूएस और चीन की बराबरी करने के लिए उनके बराबर 15 प्रतिशत बजट खर्च करने की जरूरत है। अभी भारत रक्षा बजट से महज पांच से छह प्रतिशत ही राशि आरएंडडी पर खर्च करता है। फिर भी डीआरडीओ कम बजट में रक्षा क्षेत्र में बेहतर आरएंडडी करके सेना को मजबूती दे रहा है। अब रक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत की आत्मनिर्भर नीति के तहत निजी क्षेत्रों की कंपनियों को हथियार और प्लेटफार्म सिस्टम आपूर्ति करने के आर्डर मिलेंगे, तो वाे भी अपना बजट आरएंडडी में निवेश करेंगे। इससे आरएंडडी इको सिस्टम तेजी से विकसित होगा।यह भी पढ़ें:UP Weather Update: प्रदेश में सबसे सर्द रहा कानपुर, अगले महीने तक भी राहत की उम्मीद नहीं; कोहरे ने बढ़ाया खतरा
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