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Bangladesh Protest: बांग्लादेश में तख्तापटल से बढ़ेंगी भारत की मुश्किलें, हिंद महासागर में चीन के दखल की आशंका

बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे को लेकर शेख हसीना सरकार का तख्तापलट हो गया है। अब वहां पर सेना अंतरिम सरकार बनाएगी। शेख हसीना सरकार का सत्ता से बाहर होने के बाद इसका सीधा असर भारत पर पड़ेगा। पड़ोसी देश में अस्थिरता और अराजकता का असर भारत की सुरक्षा पर भी पड़ेगा। बांग्लादेश हिंसा के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिशों से भी इन्कार नहीं किया जा सकता।

By akhilesh tiwari Edited By: Abhishek Pandey Updated: Tue, 06 Aug 2024 12:53 PM (IST)
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बांग्लादेश की अस्थिरता से भारत की बढ़ेंगी मुश्किलें

जागरण संवाददाता, कानपुर। बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर हो रही हिंसा के बाद शेख हसीना सरकार के सत्ता से बाहर होने का सीधा असर भारत पर पड़ेगा। भारत की कई व्यापारिक परियोजनाएं बांग्लादेश के साथ क्रियान्वयन के स्तर पर हैं।

उपद्रव के बाद वहां से पलायन होता है तो इसका सीधा दबाव भारत पर पड़ना तय है। पड़ोसी देश में अस्थिरता और अराजकता का असर भारत की सुरक्षा पर भी पड़ेगा। ये बातें एसएन सेन डिग्री कालेज के राजनीति विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डा. रश्मि गुप्ता ने जागरण विमर्श कार्यक्रम में कहीं।

उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के पीछे बांग्लादेश सरकार की आरक्षण नीति है लेकिन इसके पीछे राजनीतिक और अंतरराष्ट्रीय साजिशों से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। आरक्षण के जिन्न से निपटने में शेख हसीना सरकार फेल हो गई है।

स्वाधीनता सेनानियों की चौथी पीढ़ि को दिया जा रहा आरक्षण

बांग्लादेश के आजाद होने के बाद वहां की सरकार ने स्वाधीनता सेनानियों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया। इसके बाद उनकी संतानों और अब चौथी पीढ़ी को आरक्षण दिया जा रहा है। इसका विरोध वहां के लोग ही कर रहे हैं। हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब शेख हसीना ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले तक सभी को इंतजार करने को कहा लेकिन इससे पहले ही जनता ने उपद्रव शुरू कर दिया।

उन्होंने बताया कि जिस तरह की सूचनाएं आ रही हैं, इसके अनुसार बांग्लादेश की सेना भी इस आंदोलन को हवा दे रही है। सेना ने ही तख्ता पलट कराया है और अब वही शासन की बागडोर संभालने को तैयार है।

एशियाई देशों में देखा गया है कि सैन्य शक्तियों ने लोकतांत्रिक सरकारों का तख्ता पलट करने में अहम भूमिका निभाई है। भारत इसका अपवाद है क्योंकि भारत में सैन्य शक्तियों का प्रमुख भी राष्ट्रपति को बनाया गया है। बांग्लादेश के मौजूदा अराजक माहौल की वजह से बड़ी तादाद में शरणार्थियों के भारत आने का खतरा बढ़ रहा है।

बांग्लादेशी शरणार्थी बन सकते हैं मुसीबत

भारत सरकार को ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी। राज्य सरकारों की मदद से शुरुआती स्तर पर ही समस्या को नियंत्रित करना होगा, जिससे बांग्लादेशी शरणार्थी भारत की आबादी के लिए खतरा न बनें।

उन्होंने कहा कि भारत के आसपास के देशों में सत्ता का संघर्ष कई सालों से निरंतर चल रहा है। पूरब-पश्चिम और दक्षिण तीनों ही दिशा में अस्थिरता बढ़ रही है। इससे हिंद महासागर में चीन के दखल की आशंका भी बढ़ रही है। अस्थिरता के लिए चीन की साम्राज्यवादी सोच को भी जिम्मेदार माना जा रहा है। भारत सरकार के लिए जरूरी है कि बांग्लादेश में जिसके भी हाथ में सत्ता की बागडोर आए उसके साथ से समन्वयवादी तरीका अपनाकर अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने का यत्न करे।

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