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सस्ते सोलर पैनल बनाने में चीन को टक्कर देगा भारत, IIT कानपुर ने तैयार की पड़ोसी देश से 10 गुणा सस्ती तकनीक

आइआइटी कानपुर के सतत ऊर्जा विभाग के प्रो. केएस नलवा ने यह अनुसंधान पूरा किया है। उन्होंने पेरोव्स्काइट सेल के प्रयोग से सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए पैनल तैयार किया है। पेरोव्स्काइट सेल को दुनिया में सबसे पहले 2009 में तैयार किया गया। यह सौर ऊर्जा उत्पादन का अच्छा माध्यम है लेकिन पेरोव्स्काइट सेल की उम्र बेहद कम (छह माह) है।

By akhilesh tiwari Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Mon, 04 Mar 2024 06:56 PM (IST)
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आइआइटी कानपुर ने तैयार की चीन से दस गुणा सस्ती सौर ऊर्जा तकनीक
अखिलेश तिवारी, कानपुर। आइआइटी कानपुर के विज्ञानियों ने सतत ऊर्जा लक्ष्य की दिशा में क्रांतिकारी अनुसंधान किया है। सौर ऊर्जा उत्पादन की मौजूदा सिलिकान सेल के विकल्प के तौर पेरोव्स्काइट सेल तकनीक विकसित की है जो लागत में दस गुना तक सस्ती है।

पूरी दुनिया में इससे सौर ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य को कम लागत में आसानी से हासिल किया जा सकेगा। अनुसंधान से सिलिकान सेल उत्पादन में चीन के एकाधिकार को टक्कर मिलेगी और भारत भी सोलर पैनल का प्रमुख उत्पादक देश बन सकेगा।

आइआइटी कानपुर के सतत ऊर्जा विभाग के प्रो. केएस नलवा ने यह अनुसंधान पूरा किया है। उन्होंने पेरोव्स्काइट सेल के प्रयोग से सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए पैनल तैयार किया है। पेरोव्स्काइट सेल को दुनिया में सबसे पहले 2009 में तैयार किया गया।

यह सौर ऊर्जा उत्पादन का अच्छा माध्यम है, लेकिन पेरोव्स्काइट सेल की उम्र बेहद कम (छह माह) है। अधिक गर्मी और आर्द्रता को पेरोव्स्काइट सेल सह नहीं पाते और पूरी तरह खराब हो जाते हैं। चीन ने इसीलिए सौर ऊर्जा उत्पादन में सिलिकान सेल का प्रयोग किया है।

आइआइटी में प्रो. नलवा ने पेरोव्स्काइट सेल की इसी कमी को दूर किया है। उन्होंने कुछ अन्य पदार्थाें के मिश्रण का प्रयोग कर पेरोव्स्काइट सेल में वर्षा या ओस पड़ने के दौरान पहुंचने वाली नमी को प्रवेश से रोक दिया। सेल की कुछ अन्य कमियों को दूर करने के लिए उन्होंने सोलर सेल पर कार्बन की परत बिछाई है। इससे पराबैंगनी किरणों का पेरोव्स्काइट सेल तक पहुंचना रुक गया।

प्रो. नलवा (फाइल फोटो)

तकनीक के इस बदलाव से पेरोव्स्काइट सेल की उम्र दो साल तक बढ़ाने में मदद मिली। अब पेरोव्स्काइट सेल को पांच साल तक टिकाऊ बनाए रखने पर शोध हो रहा है। अंतिम दौर में पहुंचे प्रयोग के जल्द सकारात्मक परिणाम सामने आने की संभावना है।

पेरोव्स्काइट सेल

पेरोव्स्काइट की कीमत सिलिकान के मुकाबले दस प्रतिशत से भी कम है। इससे पेरोव्स्काइट सेल के सोलर पैनल की कीमत भी सिलिकान सेल पैनल से दस गुना तक कम करना संभव होगा। इस सेल की सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता भी सिलिकान सेल के बराबर यानी 26 प्रतिशत मिली है।

सौर ऊर्जा उत्पादन लक्ष्य होगा आसान

पीएम नरेन्द्र मोदी ने एक करोड़ घरों की छत पर सौर ऊर्जा उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य रखा है। तीन किलोवाट सौर ऊर्जा सिस्टम पर लगभग एक लाख 80 रुपये का खर्च आता है। इसमें सौर पैनल की कीमत 90 हजार अनुमानित है। पेरोव्स्काइट सेल के पैनल का प्रयोग करने से यह लागत नौ हजार रह जाएगी।

ग्लोबल सोलर एनर्जी सिस्टम के निदेशक अरविंद पांडेय के अनुसार इसका बड़ा लाभ सौर ऊर्जा निर्माता कंपनियों को होगा। एक मेगावाट के सिलिकान सेल संयंत्र की लागत चार से पांच करोड़ रुपये के बीच है। इसमें सोलर पैनल की कीमत लगभग दो करोड़ रुपये है।

यह कीमत 20 लाख रह जाती है तो दो मेगावाट का उत्पादन उसी धनराशि में हो जाएगा और कुल लाभ डेढ़ गुना तक बढ़ सकता है। उत्तर प्रदेश-न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (यूपी-नेडा) के परियोजना अधिकारी आनंद दीक्षित ने कहा कि पेरोव्स्काइट सेल की उम्र बढ़कर पांच साल भी हो जाती है और लागत 10 प्रतिशत है तो हम चीन से आयात बंद करने में सफल हो जाएंगे।

पेरोव्स्काइट सेल की सबसे बड़ी कमी अधिक गर्मी और नमी में खराब हो जाना है। दोनों ही स्थितियों पर नियंत्रण पाने में कामयाब रहे हैं। अभी दो साल का सफल प्रयोग किया है और पांच साल उम्र वाले सेल पर शोध किया जा रहा है। इसके बाद 10 साल तक खराब नहीं होने वाला पेरोव्स्काइट सेल तैयार करेंगे। - प्रो. केएस नलवा, सतत ऊर्जा विभाग, आइआइटी कानपुर

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