Indian Railway: लंबी दूरी की ट्रेनों में बीमार पड़ रहे यात्री, 350 से अधिक शिकायतें, जानिए क्या है कारण?
वर्तमान में लंबी दूरी की ट्रेनों में 45-50 साल या उससे अधिक उम्र के यात्री बीमार पड़ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर को ब्लड प्रेशर बढ़ने उल्टी जी मिचलाने और दस्त की शिकायत रही। सेंट्रल स्टेशन पर रेलवे के रिकार्ड के अनुसार सितंबर की पहली तारीख से आखिरी दिन तक 350 से अधिक ऐसे मामले आए हैं जिनमें यात्रियों ने कंट्रोल रूम में बीमार पड़ने की शिकायत दर्ज कराई।
By Jagran NewsEdited By: Siddharth ChaurasiyaUpdated: Tue, 03 Oct 2023 10:13 PM (IST)
जागरण संवाददाता, कानपुर। दिल्ली से कामाख्या तक जा रही ब्रह्मपुत्र मेल के कोच एम-4 में बिहार के किशनगंज के सोफी लट्टीफुर रहमान अचानक बीमार पड़ गए। सेंट्रल स्टेशन पर कोच का टूटा स्प्रिंग ठीक करने के कारण गाड़ी तीन घंटे तक खड़ी रही। 25 सितंबर की इस घटना में उनकी मृत्यु हो गई। इसी तरह बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस के जनरल कोच के यात्री राकेश ने रेलवे कंट्रोल रूम में ब्लड प्रेशर बढ़ने की शिकायत दर्ज कराई, जिन्हें सेंट्रल पर दवा दी गई।
ये मामले महज बानगी हैं। वर्तमान में लंबी दूरी की ट्रेनों में 45-50 साल या उससे अधिक उम्र के यात्री बीमार पड़ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर को ब्लड प्रेशर बढ़ने, उल्टी, जी मिचलाने और दस्त की शिकायत रही। सेंट्रल स्टेशन पर रेलवे के रिकार्ड के अनुसार, सितंबर की पहली तारीख से आखिरी दिन तक 350 से अधिक ऐसे मामले आए हैं, जिनमें यात्रियों ने कंट्रोल रूम में बीमार पड़ने की शिकायत दर्ज कराई।
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इसके लिए रेलवे ने अब और सक्रियता बढ़ाई है। दवाओं का विशेष इंतजाम भी किया गया है। रेलवे के एक चिकित्सक के अनुसार, शिकायत के बाद जांच करने पर ज्यादातर यात्रियों का सफर 50 घंटे से अधिक तक का रहा। लंबी दूरी की ट्रेनें दो से तीन दिन में गंतव्य तक पहुंचती हैं। इससे गर्मी में स्लीपर व साधारण कोच के यात्रियों को अधिक समस्या होती है। कई बार लगातार वातानुकूलित कोच में यात्रा करने पर भी समस्याएं आ जाती हैं।
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- बुजुर्ग यात्री अकेले यात्रा न ही करें तो ज्यादा अच्छा है।
- ट्रेन में यात्रा करते समय बीमार अपनी दवा लेकर चलें।
- खुले में रखी वस्तुएं न खरीदें, अवैध वेंडरों से सामान न लें।
- यात्रा करते समय कम से कम भोजन करना ज्यादा बेहतर।
सेंट्रल स्टेशन पर यात्रियों की सुविधा के लिए 24 घंटे चिकित्सक तैनात रहते हैं। कंट्रोल रूम पर सूचना मिलते ही उन्हें उचित दवा उपलब्ध कराई जाती है। पिछले महीने कई गंभीर मरीजों का अच्छे से उपचार किया गया।
- आशुतोष सिंह, सेंट्रल स्टेशन के निदेशक।
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