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Air Pollution: आइआइटी के सेंसर से प्रदूषण की होगी सघन निगरानी, यूपी-बिहार में किया जा रहा है उपयोग

वायु प्रदूषण के स्तर और स्रोत की पहचान के लिए उप्र और बिहार में सेंसर लगाए जा रहे हैं। आइआइटी कानपुर के एक्सीलेंस सेंटर ‘आत्मन’ में एआइ और एमएल से रिपोर्ट तैयार होगी। आइआइटी कानपुर का एक्सीलेंस सेंटर ‘आत्मन’ वायु प्रदूषण के मौजूदा घटते-बढ़ते स्तर के आंकड़ों के बजाय लोगों को अब यह बताने की तैयारी कर रहा है कि प्रदूषित हवा का घनत्व कितना और कहां है।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarUpdated: Mon, 20 Nov 2023 05:41 AM (IST)
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आइआइटी के सेंसर से प्रदूषण की होगी सघन निगरानी (सांकेतिक तस्वीर)
अखिलेश तिवारी, कानपुर। दिल्ली समेत देश के कई शहरों में बड़ी चिंता का विषय बन चुके वायु प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई में एक नई उम्मीद जगी है। प्रदूषण की सघन निगरानी के लिए प्रभावी हथियार बनेंगे आइआइटी कानपुर के सेंसर। आइआइटी कानपुर का एक्सीलेंस सेंटर ‘आत्मन’ वायु प्रदूषण के मौजूदा घटते-बढ़ते स्तर के आंकड़ों के बजाय लोगों को अब यह बताने की तैयारी कर रहा है कि प्रदूषित हवा का घनत्व कितना और कहां है।

सेंसर ऐसे करेगा काम

प्रदूषित हवा का एयर शेड यानी वायु समूह किस क्षेत्र में निर्मित हो रही है और हवा के बहाव से इसके किस दिशा में कहां तक पहुंचने की संभावना है। इस विश्लेषण में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) और मशीन लर्निंग (एमएल) को शामिल किया गया है। आत्मन (एडवांस्ड टेक्नोलाजीज फार एयर क्वालिटी आइ इंडिकेटर) देश में पहली बार वायु प्रदूषण की वास्तविक स्थिति और उसके स्रोत की पहचान करने जा रहा है।

दूसरे क्षेत्रों से प्रदूषणकारी हवा पहुंच रही है

सेंटर की ओर से उत्तर प्रदेश और बिहार के हर विकास खंड में लगाए जा रहे प्रदूषण मापी सेंसर से वायु गुणवत्ता की तस्वीर दिखने लगी है। पाया गया है कि दोनों राज्यों में ऐसे जिले भी हैं जहां प्रदूषणकारी गैसों का उत्सर्जन लगभग शून्य है, लेकिन वहां दूसरे क्षेत्रों से प्रदूषणकारी हवा पहुंच रही है। कई जिलों में हरे रंग के एयर शेड भी देखे गए हैं जो पूरे क्षेत्र में वायु गुणवत्ता की कहानी बता रहे हैं। इससे प्रदूषण को रोकने व सामान्य जनजीवन को प्रभावित होने से बचाने के उपाय लागू किए जा सकेंगे।

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वायु गुणवत्ता जांचने वाले 1400 स्वदेशी सेंसर लगाए जा रहे

आत्मन सेंटर के प्रमुख और आइआइटी के सिविल इंजीनियरिंग व सस्टेनेबल एनर्जी इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी के अनुसार यूपी और बिहार के सभी विकासखंड और शहरों में वायु गुणवत्ता जांचने वाले 1400 स्वदेशी सेंसर लगाए जा रहे हैं। 18 नवंबर, 2023 तक 846 सेंसर लगाए जा चुके हैं। यह देश का सबसे बड़ा सेंसर आधारित वायु गुणवत्ता मापक नेटवर्क है। इसकी रिपोर्ट का विश्लेषण कर यह निष्कर्ष निकाला जा सकेगा कि किस क्षेत्र में प्रदूषण का स्तर किस समय कितना होगा।

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