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असीम अरुण ने नए पत्र से साफ की अपनी मंशा, कन्नौज के लिए अपनी सोच काे किया बयां, और भी बहुत कुछ कहा

पुलिस कमिश्नर पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन शासन से मंजूर होने के बाद असीम अरुण लगातार पोस्ट के जरिए लोगों को संदेश दे रहे हैं। शनिवार को असीम अरुण ने एक और संदेश पत्र पोस्ट किया जो इंटरनेट मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

By Abhishek VermaEdited By: Updated: Sat, 15 Jan 2022 08:48 PM (IST)
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असीम अरुण ने शनिवार को अपने फेसबुक पेज पर एक और संदेश पोस्ट किया है।

कानपुर, जागरण संवाददाता। पुलिस कमिश्नर पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति का आवेदन कर राजनीति में कदम रखने वाले आईपीएस असीम अरुण अपने फेसबुक अकाउंट से लगातार संदेश पत्र पोस्ट कर रहे हैं। शनिवार को एक और संदेश वायरल हो रहा है। इसमे उन्होंने मख़मली जिंदगी बनाम दलित/ वंचित सेवा नाम से एक पत्र पोस्ट किया है। इसमें उन्होंने मकर संक्रांति का जिक्र करके अपने पत्र की शुरूआत की है और अपने आईपीएस के 28 वर्ष के कैरियर को संतोषदायक बातया। साथ ही लोक सेवा में आने का मौका देने के लिए भारतीय जनता पार्टी का अाभार व्यक्त किया। असीम अरुण ने इस पत्र में आने वाले समय की चुनौतियों का भी जिक्र किया है। असीम अरुण ने अपने परिवार के बारे में पत्र में जिक्र किया उन्होंने और भी बहुत कुछ अपने इस संदेश पत्र में कहा है।

पत्र के जरिए यह संदेश दिया

मख़मली जिंदगी बनाम दलित/ वंचित सेवा

जय हिंद,

आज पुलिस सेवा का मेरा अंतिम और लोक सेवा का पहला दिन है. यह दिव्य संयोग है कि आज जब सूर्य देव एक राशि से दूसरी में संक्रान्ति कर रहें, उनका यह अरुण भी सरकारी सेवा से लोक सेवा की ओर कदम बढ़ा रहा है. आईपीएस के 28 वर्ष का कैरियर अत्यंत संतोषदायक रहा और यही मेरी पहचान है. मैं भारतीय जनता पार्टी का बहुत आभारी हूँ कि पार्टी ने मुझमें ऐसा कुछ देखा और लोक सेवा में आने के लिए प्रोत्साहित किया।

किन्तु, यह आसान निर्णय नहीं था. एक ओर, मख़मली जिंदगी और ऊँचे सरकारी पदों पर जाने की संभावनाएं. दूसरी ओर, एक आम व्यक्ति की जीवनशैली लेकिन साथ में वंचित समाज, विशेषकर दलितों की सेवा के वृहद अवसर, मेरे निर्णय से मेरा ही नहीं, पूरे परिवार का जीवन पूरी तरह से बदलने वाला था. मैंने पार्टी द्वारा दिए गए लोक सेवा के अवसर को चुना. मुझे पता है कि अगले 25 वर्ष उतार चढ़ाव से भरे होंगे किंतु कोई चिंता नहीं क्योंकि लोक सेवा में अनेक तरीकों से कार्य करने की संभावनाएं होती है।

जैसे जैसे आर्थिक विकास हो रहा है और निजी क्षेत्र का दायरा बढ़ रहा है, हमारे उद्योग ग्लोबल मार्किट पर आपनी पहचान बना चुके हैं. बदलते परिवेश में ज़रूरी है कि सामाजिक न्याय और विविध प्रतिनिधित्व के विषय में भी नए सिरे से कल्पना की जाए।

दलितों और सभी ग्रमीण क्षेत्र के लोगों का दुर्भाग्य है कि उनके सबसे कुशाग्र युवाओं को अच्छी पढ़ाई और अच्छी नौकरी के लिए घर से दूर जाना पड़ता हैं. ऐसा होना स्वाभाविक है. जैसे मुझे अपने लोगों को कुछ वापस देने की इच्छा हुई, वैसे ही अन्य बहुत से स्त्री-पुरुष हैं जो अपनी जन्म भूमि के लिए योगदान करना चाहते हैं. इसे सम्भव बनाने के लिए मैं अपने जनपद कन्नौज में इसकी व्यवस्था बनाऊंगा. जब कन्नौज से निकले कर्मठ व्यवसायी, शिक्षाविद, सरकारी सेवारत, आदि लोग कुछ समय और कुछ संसाधन देंगे तो विकास और सौहार्द के नए पायदान पर हम होंगे. क्योंकि नई राह पर मेरी पत्नी ज्योत्स्ना, पुत्र अभिजात और अमन तथा खैरनगर (कन्नौज) स्थित पूरा परिवार मेरे साथ है,

मुझे विश्वास है सफ़र आनंददायी होगा. सूर्य देव को प्रणाम करते हुए मैं भी एक सेवा से दूसरी की ओर बढ़ता हूँ।

असीम अरुण