वीरेन्द्र स्वरूप एजुकेशन सेंटर के शिक्षक बोले- बच्चों को वर्चुअल दुनिया से बाहर लाकर ज्ञान से परिचित कराना जरूरी
कानपुर में डा.वीरेन्द्र स्वरूप एजुकेशन सेंटर के शिक्षक सुरजीत दास गुप्ता का कहना है कि मनोवैज्ञानिक स्क्रीन टाइम अनुशासन पर जोर दे रहे हैं जिसका अर्थ है- बच्चों को एक सीमित समय के लिए मोबाइल के प्रयोग की अनुमति दी जाए।
By Nitesh MishraEdited By: Updated: Wed, 07 Sep 2022 10:43 PM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। मनोवैज्ञानिक स्क्रीन टाइम अनुशासन पर जोर दे रहे हैं, जिसका अर्थ है- बच्चों को एक सीमित समय के लिए मोबाइल के प्रयोग की अनुमति दी जाए ताकि वे वर्चुअल दुनिया से बाहर आकर वास्तविक दुनिया से जुड़ सकें।
माता-पिता को अपने बच्चों के भविष्य की रक्षा के लिए अपने व्यस्त दिनचर्या से समय निकालना होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो भावी पीढ़ी एक ऐसे अंतहीन चक्रव्यूह में फंस जाएगी, जिससे बाहर निकलना मुश्किल होगा। आनलाइन पढ़ाई के फायदों को देखते हुए उसे पूरी तरह से बंद भी नहीं कर सकते हैं।
इसलिए, बच्चों को एक सीमित समय के लिए मोबाइल के उपयोग की अनुमति देनी हाेगी। इसके साथ ही अभिभावक, शिक्षक, समाज की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चे के साथ बैठें, उससे बात करें, उसकी समस्याओं को जानें ताकि बच्चा अकेलापन महसूस न करें।
सुरजीत दास गुप्ता, शिक्षक, डा. वीरेन्द्र स्वरूप एजुकेशन सेंटर, श्याम नगर।
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