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लाश से चुराए जेवर, यूपी में पुलिस ने किया बड़ा खेल; ACP तक पहुंची बात- पढ़ें क्या है मामला?

नजीराबाद पुलिस पर लाश से जेवर चुराने में का आरोप लगा है। मां की हत्या करने के बाद बेटे ने आत्महत्या की थी। इसी मामले में पुलिस ने खेल किया। दोषियों को सजा के बजाए जांच अधिकारी डीसीपी दक्षिण ने सभी को चेतावनी देकर छोड़ दिया। हालांकि अपर पुलिस आयुक्त मुख्यालय ने डीसीपी की चेतावनी को सजा नहीं माना और प्रकरण में दंड निर्धारण का आदेश दिया है।

By gaurav dixit Edited By: Aysha Sheikh Updated: Fri, 05 Jul 2024 03:15 PM (IST)
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मनुष्य के शव की प्रतीकात्मक तस्वीर ।

जागरण संवाददाता, कानपुर। शव से जेवर चुराने के मामले में नजीराबाद पुलिस को दोषी माना गया है। यह प्रकरण मां की हत्या कर बेटे द्वारा आत्महत्या करने से जुड़ा है, जिसमें परिवार ने मृतका के सोने के जेवर चुराने का आरोप नजीराबाद पुलिस पर लगाया था। एक ओर जहां नजीराबाद पुलिस ने शव से जेवर चुराने का खेल कर दिया, वहीं दूसरी ओर दोषियों को सजा के बजाए जांच अधिकारी डीसीपी दक्षिण ने सभी को चेतावनी देकर छोड़ दिया।

हालांकि, अपर पुलिस आयुक्त मुख्यालय ने डीसीपी की चेतावनी को सजा नहीं माना और प्रकरण में दंड निर्धारण का आदेश दिया है। नजीराबाद थाना क्षेत्र के रामकृष्ण नगर में 12 अप्रैल 2023 को निखिल उर्फ विवेक ने मां राजकुमारी की हत्या कर आत्महत्या कर ली थी। राजकुमारी के बड़े बेटे जितेंद्र उर्फ दुर्गेश ने बताया कि मां की मौत के बाद शरीर में सोने की चेन, अंगूठियां और कंगन मौजूद थे।

शव से जेवरात उतारने का आरोप

आरोप है कि घटनास्थल की जांच के दौरान तत्कालीन नजीराबाद थाना प्रभारी कौशलेंद्र प्रताप सिंह और चौकी इंचार्ज रवि कुमार की मौजूदगी में नजीराबाद पुलिस ने शव से जेवरात उतारकर अपने कब्जे में लिए थे। मगर, जेवरों का जिक्र न ही पंचायतनामा में किया और न ही जनरल डायरी में दर्ज किया। अंतिम संस्कार करने के बाद वह नजीराबाद थाने मां के जेवरात लेने गए थे, मगर उन्हें धमका कर भगा दिया।

उन्होंने 22 जून 2023 को आइजीआरएस पोर्टल पर शिकायत दर्ज करा दी। इससे नाराज पुलिस ने 23 जून 2023 को निखिल की पत्नी से तहरीर लेकर उल्टे उनपर ही चोरी का मुकदमा लिखवा दिया। पति की मौत के बाद से निखिल की पत्नी से परिवार का विवाद चल रहा है। इस प्रकरण की जांच पुलिस आयुक्त के आदेश पर हो रही थी। पुलिस आयुक्त अखिल कुमार ने बताया कि मामले की जांच अपर पुलिस आयुक्त मुख्यालय विपिन मिश्रा को दी गई थी।

जांच में नजीराबाद के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक व चौकी प्रभारी समेत अन्य पुलिस कर्मियों को दोषी माना गया है। हालांकि इस मामले में एक और खेल हुआ। पुलिसकर्मियों के दोषी पाए जाने के बाद जब विभागीय दंड निर्धारण के लिए डीसीपी दक्षिण रवीन्द्र कुमार को जिम्मेदारी दी गई, तो उन्होंने केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया। अपर पुलिस आयुक्त मुख्यालय विपिन मिश्रा ने बताया कि चेतावनी कोई दंड नहीं है। इसलिए डीसीपी दक्षिण को जांच पत्रावली वापस भेजकर दोबारा से न्यायोचित दंड निर्धारण करने का आदेश दिया गया है।

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