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Jyoti Murder Case Kanpur: अब बर्दाश्त नहीं होता.. मार दो.., 5500 काल और 2200 मैसेज के प्रेम का खौफनाक अंत

Kanpur Jyoti Murder Case ज्योति हत्याकांड में पति पांडु नगर के बिस्किट कारोबारी पीयूष श्यामदासानी उसकी प्रेमिका पान मसाला कारोबारी की बेटी मनीषा मखीजा समेत पांच आरोपितों को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने हत्या के पीछे मनीषा को बड़ी वजह माना है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sat, 22 Oct 2022 01:06 PM (IST)
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ज्योति को बुझाने में अब उम्रभर जलेंगे पीयूष और मनीषा।

कानपुर, [आलोक शर्मा]। प्रेम प्रसंग से शुरू हुई पीयूष और मनीषा की कहानी का अंत खौफनाक और दर्दनाक है। दोनों के अनैतिक प्रेम ने न सिर्फ छह परिवारों की खुशियां उजाड़ दी बल्कि खुद भी उम्रभर सलाखों के पीछे आंसू ही बहाते रहेंगे। धोखे से पति पीयूष का फोन उठाने पर मनीषा ने अपनी सगाई की बात कही थी तो ज्योति ने उसे डांट लगायी थी। यहीं से मनीषा ने सोच लिया था कि वह पीयूष को पाकर रहेगी। उसने पीयूष से कहा भी कि अब बर्दाश्त नहीं होता.. मार दो...। यहीं से पीयूष ने ज्योति को रास्ते से हटाने की पूरी साजिश रच डाली।

वो काली रात जब बुझ गई एक ज्योति

पांडु नगर निवासी बिस्किट कारोबारी पीयूष श्यामदासानी पत्नी ज्योति के साथ 27 जुलाई 2014 की रात स्वरूप नगर के वरांडा होटल गया था। रात करीब 11:30 बजे उसने पुलिस को सूचना दी कि कुछ लोगों ने हांडा एकार्ड कार के सामने बाइक लगाकर उसे रोक लिया। नीचे उतारकर उसे पीटा और पत्नी व कार लेकर फरार हो गए। पुलिस ने उसकी तहरीर पर प्राथमिक सूचना दर्ज कर ली।

उसी रात करीब दो बजे पुलिस ने कल्याणपुर पनकी रोड पर खड़ी कार में ज्योति का शव बरामद कर लिया। पीयूष की कहानी पर पुलिस काे शक हुआ तो सख्ती से पूछताछ की, जिसमें वह टूट गया और सच बता दिया। इस मामले में 24 घंटे के भीतर पुलिस ने घटना का राजफाश कर दिया था। इसके बाद पीयूष, केसर पान मसाला कारोबारी हरीश मखीजा की बेटी मनीषा, उसके ड्राइवर अवधेश और हत्या व साजिश रचने में शामिल रेनू, सोनू और आशीष को गिरफ्तार कर जेल भेजा था।

बारिश ने फेर दिया था पानी, बैकअप में थे दो प्लान

हत्या का पहला प्लान 13 जुलाई को बनाया गया। इसके साथ दो बैकअप प्लान भी बने। लेकिन उस दिन बरसात होने से हत्या की योजना पर पानी फिर गया। 20 जुलाई को भी बरसात हो गई। इसके बाद 27 जुलाई को योजना के अनुसार हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया। पीयूष की कार के सामने जैसे ही अवधेश, रेनू, आशीष और सोनू बाइक से आकर रूके, ज्योति कुछ समझ पाती तब तक पीयूष ने कार उनके हवाले कर दी। कार में पीयूष ज्योति को छोड़कर जाने लगा तो ज्योति ने कहा कि यह तुम अच्छा नहीं कर रहे हो।

ज्योति के हाथ में फंस गए थे पीयूष के बाल

पीयूष कार से बाहर निकलने की फिराक में था जबकि ज्योति उसे छोड़ नहीं रही थी। इसी बीच पीयूष के बाल ज्योति के हाथ में फंस गए। पीयूष की टी-शर्ट के कई बटन टूट गए। जिसके बाद टी-शर्ट बदलकर वह थाने पहुंचा। यहीं से उसकी झूठ की कहानी खुल गई। पीयूष और मनीषा की अवैध रिश्ते की कहानी दोनों को सलाखों के पीछे तक ले गई, जिसकी आंच में छह परिवार बर्बाद हो गए। पुलिस ने मनीषा को षडयंत्र का ही दोषी बताया था लेकिन न्यायालय ने उसे हत्या और साक्ष्य छिपाने का भी दोषी पाते हुए सजा सुनायी।

5500 काल और 2200 मैसेज सामान्य नहीं

मनीषा को लेकर अधिवक्ताओं का तर्क था कि वह न वारदात में शामिल थी और न ही मौके पर। लेकिन अदालत ने ऐसा नहीं माना। 125 पेज के फैसले में अदालत ने माना कि एक जनवरी से 27 जुलाई 2014 के बीच पीयूष और मनीषा के बीच 5500 काल और 2200 मैसेज सामान्य नहीं हैं।

काल के दौरान लंबी अवधि की बातचीत होना साबित करता है कि दोनों के बीच पड़ोसी के संबंध मात्र नहीं थे। 5500 काल पर घंटों और देर रात बात होना यह दर्शाता है कि दोनों के बीच प्रेम संबंध थे। पीयूष विवाहित है ऐसे में निश्चित रूप से यह रिश्ता अनैतिक भी है। 27 जुलाई 2014 को ही दोनों के बीच 18 बार काल हुई।

अदालत ने मनीषा को भी माना बराबर का दोषी

न्यायालय ने कहा कि पुलिस ने मनीषा को 120बी (षडयंत्र) का दोषी बनाया है लेकिन पीयूष के वरांडा होटल में होने के दौरान भी उनकी बातचीत हुई थी। मनीषा का मोबाइल नंबर 8090766837 और पीयूष का मोबाइल नंबर 8090766853 जो एक ही सीरीज के नंबर थे, जो शंकर पुत्र निखिल ग्राम खौदा के फर्जी नाम व पते पर लिए गए थे। दोनों इससे बात करते थे और घटना के बाद सिम तोड़ दिए गए थे।

अदालत ने कहा कि प्रत्येक घटना के पीछे उद्देश्य जरूरी है। इस घटना के पीछे मनीषा का उद्देश्य पीयूष को पाना था। चूंकि इस रास्ते में पीयूष की विवाहित पत्नी मनीषा के रास्ते में बाधक थी। इसलिए ज्योति की हत्या से उसका उद्देश्य स्पष्ट और पूर्ण हो रहा था। न्यायालय ने सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश से मनीषा के इस उद्देश्य को प्रमाणित करते हुए हत्याकांड का बराबर का दोषी पाया।

किसको हुई कितनी सजा

पीयूष श्यामदासानी - धारा 120बी/364 (अपहरण का षडयंत्र) के तहत 10 वर्ष कैद, 10 हजार रुपये जुर्माना -धारा 302/120बी (हत्या का षडयंत्र) में उम्रकैद, 20 हजार रुपए जुर्माना -धारा 201/120 (साक्ष्य छिपाने का षडयंत्र) में तीन वर्ष कैद, पांच हजार रुपए जुर्माना -धारा 203 (झूठी सूचना देना) में एक वर्ष कैद, एक हजार रुपए जुर्माना।

मनीषा मखीजा - धारा 302/120बी (हत्या का षडयंत्र) में उम्रकैद, 20 हजार रुपए जुर्माना -201/120बी (साक्ष्य का षडयंत्र) में तीन वर्ष कैद, पांच हजार रुपए जुर्माना आशीष कश्यप -धारा 302/120बी (हत्या का षडयंत्र) में उम्रकैद, 20 हजार रुपए जुर्माना -धारा 364/120बी (अपहरण का षडयंत्र) में 10 साल कैद, 10 हजार रुपए जुर्माना -धारा 201/120बी (साक्ष्य छिपाने का षडयंत्र) में तीन वर्ष कैद, पांच हजार रुपए जुर्माना।

अवधेश चतुर्वेदी, रेनू उर्फ अखिलेश कनौजिया और सोनू कश्यप (सजा प्रत्येक को)- धारा 302/120बी (हत्या का षडयंत्र) में आजीवन कारावास और 20 हजार रुपए जुर्माना -धारा 364/120बी (अपहरण का षडयंत्र) में 10 वर्ष कैद और 10 हजार रुपए जुर्माना -धारा 201/120बी (साक्ष्य छिपाने का षडयंत्र) में 3 वर्ष कैद और 5 हजार रुपए जुर्माना -धारा 404 (मृतक की संपत्ति लूटना) के तहत 2 वर्ष जेल और 5-5 हजार रुपए जुर्माना-आयुध अधिनियम की धारा 4/25 (चाकू का प्रयोग) में एक वर्ष, एक हजार रुपये जुर्माना।