काश सब कलावती की तरह सोचें तो बदल जाए शहर की तस्वीर
30 साल पहले खुले में शौच रोकने का शुरू किया था अभियान, नौ सामुदायिक और तीन हजार एकल शौचालयों का कराया निर्माण।
By AbhishekEdited By: Updated: Wed, 14 Nov 2018 04:54 PM (IST)
कानपुर(जागरण संवाददाता)। कलावती आज नाम की मोहताज नहीं है। खुले में शौच को लेकर तीस साल पहले अभियान शुरू किया था। आज नौ सामुदायिक शौचालय और तीन हजार एकल शौचालय का निर्माण करा चुकी हैं। अभियान निरन्तर जारी है। उनका कहना है कि खुद बदलने से समाज की तस्वीर बदलेगी। केवल सरकारी मशीनरी के भरोसे बैठे रहेंगे तो समाज बदल चुका।
मर्क का न्यरोबियॉन फोर्ट ने कलावती को टू हीरोज के रूप में सम्मानित करने के साथ ही अपना ब्राड एम्बेसडर बनाया है। कलावती ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि सीतापुर से शादी करके 40 साल पहले राजापुरवा मलिन बस्ती आई थीं। उनके पति जयराज सिंह राजमिस्त्री थे। उनके कामों में सहयोग करती थीं। इस दौरान श्रमिक भारतीय संस्था से जुड़ी शिक्षिका प्रभा और गनेश पाण्डेय से मुलाकत हुई। बस्ती के लोगों की हालत दयनीय थी, तमाम लोग कर्ज से डूबे थे।उन्होंने समूह बनाकर धन की बचत और मदद करने को कहा। पहली बार दस-दस लोगों का समूह बनाया। हर व्यक्ति से दस रुपये का सहयोग लिया। इसके बाद जरूरत मंद को देते गए। बस्ती के लोग जुड़ते गए और समूह बढ़ता गया। सभी के कर्ज चुक गए। इस दौरान बस्ती में शौचालय नहीं था लोग खुले में शौच के लिए जाते थे। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सामुदायिक शौचालय बनाने का बीड़ा उठाया। पूर्व मुख्य नगर अधिकारी से मिली। 30 साल पहले 55 सीट के सामुदायिक शौचालय का निर्माण तीन लाख रुपये में होने की लागत आयी। एक लाख रुपये जनता को जमा करने थे।
पचास से लेकर तीन सौ रुपये तक परिवारों से जमा करके शौचालय का निर्माण कराया था। इसके बाद एक नई चेतना मिल गयी और कारवां बनता गया। राखी मंडी, जूही, समेत कई जगह सामुदायिक शौचालय बनवाए और तीन हजार एकल शौचालय बनवाए। पति की मृत्यु के बाद बेटी और दामाद के साथ रह रही हैं।
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