Kanpur Dead Body Case: ईसीजी कराने के बाद घरवालों ने विमलेश को मान लिया था जिंदा, यहां पढ़ें अबतक की पूरी कहानी
Kanpur Dead Body Case Update कानपुर के रावतपुर थाना क्षेत्र के कृष्णापुरी में आयकर अधिकारी का शव डेढ़ साल तक परिवार वाले घर पर रखे रहे। अस्पताल से डेथ सर्टिफिकेट दिए जाने के बाद भी घरवाले जिंदा और कोमा में मान कर रखने की बात कह रहे हैं।
By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sat, 24 Sep 2022 10:02 PM (IST)
कानपुर, जागरण संवाददाता। Kanpur Dead Body Case Update : जिंदा मानकर आयकर अधिकारी विमलेश गौतम को घर पर रखने वाले स्वजन डेढ़ साल तक भरपूर देखभाल करते रहे। बैंक मैनेजर पत्नी मिताली ने भी छह माह तक पति की देखभाल के लिए अवकाश भी लिया। घर के सभी लोग संजीदगी और आत्मीयता से देखभाल में जुटे रहे। अस्पताल में मृत घोषित करने के बाद घरवालों को भरोसा नहीं हुआ था तो ईसीजी कराने पर धड़कन देखकर विमलेश को जिंदा और कोमा में मान लिया था।
बीमारी के चलते हैदराबाद से घर आ गए थे विमलेश
रावतपुर थाना क्षेत्र के कृष्णापुरी निवासी 35 वर्षीय विमलेश गौतम आयकर विभाग में एओ के पद पर हैदराबाद में तैनात थे। उनकी पत्नी मिताली दीक्षित कोआपरेटिव बैंक में डिप्टी मैनेजर हैं और दोनों ने सात साल पहले प्रेम विवाह किया था। उनके पांच साल का बेटा और डेढ़ साल की बेटी है। विमलेश के परिवार में पिता रामऔतार गौतम, मां रामदुलारी के अलावा भाई सुनील गौतम और दिनेश गौतम अपने परिवार के साथ तीन मंजिला मकान में रहते हैं। वर्ष 2019 में बीमारी के चलते विमलेश विभाग से अवकाश लेकर कानपुर अपने घर आ गए थे।
इस तरह सामने आया विमलेश की मौत का सच
मिताली ने एक पत्र पिछले दिनों आयकर विभाग को भेजा था, जिसमें पति की बीमारी का हवाला देकर स्वास्थ्य परीक्षण कराने को कहा गया था। इस पत्र के आधार पर विभाग ने कानपुर सीएमओ से स्वास्थ्य परीक्षण का अनुरोध किया था। बीते शुक्रवार को जब टीम विमलेश के घर पहुंची तो विमलेश की मौत का सच दुनिया के सामने आ गया। उनके स्वजन विमलेश को जिंदा मानकर घर पर ही रखने पर अड़े हुए थे लेकिन पुलिस की मदद से टीम शव को एलएलआर अस्पताल लेकर आई थी।ईसीजी में धड़कन देख मान लिया था जिंदा
विमलेश की मौत 22 अप्रैल, 2021 की भोर चार बजे हो गई थी और बिरहाना रोड स्थित मोती अस्पताल ने उनका मृत्यु प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया था। बड़े भाई दिनेश ने बताया कि वह अंतिम संस्कार की तैयारी में जुटे थे। इस बीच पता चला कि विमलेश की धड़कन चल रही है तो ईसीजी कराया गया। ईसीजी में धड़कन देखकर पता चला वह जीवित हैं। उन्हें लेकर कई अस्पतालों के चक्कर लगाए और झोलाछाप को भी दिखाया लेकिन किसी ने भर्ती नहीं किया। वह विमलेश को घर ले आए।
बारी-बारी से देखभाल करते थे घरवाले
मूलरूप से उत्तरीपुरा के चैतपुरवा गांव निवासी दिनेश ने बताया कि विमलेश के जिंदा और कोमा में होने के चलते घर पर रखा और सभी लोग बारी-बारी से उनकी देखभाल करते थे। पिता रामऔतार व मां रामदुलारी पूरे दिन घर पर उनके पास रहते थे। वह और बड़े भाई सुनील भी रहते थे। पति की देखभाल के लिए मिताली भी छह माह तक बैंक नहीं गईं। छह माह तक आक्सीजन सिलिंडर के सहारे रखा, इसके बाद सपोर्ट हटा दिया गया था। मोहल्ले में यही चर्चा रही कि विमलेश कोमा में हैं और लिक्विड के सहारे चल रहे हैं।गंगाजल से साफ करते थे शरीर और बदले जाते थे कपड़े
एक सवाल सभी के जेहन में अबभी गूंज रहा है कि आखिर शव से बदबू क्यों नहीं आई और शरीर पूरी तरह सड़ा क्यों नहीं। पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब शव को कब्जे में लिया शरीर का मांस सूख चुका था और हड्डियां अकड़ी हुई थीं। घरवालों की मानें तो इस दौरान विमलेश के शरीर पर कोई लेप या पदार्थ नहीं लगाया गया। वो रोजाना विमलेश को गंगाजल से साफ करते थे और उनके कपड़े भी बदले जाते थे।
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