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Kanpur Flood Alert: कानपुर-उन्नाव संपर्क मार्ग गंगा में बहा, एक हजार बीघा खड़ी फसलें हुई जलमग्न

Kanpur Flood Alert कानपुर-प्रयागराज हाईवे स्थित महाराजपुर के सिकठिया से डोमनपुर होते हुए गंगा पर बने पुल से कानपुर व उन्नाव का संपर्क टूट गया है। डोमनपुर पुल से उन्नाव के गढ़ेवा जाने वाला लगभग दो किमी पक्का रास्ता गंगा में बह गया है। पुल के अंतिम छोर से संपर्क मार्ग की शुरुआत वाले स्थान पर गहरी खाई यहां की भयावहता दिखा रही है।

By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Mon, 28 Aug 2023 10:37 AM (IST)
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कानपुर-उन्नाव संपर्क मार्ग गंगा में बहा, एक हजार बीघा खड़ी फसलें हुई जलमग्न
संवाद सहयोगी, महाराजपुर : कानपुर-प्रयागराज हाईवे स्थित महाराजपुर के सिकठिया से डोमनपुर होते हुए गंगा पर बने पुल से कानपुर व उन्नाव का संपर्क टूट गया है। डोमनपुर पुल से उन्नाव के गढ़ेवा जाने वाला लगभग दो किमी पक्का रास्ता गंगा में बह गया है।

पुल के अंतिम छोर से संपर्क मार्ग की शुरुआत वाले स्थान पर गहरी खाई यहां की भयावहता दिखा रही है। लगभग पांच किमी तक इस पार से उस पार तक जल ही जल दिख रहा है। इससे डोमनपुर में लगभग एक हजार बीघा में खड़ी फसलें जलमग्न हो गई हैं।

पक्का पुल गंगा में बहा

डोमनपुर के चार मजरों कपूर फार्म, डॉक्टर फार्म, गौशाला व विजय नगर में गांव किनारे तक पानी पहुंच गया है। हाईवे पर सिकठिया चौराहे से डोमनपुर होते हुए उन्नाव जाने के लिए गंगा में एक किमी लंबा पुल बना है।

पुल के अंतिम छोर से उन्नाव के गढ़ेवा तक दो किमी लंबा पक्का रास्ता बना था। पूरा संपर्क मार्ग गंगा में बहने से दोनों जनपदों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है। कटरी में रहने वाले पलायन करने लगे हैं। कुछ की गृहस्थी अभी भी सड़क किनारे पड़ी हुई है। सौ से अधिक बेसहारा गोवंशी बाढ़ में पानी के बीच फंसे हुए हैं।

चार साल पहले पुल का हुआ था लोकार्पण

नवंबर 2019 में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने गंगा पर बने पुल व पुल से उन्नाव की तरफ जाने वाले संपर्क मार्ग का लोकार्पण किया था।

सुरक्षा के नहीं कोई इंतजाम

जहां से संपर्क मार्ग बहा है वहां तक रविवार को भी दर्जनों लोग गंगा में रास्ता बहने की बात पता चलने पर चहलकदमी करते दिखे। कुछ बाइक व कार सवार भी अंतिम छोर पर खड़े थे। यहां पर अभी सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं।

डोमनपुर में बाढ़ राहत चौकी सक्रिय है। यहां के चार मजरों में बराबर नजर रखी जा रही है। जो संक्रमणीय भूमिधर किसान हैं उनके नुकसान का मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जाएगा। जो अवैध कब्जा कर कटरी की जमीन पर खेती कर रहे थे उनको कोई लाभ नहीं मिल पाएगा। ऋषभ वर्मा, एसडीएम नर्वल

किसानों की बर्बादी, उन्हीं की जुबानी

लगभग नौ बीघा धान, फूल व सब्जियों की खेती पानी भरा है। 50 हजार रुपये की लागत लगाई थी। अब तो आंसू बहाने के अलावा कुछ नहीं बचा है। रामसेवक, गौशाला दो बीघा करेला व तीन बीघे में अन्य सब्जियों की खेती की थी। पूरी लागत व मेहनत बर्बाद हो गई। अब तो कुछ भी नहीं बचा।

चंद्रकिशन, दिबियापुर तिली, शकरकंद व मिर्च की सात बीघा खड़ी फसल पूरी तरह नष्ट हो गई। अब तो चिंता इस बात की हो रही कि क्या खाएंगे। छोटेलाल, डोमनपुर चार भाइयों के साथ मिलकर 16 बीघे पर खेती कर रहे थे। पूरी फसलें बर्बाद हो गई हैं। लागत एक लाख से अधिक की लगी थी। लक्ष्मीनारायण, डाक्टर फार्म

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