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ब्रिटिश मैडम की घुड़सवारी का मैदान था ग्रीनपार्क, पढ़ें- कैसे पड़ा नाम और अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम बनने की कहानी

कानपुर ग्रीनपार्क क्रिकेट स्टेडियम की ख्याति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर है और टेस्ट मैच वनडे और आइपीएल के मैच हो चुके हैं। क्रिकेट का इतिहास समेटे इस स्टेडियम की कहानी भी बेहद रोचक है और कई खास तों इससे जुड़ी भी हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Updated: Sat, 27 Aug 2022 03:25 PM (IST)
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देश-दुनिया में खास है कानपुर का अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम ग्रीनपार्क।

कानपुर, शिवा अवस्थी एवं अंकुश शुक्ल। गंगा किनारे ग्रीनपार्क स्टेडियम अब भले अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के फलक पर है। देश के पांच टेस्ट मैच सेंटरों में से एक है, लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि कभी यहां अंग्रेज शासनकाल में मैडम ग्रीन घुड़सवारी किया करती थीं और उनका शौक पूरा करने के लिए ही यह मैदान तैयार कराया गया था। वर्ष 1945 में अस्तित्व में आए ग्रीनपार्क स्टेडियम का नामकरण भी इन्हीं मैडम ग्रीन के नाम पर हुआ। 

मैडम ग्रीन की घुड़सवारी देखने के लिए जिस मैदान पर कभी अंग्रेज जुटते थे, अब वहां आइपीएल, टेस्ट, वनडे क्रिकेट प्रतियोगिताओं के दौरान मैच देखने के लिए हजारों दर्शक पहुंचते हैं और क्रिकेटरों का उत्साह बढ़ाते हैं। स्थापना के 77 साल पूरे कर चुका ग्रीनपार्क स्टेडियम क्रिकेट के हर प्रारूप का गवाह बन चुका है।

ग्रीनपार्क स्टेडियम का क्रिकेट हास्टल भी लगभग 40 वर्ष पुराना है। इसमें रहकर गोपाल शर्मा, मोहम्मद कैफ, शशिकांत खांडेकर, मनोज मुद्गल, विपिन वत्स, मुशी रजा, ज्ञानेंद्र पांडेय, आरपी सिंह सीनियर आदि ने क्रिकेट की बारीकियां सीखीं और टीम इंडिया तक जगह बनाई। कुलदीप यादव, सुरेश रैना, राहुल सप्रु, रीता डे, नीतू डेविड, ज्योति यादव, अरविंद कपूर, कमलकांत कनौजिया, प्रदीप यादव व अंकित राजपूत ने भी यहां से हुनर सीखा। ग्रीनपार्क का हास्टल खेल विभाग में उप निदेशक आनंद शुक्ला की देखरेख में शुरू हुआ था।

सिर्फ क्रिकेटरों ही नहीं, दर्शकों को लेकर भी ग्रीनपार्क का इतिहास है। मैडम ग्रीन की घुड़सवारी देखने को यहां भीड़ जुटती थी तो अंतरराष्ट्रीय, घरेलू व आइपीएल मुकाबलों को देखने के लिए उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा दर्शक भी यहीं पहुंचते हैं। यहां का क्रिकेट इतिहास लखनऊ की तुलना में काफी पुराना है।

गारंटी मनी देकर जेके समूह ने कराया था पहला मैच

ग्रीनपार्क स्टेडियम को क्रिकेट का वटवृक्ष बनाने में जेके समूह का अतुलनीय योगदान रहा है। शहर में क्रिकेट की नींव रखने वाले इस घराने ने 14 जनवरी, 1952 में भारत बनाम इंग्लैंड के बीच पहले अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच का आयोजन ग्रीनपार्क स्टेडियम में गारंटी मनी देकर कराया था।

इसी जेके समूह के कमला क्लब को स्थापित करने में भी अहम भूमिका निभाई, जिसका शुभारंभ 20 दिसंबर, 1941 में तत्कालीन यूनाइटेड प्राविंस के गर्वनर सर हैलट ने किया था, जो अब उत्तर प्रदेश में जूनियर, सीनियर व महिला क्रिकेट की नर्सरी के रूप में पहचाना जाता है।

दुनिया का सबसे बड़ा इकलौता मैनुअल स्कोर बोर्ड था यहां

ग्रीनपार्क स्टेडियम में दुनिया का सबसे बड़ा इकलौता मैनुअल स्कोर बोर्ड था। वर्ष 1957 से 2015 तक 35 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय मैचों की स्कोरिंग में क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीत चुका यह स्कोर बोर्ड अब इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुका है। 21 टेस्ट, 14 वनडे, दो आइपीएल व एक टी-20 मैच में भी इसका प्रयोग किया गया। इस स्कोर बोर्ड के संचालन में एक बार में लगभग 40 से 45 लोगों की जरूरत पड़ती थी।

इसकी सबसे खास बात यह थी कि मैच के दौरान जिस खिलाड़ी के पास भी क्रिकेट बाल जाती थी। उसके नाम के आगे की लाल रंग की लाइट जल जाती थी। मेडन ओवर होने पर पूरे स्कोर बोर्ड पर लाल रंग की लाइटें जल जाती थीं। इसमें खिलाड़ियों की उपलब्धियों को कर्मचारी प्लेट लगाने के साथ ही पुली के सहारे चलाते थे।

'कैप्टन कूल' को सौंपी गई थी टेस्ट टीम की कप्तानी

भारत को एकदिवसीय और टी-20 क्रिकेट का विश्व विजेता का खिताब दिलाने वाले कैप्टन कूल के नाम से प्रसिद्ध कप्तान महेंद्र सिंह धौनी भले झारखंड के रांची से नाता रखते हैं, लेकिन उन्हें विश्वस्तरीय पहचान दिलाने में इसी ग्रीनपार्क स्टेडियम का अहम योगदान है। उनके चयन के समय भारतीय टीम के चयनकर्ता रहे पूर्व दिग्गज क्रिकेटर गोपाल शर्मा बताते हैं कि धौनी के खेल से वह बेहद प्रभावित थे।

उनके टीम में चयन को लेकर प्रमुखता से बात रखी और प्रवेश दिलाया। इसके बाद ग्रीनपार्क में ही वर्ष 2008 में महेंद्र सिंह धौनी को पहली बार टेस्ट टीम की कप्तानी सौंपी गई थी। दक्षिण अफ्रीका सरीखी टीम के खिलाफ कैप्टन कूल ने पहली कप्तानी में ही जीत हासिल की थी, तब उन्हें शहर के क्रिकेट प्रेमियों का प्यार खूब मिला।

जान सकेंगे उप्र के क्रिकेट का इतिहास

अब ग्रीनपार्क स्टेडियम में विजिटर गैलरी खास आकर्षण का केंद्र बन गई है। भारत और न्यूजीलैंड के टेस्ट मैच के दौरान इसकी शुरुआत होने के बाद लोग देखने पहुंच रहे हैं। क्रिकेट प्रेमी विजिटर गैलरी में क्रिकेट के 70 वर्षों के इतिहास को जान रहे हैं। यहां आडियो-विजुअल रूम में 15 मिनट में क्रिकेट इतिहास से परिचित कराया जा रहा है।

ग्रीनपार्क के डायरेक्टर पवेलियन में 4.5 करोड़ की लागत से बनी विजिटर गैलरी का विस्तार भी किया जा रहा है। मंडलायुक्त डा. राजशेखर की पहल पर इस गैलरी के लिए एकत्र की गई क्रिकेट की विरासत बड़ी संख्या में खेल प्रेमियों ने उपलब्ध कराई है।

-ग्रीनपार्क स्टेडियम ऐतिहासिक है। प्रतिभाओं को मंच देने में ग्रीनपार्क का सर्वाधिक योगदान रहा है। इसकी पहचान भारतीय क्रिकेट की विरासत के रूप में है। यहां पर विजिटर गैलरी और वर्चुअल क्रिकेट की शुरुआत बड़ा कदम होगा। उप्र के क्रिकेट इतिहास को चंद मिनटों में जान सकेंगे। -मो. फहीम, संयुक्त सचिव, उप्र क्रिकेट क्रिकेट एसोसिएशन।