US India Defense Partnership: अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी का ठोस मंच तैयार कर रहा कानपुर आइआइटी
कानपुर आइआइटी अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी का ठोस मंच तैयार कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे पर कार्ययोजना पर मुहर लगेगी। बता दें कि 29 अगस्त को पहली द्विपक्षीय कार्यशाला हो रही है। स्थानीय रक्षा उद्यमी गौरव पिलानिया के अनुसार विदेश की रक्षा उत्पाद व अनुसंधान कंपनियों के साथ काम करने में सबसे बड़ी बाधा है तकनीक का हस्तांतरण है।
By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraUpdated: Sun, 27 Aug 2023 03:22 PM (IST)
कानपुर [अखिलेश तिवारी]। रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान व तकनीकी साझेदारी के लिए भारत और अमेरिका के उद्यमियों व विज्ञानियों को एक मंच पर लाया जाएगा। दोनों देश अपनी रक्षा तकनीक एक-दूसरे को देंगे और उत्पादन में सहयोग भी करेंगे। तकनीक हस्तांतरण और उत्पादन वातावरण निर्माण के लिए शिक्षण संस्थानों और उद्यमियों की रोड मैप कार्यशाला आगामी 29 अगस्त को आइआइटी कानपुर और पेंसिलवानिया यूनिवर्सिटी की ओर से की जा रही है।
इसमें तैयार कार्ययोजना को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अगले महीने भारत दौरे के समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ जारी करेंगे। भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय और अमेरिका के रक्षा विभाग ने इंडस-एक्स नाम से रक्षा क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग व विकास वातावरण निर्माण कार्यक्रम की शुरुआत की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जून महीने में अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात में इंडस-एक्स पर लेकर गंभीर चर्चा की है।
इस कार्यक्रम के तहत दोनों देश रक्षा उद्योग सहयोग बढ़ाने और तकनीक व उत्पादन में नवाचार को बढ़ावा देने के रास्ते खोलने के लिए तैयार हैं। इसमें सर्वाधिक जोर अकादमिक और स्टार्टअप साझेदारी को शिक्षण संस्थान व उद्यमियों के बीच ले जाकर एक ऐसा इनोवेशन हब तैयार किया जाना है जो अनुसंधान व नवाचार गतिविधियों में दोनों देश की क्षमताओं का भरपूर उपयोग करने में सक्षम हो।
आइआइटी कानपुर है सह-आयोजक दोनों देश के बीच हुए समझौते को जमीनी आधार प्रदान करने के लिए पहली कार्यशाला में आइआइटी कानपुर के विज्ञानी व स्टार्ट अप कंपनियों के प्रतिनिधि भी शामिल हो रहे हैं। इस कार्यशाला में स्टार्टअप कंपनियों व अनुसंधानकर्ताओं की चुनौतियां की पहचान की जाएगी। ऐसे कौन से क्षेत्र हैं जिसमें दोनों देश की स्टार्टअप कंपनियां मिलकर बेहतर काम कर सकती हैं। तकनीक हस्तांतरण को कैसे सुलभ बनाया जा सकता है।
आइआइटी कानपुर के स्टार्टअप एवं इंक्यूबेशन सेंटर प्रभारी प्रो. अंकुश शर्म के अनुसार आइआइटी कानपुर के साथ 15 स्टार्ट अप कंपनियां रक्षा क्षेत्र में काम कर रही हैं। इसके अलावा विभिन्न शिक्षण संस्थानों के अनुसंधानकर्ता व विज्ञानी और अन्य कंपनियां भी इस कार्यशाला में शामिल होंगी।
अभी यह हैं बाधाएं रक्षा क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के अनुसार अमेरिका के साथ मिलकर काम करने में अभी सबसे बड़ी बाधा तकनीक हस्तांतरण , रक्षा अनुसंधान प्रयोग की अनुमति नहीं होना है। स्थानीय रक्षा उद्यमी गौरव पिलानिया के अनुसार विदेश की रक्षा उत्पाद व अनुसंधान कंपनियों के साथ काम करने में सबसे बड़ी बाधा है तकनीक का हस्तांतरण है।
कंपनियां अपनी तकनीक हमारे साथ साझा करने को तैयार नहीं हैं। इससे उत्पादन का माहौल नहीं बन रहा है। इंडस-एक्स कार्यक्रम के तहत अमेरिका और भारत की स्टार्टअप कंपनियां रक्षा क्षेत्र में नवाचार को लागू करने के लिए तैयार हैं। शिक्षण संस्थानों में अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और तकनीक की साझेदारी भी हो सकेगी। पहली कार्यशाला में रोडमैप पर गंभीर चर्चा होगी। - प्रो. अभय करंदीकर, निदेशक आइआइटी कानपुर
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