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नक्सली धमाके में कानपुर का लाल बलिदान, 30 मिनट पहले हुई थी पत्नी से बात; खबर सुनकर मां और भाई गश खाकर गिरे

Kanpur News अरे मोर पूत अरे मोर बेटू अरे बबुआ का होइगा तुमका। हम तुम्हरी अम्मा तुम्हरे बिना कैसे रहिबे। तीन दिन पहले फोन पर बात भै रहै पुतवा से हंसि-हंसि बता रहा रहै। अम्मा के हालचाल पूछ रहा रहै। आज य खबर सुनि के करेज फाटा जा रहा। अरे गांव वालेव कोऊ हमरे हीरा का लई के हमरे पास आ जाओ।

By gaurav dixit Edited By: Abhishek Pandey Published: Mon, 24 Jun 2024 01:58 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jun 2024 01:58 PM (IST)
सुकमा में हुए नक्सली हमले में बलिदानी शैलेंद्र की फाइल फोटो।

संवाद सूत्र, महाराजपुर (कानपुर)। अरे मोर पूत, अरे मोर बेटू, अरे बबुआ का होइगा तुमका। हम तुम्हरी अम्मा, तुम्हरे बिना कैसे रहिबे। तीन दिन पहले फोन पर बात भै रहै पुतवा से, हंसि-हंसि बता रहा रहै। अम्मा के हालचाल पूछ रहा रहै। आज य खबर सुनि के करेज फाटा जा रहा। अरे गांव वालेव, कोऊ हमरे हीरा का लई के हमरे पास आ जाओ।

महाराजपुर के पुरवामीर निवासी बलिदानी जवान शैलेंद्र की मां बिजमा बेटे की याद में चीत्कारें मार रही थीं। कभी वो बेसुध हो जातीं तो कभी करुण क्रंदन या मौन होकर बदहवास हो जातीं। हालांकि जब मां को खयाल आया कि उनका बेटा देश के लिए बलिदान हुआ है, तो कुछ देर के लिए वह गर्व से भर गईं। उनके मुंह से निकला, मेरा पूत भारत मां का वीर सपूत है। उसने दूध का कर्ज उतार दिया।

आठ साल पहले हुआ था CRPF में चयन

महाराजपुर के पुरवामीर में आने वाले गांव नौगवां गौतम निवासी 28 वर्षीय शैलेंद्र का सीआरपीएफ में करीब आठ साल पहले चयन हुआ था। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों द्वारा बिछाई गई आइईडी की चपेट में आकर वह बलिदान हो गए।

बड़े भाई नीरज की पत्नी काजल ने बताया कि गुरुवार को शैलेंद्र ने फोन पर बात की थी। मां से भी उसकी खूब सारी बातें हुई थीं। कहा था कि जल्द वो छुट्टी लेकर घर आएगा, लेकिन क्या पता था कि इतनी जल्दी वो जिंदगी से ही हमेशा-हमेशा के लिए छुट्टी ले लेगा। शैलेंद्र के बलिदान होने की सूचना पर चचेरा भाई राहुल गश खाकर गिर पड़ा। मां बिजमा बार-बार बरामदे से उठकर बाहर निकलकर भागतीं। वो छाती पीटते हुए कह रही थीं, कैसे पाल पोसकर बड़ा किया और आज अचानक ये क्या हो गया।

तीन भाइयों में था सबसे छोटा, एक भाई व पिता का हो चुका निधन

मां बिजमा ने बिलखते हुए बताया कि शैलेंद्र तीन भाइयों में सबसे छोटा था। बड़ा बेटा नीरज प्राइवेट नौकरी करता है। उसके बाद सुशील थे, चार वर्ष पहले बीमारी से निधन हो गया। शैलेंद्र छोटा था, तभी उसके पिता मुन्नालाल गुजर गए। किसी तरह से इन गमों को दिल में रखे हुए वह जी रही थीं, मगर इस घटना ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ दिया।

साढ़े तीन माह पहले हुई थी शादी, घटना से पहले पत्नी से की थी बात

शैलेंद्र की साढ़े तीन माह पहले सात मार्च को सचेंडी के पिट्टापुर की रहने वाली कोमल से शादी हुई थी। कोमल की मेहंदी भी अभी नहीं छूटी थी कि मांग का सिंदूर उजड़ गया। कोमल चौथी के बाद मायके चली गई थी और शैलेंद्र शादी की छुट्टियां समाप्त होते ही नौकरी पर चला गया था। वर्तमान में बर्रा में किराए पर कमरा लेकर शिक्षिका बनने की तैयारी कर रही कोमल को जैसे ही पति के बलिदान होने की खबर मिली, बर्रा से बदहवास हालत में वह गांव पहुंची।

कोमल ने बताया कि घटना के करीब आधा पौन घंटे पहले उसकी वीडियो काल पर पति से बात हुई थी। वह बेहद खुश दिखाई पड़ रहे थे। बताया था कि काम से निकलना है, इसके बाद उन्हें पति के बलिदान होने की खबर मिली।

घर के बाहर जुटी ग्रामीणों की भीड़

शैलेंद्र के बलिदान होने की सूचना देर शाम जैसे ही गांव पहुंची तो घर के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई। हर आंख नम थी और लोग शैलेंद्र के बलिदान होने की ही बातें कर रहे थे। पुरवामीर चौकी इंचार्ज अमित कुमार ने घर पहुंचकर स्वजन को सांत्वना दी और दिलासा दिलाया।

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