करीब 23 घंटे तक मनाए जाने के बाद कानपुर देहात के मड़ौली गांव के लोग शव हटाए जाने को राजी हुए। तमाम अधिकारी ग्रामीणों को मनाने की कवायद में जुटे हुए थे लेकिन ग्रामीण अपनी मांग पर डटे हुए थे।
By Jagran NewsEdited By: Nitesh SrivastavaUpdated: Tue, 14 Feb 2023 06:20 PM (IST)
जागरण संवाददाता, कानपुर देहात : रूरा के मड़ौली गांव में कब्जा हटाने के दौरान मां बेटी की जिंदा जलने के मामले में घटना के करीब 23 घंटे के बाद शव उठाया जा सका है। स्वजन की मांग थी कि मुख्यमंत्री को गांव बुलाया जाए व जो आरोपित मुकदमे में नामजद किए जाएं उनकी गिरफ्तारी हो, तभी शव उठने दिया जाएगा। काफी मान मनौव्वल और लेखपाल तथा एसडीएम को हिरासत में लिए जाने के बाद गांव वाले शव हटाए जाने के लिए राजी हुए।
इस शर्त पर तैयार हुआ पीड़ित परिवार
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक से पूरे परिवार की बातचीत के बाद परिवार इस शर्त पर राजीव हुआ कि उनको मुख्यमंत्री से 1 सप्ताह के अंदर भेंट कराई जाएगी शासन स्तर से एक-एक करोड़ की राहत दिलाई जाएगी। पीड़ित परिवार के समर्थन में बजरंग दल, विहिप, कांग्रेस, भीम आर्मी समेत कई संगठन आ गए हैं। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि अधिकारियों से बात की है, किसी भी दोषी को हम बख्शेंगे नहीं। प्रशासनिक अधिकारी हों या पुलिस के अधिकारी हों, कानपुर में झुग्गी झोपड़ी पर जाकर जिन लोगों ने ऐसा काम किया है उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। जांच कमेटी की रिपोर्ट आज मिल जाएगी।
लेखपाल और एसडीएम हिरासत में
दोनों को पुलिस हिरासत में ले लिया गया है। किसी जगह रखा गया है अधिकारी अभी बता नहीं रहे हैं।
मामले को गरमाते देख गांव जाने वाले सभी रास्ते को पुलिस ने रोक दिया है। किसी भी नेता या बाहरी व्यक्ति को गांव में प्रवेश से पहले भरपूर चेकिंग का सामना करना पड़ रहा है। यहां तक कि आम आदमी को भी गांव में प्रवेश नहीं दिया जा रहा है, सभी रास्तों पर पुलिस तैनात है।
कांग्रेस के नेताओं को रोका गया
कानपुर देहात घटना स्थल पर जा रहे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष को उन्नाव के सोहरामऊ थाने में रोका गया है, कानपुर के रेल बाजार में कांग्रेसी नेता राजेश सिंह के घर से जिला अध्यक्ष कानपुर, प्रदेश सचिव वा अन्य एक दर्जन से अधिक कार्यकर्ता कानपुर देहात के लिए कुछ देर में रवाना होंगे।
सपा विधायक को पुलिस ने पकड़ा
दिबियापुर से सपा विधायक प्रदीप यादव कानपुर देहात में हुई घटना मामले में कार्यकर्ताओं के साथ जा रहे थे। इंडियन आयल चौकी समीप हाईवे पर उन्हें पुलिस ने उन्हें रोक लिया। कहासुनी के दौरान वह सड़क पर ही बैठ गए। मामला तूल पकड़ता इससे पहले उन्हें हिरासत में लिया गया। वहीं कार्याकर्ता भी जुटने शुरू हो गए है।
परिवार घर में था लेकिन सूचित किए बना निर्माण गिराने लगे
दिवंगत प्रमिला के बेटे शिवम दीक्षित तहरीर में लिखा कि इस जमीन पर हमारे बाबा निवास करते थे। 14 जनवरी को मैथा एसडीएम, लेखपाल व रूरा एसओ बुलडोजर लेकर बिना किसी सूचना के मकान गिराने आ गए। उस दिन कुछ निर्माण गिराया व 10 से 12 दिन का समय दिया गया कि इसे खुद गिरा लो। इसके बाद हम मवेशी संग कलेक्ट्रेट पहुंचे जहां एडीएम प्रशासन ने सुनवाई नहीं की बल्कि बलवा का मुकदमा लिखवा दिया गया।
इसके बाद सोमवार को यही लोग टीम लेकर आए और विपक्षी अशोक दीक्षित, अनिल दीक्षित, निर्मल, विशाल व बुलडोजर का चालक दीपक सुनियोजित तरीके से आए। परिवार घर में था लेकिन सूचित किए बना निर्माण गिराने लगे। आरोप है कि लेखपाल ने आग लगा दी और एसडीएम ने कहा कि आग लगा दो झोपड़ी में कोई बच न पाए। मुझे भी पीटा गया और एसओ व पुलिसकर्मियों ने आग में फेंकने की कोशिश की। आग से मेरी मां व बहन जलकर मर गईं जबकि पिता झुलस गए।
दिवंगत महिला के बेटे शिवम दीक्षित ने दी घटना की तहरीर
कानपुर देहात में जमीन का कब्जा हटाने गई टीम के सामने मां-बेटी के जिंदा जलकर मरने की घटना पर सपा व कांग्रेस ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। सपा ने ट्वीट किया कि पुलिस प्रशासन ने कानपुर में बलवंत सिंह की हत्या कर दी थी, अब भी प्रशासन निर्दोषों की मौत का कारण बन रहा।
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