Kanpur News: दक्षिण क्षेत्र का बड़ा आर्थिक जोन बनेगा निराला नगर रेलवे मैदान, जमीन देने की औपचारिकता पूरी
कानपुर निराला नगर रेलवे मैदान जल्द ही दक्षिण क्षेत्र का बड़ा आर्थिक जोन बनेगा। विकास की नई कहानी लिखी जाएगी। यहां निर्मित होने वाले शापिंग कांप्लेक्स छोटी-बड़ी दुकानें रेल कर्मियों के लिए आवास और बहुमंजिले भवनों में फ्लैट आदि इसकी वजह बनेंगे जिसकी नींव इसी साल के आखिर तक पड़ जाएगी। इस जमीन को रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) को देने की औपचारिकता रेलवे बोर्ड ने पूरी कर दी है।

जागरण संवाददाता, कानपुर: निराला नगर रेलवे मैदान जल्द ही दक्षिण क्षेत्र का बड़ा आर्थिक जोन बनेगा। विकास की नई कहानी लिखी जाएगी। यहां निर्मित होने वाले शापिंग कांप्लेक्स, छोटी-बड़ी दुकानें, रेल कर्मियों के लिए आवास और बहुमंजिले भवनों में फ्लैट आदि इसकी वजह बनेंगे, जिसकी नींव इसी साल के आखिर तक पड़ जाएगी।
इस जमीन को रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए) को देने की औपचारिकता रेलवे बोर्ड ने पूरी कर दी है। इससे अर्से से खाली और अवैध कब्जों के कारण खत्म हो रही जमीन को संजीवनी मिलेगी। निराला नगर का रेलवे मैदान दक्षिण के बाशिंदों के लिए अनजाना नहीं है।
बीते वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली, व्यापारी व वैश्य सम्मेलन, विहिप के रामोत्सव के बाद और चर्चा में आया। रेल अधिकारी के अनुसार, शहर में रेलवे का तेजी से विकास हो रहा था, तभी अंग्रेज अफसरों व कर्मचारियों को रहने के लिए स्थान की जरूरत थी।
गोविंद नगर रेलवे लाइन के किनारे अंग्रेज अधिकारियों के बंगले थे, जिसे देखते तय हुआ कि आसपास ही जमीन का अधिग्रहण कर कर्मचारियों के लिए कालोनी विकसित की जाएं, जिसके बाद ये मैदान अस्तित्व में आया।
हलुआ खाड़ा व गड़रियनपुरवा के बीच की जमीन
हलुआ खाड़ा और गड़रियनपुरवा गांव के बीच की यह जमीन है। इसको तब के जमींदार और काश्तकारों से लेकर रेलवे को दिया गया। इस जमीन का एक बड़ा हिस्सा विदेशी बबूल और झाड़ियों से घिरा है। विदेशी बबूल इसलिए लगाए गए कि कोई अतिक्रमण न कर सके।
फ्लैट, दुकानें बेचेगा रेलवे
निराला नगर रेलवे मैदान में शापिंग कांप्लेक्स, छोटी-बड़ी दुकानें व फ्लैट आदि बनाने के बाद इन्हें निविदा निकालकर बेचा जाएगा। एक निर्धारित दर के बाद बोली के आधार पर बिक्री की जाएगी। इसके लिए भी कार्ययोजना बनाई जा रही है।
किराये पर मिलता था मैदान
रेल अधिकारी बताते हैं, मैदान में सामाजिक क्रियाकलाप, प्रशासनिक कार्यक्रम और सर्कस के लिए अभी तक इसे किराये पर दिया जा रहा है। राजनीतिक कार्यक्रमों, समारोह, कथा-प्रवचन व अन्य निजी कार्यक्रम के लिए भी अलग-अलग दरें निर्धारित थीं। रेलवे का इंजीनियरिंग विभाग आवेदन व ब्योरा मिलने पर मंडल रेल प्रबंधक को उसे भेजकर अनुमति दिलाता था।
और भी जमीनें की जा रहीं चिह्नित
रेलवे की शहर में और भी कई जमीनें खाली पड़ी हैं। इनको भी चिह्नित किए जाने का काम चल रहा है। इंजीनियरिंग विभाग इसे लेकर पड़ताल में जुटा है।
कानपुर सेंट्रल स्टेशन के निदेशक आशुतोष सिंह के अनुसार, रेलवे बोर्ड से मैदान आरएलडीए को हस्तांतरित कर दिया गया है। इसके विकास के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही। इसी साल के अंत तक काम शुरू होने की उम्मीद है।
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