कानपुर में अखिलेश दुबे के सीओ से लेकर केडीए अधिकारी तक करीबी, इस वजह से थे संपर्क में
कानपुर में अधिवक्ता अखिलेश दुबे के करीबियों पर एसआईटी का शिकंजा कसता जा रहा है। जाँच में तीन सीओ एक इंस्पेक्टर और केडीए के दो अधिकारियों के नाम सामने आए हैं जिनसे पूछताछ की जाएगी। पुलिस आयुक्त के अनुसार एसआईटी को कई शिकायतें मिली हैं। अधिकारियों का कहना है कि वे अधिवक्ता अखिलेश दुबे से विधिक राय लेने जाते थे।
जागरण संवाददाता, कानपुर। अधिवक्ता अखिलेश दुबे का एक के बाद एक राजफाश हो रहा है। उसके करीबियों में पुलिस से लेकर केडीए के अधिकारी तक शामिल हैं। एसआइटी को तीन सीओ, एक इंस्पेक्टर और केडीए के दो अधिकारियों के नाम मिले हैं। सभी अखिलेश दुबे के काफी करीबी बताए जा रहे हैं।
आपरेशन महाकाल में आई शिकायतों की जांच भी एसआइटी कर रही है। पुलिस आयुक्त के स्टाफ आफिसर राजेश पांडेय ने बताया कि एसआइटी के पास अभी कई शिकायतें हैं, जिनकी जांच चल रही है। इन्हीं जांच में अखिलेश दुबे गैंग से जुड़े कुछ पुलिस व केडीए अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। इनमें लखनऊ में तैनात सीओ विकास पांडेय, हरदोई में तैनात सीओ संतोष सिंह, मैनपुरी में तैनात सीओ ऋषिकांत शुक्ला, पुलिस आयुक्त कार्यालय में जन शिकायत प्रकोष्ठ में रह चुके इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी, केडीए के पूर्व उपाध्यक्ष के पीआरओ रहे महेंद्र सोलंकी, वर्तमान उपाध्यक्ष के पीआरओ कश्यपकांत दुबे हैं। इन सभी से पूछताछ कर बयान दर्ज होने हैं। उसके बाद जांच पूरी की जाएगी और मुकदमे के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
नोटिस भेजा जा रहा
जिन शिकायतों की जांच एसआइटी कर रही है, उसमें कुछ नाम सामने आ रहे हैं। इसमें तीन सीओ, एक इंस्पेक्टर और दो दूसरे विभाग के अधिकारी हैं। उन सभी के बयान के लिए उन्हें नोटिस भेजा जा रहा है।
अखिल कुमार, पुलिस आयुक्त
अधिवक्ता अखिलेश दुबे से लेने जाते थे विधिक राय
एसआइटी की जांच के घेरे में आए पुलिस अधिकारियों का पक्ष जानने के लिए दैनिक जागरण संवाददाता ने फोन किया तो सभी ने एक ही बात कही कि अखिलेश दुबे अधिवक्ता हैं और उनसे विधिक राय लेने जाते थे। ऐसे में सवाल यह है कि पुलिस अधिकारी अभियोजन को छोड़ अधिवक्ता अखिलेश दुबे से ही क्यों विधिक राय लेते थे। वहीं, मामले में पांच लोगों ने जवाब दिए, जबकि एक इंस्पेक्टर आशीष द्विवेदी ने फोन नहीं उठाया और न ही मैसेज का कोई जवाब दिया।
वर्ष 2020 में कानपुर तबादला हुआ। पहली बार अधिकारियों के निर्देश पर अधिवक्ता अखिलेश दुबे के पास संजीत हत्याकांड में विधिक राय लेने गए थे। बिकरू कांड में भी उनके पास गए थे। इसके अलावा अखिलेश दुबे से कोई लेना-देना नहीं है। बाकी जो भी नोटिस आएगी, उसका जवाब दिया जाएगा।
-विकास पांडेय, सीओ, लखनऊ
मेरा अखिलेश दुबे से कोई व्यापारिक संबंध नहीं है। मुझ पर क्या आरोप लगाए गए हैं ये नोटिस मिलने पर पता चलेगा। जब कानपुर में था तो विधिक राय लेने जाता था। फिलहाल, मैं पिछले 10 साल से कानपुर में ही नहीं हूं।
-ऋषिकांत शुक्ला, सीओ मैनपुरी
जब कानपुर में थे तो विधिक राय लेने अखिलेश दुबे के पास जाते थे। बिकरू कांड हो या फिर कोई और प्रकरण। मैं ही नहीं शहर के कई अन्य लोग भी जाते थे। अधिवक्ता से विधिक राय तो ले ही सकते हैं। इसमें समस्या क्या है। बाकी नोटिस मिलने पर आगे पता चलेगा।
-संतोष सिंह, सीओ, हरदोई
मेरे पास कोई नोटिस नहीं आई है और न ही मेरा अखिलेश दुबे से कोई लेना देना है। आठ साल से तो मैं बस्ती जिले में हूं। अगर नोटिस आती है और एसआइटी पूछताछ करती है तो जवाब दिया जाएगा।
-महेंद्र सोलंकी, केडीए वीसी के पूर्व पीए (वर्तमान में बस्ती में तैनात)
मेरे पास नोटिस के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मुझे क्यों बुलाया है, इसका पता नहीं है। जब बुलाया जाएगा तो जाएंगे और जो पूछेंगे उसके बारे में बताएंगे।
-कश्यपकांत दुबे, केडीए वीसी के पीए
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