Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Kanpur: चकेरी और महाराजपुर क्षेत्र में जीटी रोड के दोनों तरफ बने ट्रामा सेंटर, मरीजों की जान से कर रहे खिलवाड़

कानपुर के चकेरी और महाराजपुर क्षेत्र में जीटी रोड के दोनों तरफ ट्रामा सेंटर तने खड़े हैं। स्वास्थ्य महकमा निजी क्षेत्र में ट्रामा सेंटर के संचालन से इन्कार करता रहता है। संसाधन और सुविधाएं भी नहीं है। मरीज की जिंदगी बचाने का ड्रामा चल रहा है।

By Jagran NewsEdited By: Nitesh MishraUpdated: Fri, 21 Oct 2022 05:35 PM (IST)
Hero Image
कानपुर के अस्पतालों में मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़।

कानपुर, जागरण संवाददाता। जीटी रोड पर रामादेवी चौराहा स्थित सीएमओ कार्यालय से रूमा तक पांच किलोमीटर में दोनों तरफ मानक विहीन ट्रामा सेंटर चल रहे हैं, जहां पर न तो रैंप हैं और न ही एंबुलेंस। वहां सुविधाएं-संसाधन भी नहीं हैं। फिर भी हादसों के घायलों के इलाज का ड्रामा करते हैं।

संचालक मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं, जबकि स्वास्थ्य महकमा निजी क्षेत्र में किसी भी ट्रामा सेंटर के संचालन से इन्कार करता है। चकेरी और महाराजपुर क्षेत्र में गुरुवार को दैनिक जागरण टीम की पड़ताल में जीटी रोड के दोनों तरफ ट्रामा सेंटर तने खड़े थे और स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदारों के झूठ की पोल खोल रहे थे।

ट्रामा के इलाज का दावा पर आइसीयू नहीं

रामादेवी चौराहे से रूमा की तरफ बढ़ने पर चकेरी चुंगी के निकट यशी हास्पिटल एवं ट्रामा सेंटर है। जहां कोई डाक्टर नहीं था, न प्रशिक्षित कर्मचारी थे। हादसे में घायलों के आने पर ही आर्थोपेडिक सर्जन बुलाते हैं। एमबीबीएस डाक्टर हैं लेकिन उन्हें फिजीशियन बताते हैं। ट्रामा के मरीजों का इलाज तो यहां होता है लेकिन आइसीयू की सुविधा नहीं है।

इलाज के दावे बड़े पर डाक्टर नहीं मिले

वहां से रूमा की तरफ बढ़ने पर केयर हास्पिटल एंड ट्रामा सेंटर दिखाई पड़ गया। अंदर जाकर घायल के इलाज के लिए बात की तो पता चला कोई डाक्टर नहीं है। दो कर्मचारी में से एक ने एंबुलेंस चालक का नंबर पकड़ाते हुए कहा कि बात करके मरीज को ले आओ। आने पर हड्डी के डाक्टर को बुलाएंगे। वहां एल्युमिनियम के पार्टीशन से छोटे केबिन थे, जिन्हें वार्ड व आइसीयू बता रहे थे।

सवाल-जवाब मत करो, मरीज लाओ

रूमा से चकेरी की तरफ अहिरवां चौकी के निकट न्यू खुशी हास्पिटल सर्जिकल एंड ट्रामा सेंटर दूसरी मंजिल पर चल रहा था। वहां रैंप नहीं था। सीढ़ियों से चढ़ते हुए ऊपर पहुंचे। कर्मचारियों से घायल रिश्तेदार को सीएचसी सरसौल से लाने के लिए बात की तो बोले, एंबुलेंस से ले आओ, तब तक डाक्टर को बुलाते हैं। ऊपर कैसे लाएंगे पूछने पर कहने लगा सवाल-जवाब मत करो। मरीज को ऊपर तक लाना मेरा काम है। वहां सुविधा नहीं थी। सिर्फ दो-तीन बेड पड़े थे।

दावे तमाम पर सुविधाएं धड़ाम

अहिरवां में ही दर्शन हास्पिटल एवं ट्रामा सेंटर दिखा तो रुक गए। उसके बाहर शहर के नामचीन डाक्टरों के बोर्ड लगे थे। हादसे में घायलों के इलाज, आपरेशन से लेकर आइसीयू की सुविधाओं के दावे थे। अंदर जाने पर कर्मचारी मिला, उससे पूछा डाक्टर मिलेंगे। कहने लगा कि नहीं हैं। गलियारे से अंदर जाकर देखा तो बेड पड़े थे। सुविधाएं नहीं थीं।

हर तरफ डाक्टरों के नाम की एक ही सूची

शहर के कल्याणपुर, पनकी, बर्रा, नौबस्ता, हंसपुरम से लेकर रामादेवी, अहिरवां और रूमा तक डाक्टरों के नाम की सूची एक ही तरह की मिली। उसमें उन नामचीन डाक्टरों के नाम थे, जो शहर के अधिकतर अस्पतालों में नजर आते हैं। इस पर महकमे के अधिकारियों का ध्यान नहीं जाता है।

घायलों की जान से खिलवाड़ की अनुमति किसी को भी नहीं है। बिना अनुमति और लाइसेंस के अवैध रूप से संचालित ट्रामा सेंटर संचालकों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है। ऐसे ट्रामा सेंटर जिन क्षेत्रों में चल रहे होंगे, उस थाने की पुलिस से मदद ली जाएगी। उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएंगे और उनका लाइसेंस भी निरस्त होगा।- डा. सुबोध प्रकाश, नोडल अफसर नर्सिंगहोम एवं एसीएमओ। 

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें