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'मासूमों की चीत्कार और मौत का मंजर देख कांप उठी आत्मा', हाथरस हादसे में सुरक्षि‍त बचे भक्‍तों ने बताई आंखों देखी

कानपुर के बिधनू कठुई गांव से हाथरस सत्संग में शामिल होने गए बाबा के भक्तों ने हादसे का दर्दनाक मंजर बयां क‍िया है। ये लोग सड़क किनारे खड़े होकर पूरा मंजर देखते रहे चाहकर भी किसी की मदद नहीं कर सके। घटना के बाद जाम के हालात बनने की वजह से घूमते हुए उनकी बस गुरुवार सुबह घर लौट सकी। अपनों के सुरक्षित घर लौटने पर स्वजन फफक पड़े।

By Jagran News Edited By: Vinay Saxena Published: Thu, 04 Jul 2024 02:57 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2024 02:57 PM (IST)
हाथरस में हादसे के बाद घटनास्‍थल का दृश्‍य।

संवाद सहयोगी, बिधनू। खुद की जान बचाने के लिए मासूम बच्चों व बुजुर्गों को रौंदते हुए भाग रही थी भीड़। पैरों के नीचे दबे मासूमों की चीत्कार सुनने के साथ मौत का मंजर देख हाथ-पैरों के साथ आत्मा कांप उठी थी। इस ह्रदयविदारक दृश्य को बिधनू कठुई गांव से हाथरस सत्संग में शामिल होने गए बाबा के भक्तों ने बयां क‍िया है।

उन्होंने बताया कि उनके साथ क्षेत्र के 70 पुरुष-महिलाएं थीं। महिलाएं आरती के तुरंत बाद बस पर आ गई थीं और वो लोग भी सत्संग स्थल के बाहर सड़क किनारे पहुंच ही पाए थे कि भगदड़ मच गई। नजारा देख उन लोगों के पैर वहीं रुक गए। सड़क किनारे खड़े होकर उन लोगों ने पूरा मंजर देखा, चाहकर भी किसी की मदद नहीं कर सके। घटना के बाद जाम के हालात बनने की वजह से घूमते हुए उनकी बस गुरुवार सुबह घर लौट सकी। अपनों के सुरक्षित घर लौटने पर स्वजन फफक पड़े।

बस से हाथरस गए थे लोग

बिधनू विकास खंड से गांव कठुई, हाजीपुर, ढहरीपुरवा और अफजलपुर से 70 पुरुष व महिलाएं दो जुलाई की सुबह बस से हाथरस स्थित सत्संग स्थल पहुंचे थे। कठुई निवासी ग्राम प्रधान पूनम कुशवाह संग गांव की नीलम, विनीता, रामू, धर्मेंद्र कुशवाहा और विनोद सिंह समेत करीब 20 लोग भी सत्संग में शामिल होने गए हुए थे।

एक छोर पर खड़े होकर सत्संग सुनते रहे 

विनोद ने बताया कि सत्संग स्थल पर क्षमता से ज्यादा भीड़ थी, जिसकी वजह से वह लोग पंडाल के एक छोर पर ही खड़े होकर सत्संग सुनते रहे। दोपहर को सत्संग समापन से पहले ही हुई आरती के बाद उन्होंने सभी साथी महिला भक्तों से बस पर जाने को बोल दिया। सभी महिलाएं सुरक्षित बस पर पहुंच गई। इसके बाद बाबा नारायण साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा ने जयघोष कराकर मंच छोड़ दिया। इसके बाद वह लोग भी पंडाल से हटकर सत्संग स्थल के पास से निकली सड़क तक ही पहुंचे थे कि रंगोली बनाने के लिए भोले बाबा की धूल लेने के लिए अचानक भगदड़ मच गई।

अन‍ियंत्र‍ित हुई भीड़, बच्‍चों को रौंदकर भागने लगे लोग   

देखते ही देखते भीड़ अनियंत्रित हो गई, जिसमें मासूम बच्चे समेत बुजुर्ग, महिलाएं और पुरुष गिर गए और उन्‍हें हजारों लोग रौंदते हुए भागने लगे। अपनों को बचाने के लिए लोग एक दूसरे को गिराने लगे। जो गिरा फिर उठ नहीं सका। कुछ महिलाओं के हाथ से मासूम बच्चे छूटकर जमीन पर गिर गए। अनियंत्रित हुई भीड़ खुद की जान बचाने के लिए मासूमों के सिर पर पैर रखकर निकल गई। देखते-देखते सैकड़ों लोग भीड़ के पैरों तले कराहते हुए चीत्कार मारने लगे। यह मंजर देख वो लोग जहां थे वहीं खड़े हो गए। उन लोगों के भी हाथ-पैर के साथ ह्रदय कांपने लगा।

दो घंटे बाद भयावह था मंजर  

करीब दो घंटे बाद मैदान पर भीड़ की जगह सैकड़ों की संख्या में कीचड़ से सने घायल लोगों के साथ मासूम, बुजुर्गों और महिलाओं के शव दिखाई देने लगे। मौके पर पहुंचे शासन प्रसाशन ने बचाव राहत शुरू किया। इस दौरान किसी प्रकार वो लोग एक दूसरे को संभालते हुए बस पर पहुंचे। चारों तरफ जाम स्थिति बनने की वजह से उनकी बस रुकते घूमते गुरुवार को घर लौट सकी।


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