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क्या किसी काफिर को मार सकते हो? पाकिस्तानी आकाओं ने आतंकियों से पूछा, फिर रची थी कानपुर में हत्या की साजिश

UP News कानपुर में रमेश बाबू शुक्ला हत्याकांड की साजिश पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं ने रची थी। जिहादी सोच और डर फैलाने के लिए हिंदू को निशाना बनाया गया। पाकिस्तान में बैठे इन आकाओं ने पहले आतंकियों को ऑनलाइन ट्रेनिंग दी। इसके बाद इस हत्या की साजिश को रचा गया। आसिफ और मो. फैसल ने इन्ही आकाओं के इशारे पर एक गैर मुस्लिम को निशाना बनाया।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Fri, 15 Sep 2023 10:28 AM (IST)
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मेश बाबू शुक्ला हत्याकांड मामले में इस्लामिक स्टेट के दो आतंकियों को फांसी की सजा

कानपुर, जागरण संवाददाता। कानपुर में रमेश बाबू शुक्ला हत्याकांड मामले में इस्लामिक स्टेट के दो आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई गई। ये मामला साल 2016 का था। एक टीचर की आतंकियों ने हाथ में कलावा, माथे पर तिलक की हिंदू पहचान देख कर हत्या की थी। इस हत्या के पीछे साजिश रची थी पाकिस्तान में बैठे आतंक के आकाओं ने। भारत में आईएसआईएस की जिहादी सोच और डर का माहौल बनाने के लिए रमेश बाबू शुक्ला को गोली मारी गई थी।

इस मामले में कोर्ट ने दोनों आतंकियों से जुड़े जो राज सामने आए हैं, उससे ये पता चलता है कि किस तरह पाकिस्तान में बैठे आतंकियों का आका देश में साजिश रचते हैं। देश के युवाओं को बरगला कर उन्हें बंदूक थामने पर विवश करते हैं। रमेश बाबू शुक्ला हत्याकांड में भी इसी आतंकी साजिश के तार निकलकर सामने आए। आतंकियों का यह गिरोह पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से ऑनलाइन ट्रेनिंग लेता था।

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पाक में बैठे आकाओं से लेते थे ऑनलाइन ट्रेनिंग

जाजमऊ के रहने वाले दोनों आतंकियों आसिफ और मो. फैसल का साथी रहा सैफुल्लाह सात मार्च, 2017 को लखनऊ के ठाकुरगंज में मुठभेड़ में मारा गया था। उस समय 12 घंटे चली मुठभेड़ में एटीएस का नेतृत्व तत्कालीन आईजी असीम अरुण कर रहे थे। आतंकियों को सजा सुनाए जाने के बाद पूर्व आईपीएस और वर्तमान में राज्य मंत्री असीम अरुण ने दैनिक जागरण को बताया कि आतंकियों का यह गिरोह पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से ऑनलाइन ट्रेनिंग लेता था। इसके बाद ये लोग गोली और बम चलाने के वीडियो और फोटो पाकिस्तान भेजते थे।

क्या किसी काफिर को मार सकते हो...

आतंकियों ने पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं को फोन कर बताया कि उन्हें पिस्तौल से गोलीबारी और बम चलाना आ गया है, तो उधर से जवाब आया कि क्या किसी काफिर को मार सकते हो। इसके बाद इन आतंकियों ने गैर मुस्लिम समुदाय के किसी व्यक्ति की हत्या की योजना बनाई।

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इस दौरान, सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य रमेश बाबू के हाथों में कलावा और माथे पर टीका लगा देखा तो उनके गैर मुस्लिम व्यक्ति होने का विश्वास हो गया। पहले उनका नाम पूछा और जैसे ही पता चला कि वह ब्राह्मण हैं आतंकियों ने उन्हें गोली मार दी।

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