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Sabarmati Train Accident: हादसे में नहीं मिला षड्यंत्र का सुराग, अब खूंटियों ने बदली जांच की दिशा

उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुए साबरमती रेल हादसे में षड्यंत्र की साजिश का दावा कमजोर पड़ रहा है। लखनऊ से फारेंसिक टीम ने घटनास्थल का मुआयना किया लेकिन साजिश को कोई सुराग नहीं मिला। वहीं पुलिस जांच अब हादसे की ओर बढ़ गई है। वहीं ट्रैक के किनारे गाड़ी जाने वाली रेलवे खूंटी ने भी जांच को उलझाया हुआ है।

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Wed, 21 Aug 2024 02:07 AM (IST)
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घटनास्थल पर रेलवे ट्रैक की जांच करती एफएसएल की टीम। जागरण
जागरण संवाददाता, कानपुर। साबरमती एक्सप्रेस के पटरी से उतरने को षड्यंत्र बताने वाले रेलवे की यह थ्योरी कमजोर पड़ती दिख रही है। मंगलवार को लखनऊ से आई फारेंसिक टीम ने घटनास्थल पर तीन घंटे तक बरामद पटरी का टुकड़ा क्लैंप की मदद से रेल की पटरी से बांधने की कोशिश करती रही, लेकिन सफलता नहीं मिली। 

टीम ने रेलवे कर्मचारियों से सवाल किए। जो तथ्य निकल कर सामने आए हैं, उससे षड्यंत्र की आशंका से इतर अब पुलिस जांच दुर्घटना की ओर बढ़ रही है। 

गोविंदपुरी और भीमसेन के बीच पनकी औद्योगिक क्षेत्र में शुक्रवार देर रात करीब ढाई बजे साबरमती एक्सप्रेस के इंजन समेत 21 कोच पटरी से उतर गए थे। घटनास्थल से मिले तीन फीट लंबे पटरी के टुकड़े और क्लैंप को आधार बनाकर रेलवे की ओर से कहा गया कि हादसा षड्यंत्र के कारण हो सकता है। 

दावा किया कि षड्यंत्र के तहत रेल पटरी के टुकड़े को क्लैंप से पटरी में बांधा ताकि ट्रेन को पलटाया जा सके। मंगलवार फारेंसिक टीम अप निदेशक डा. सुधीर कुमार झा के नेतृत्व में घटनास्थल पर पहुंची। टीम पटरी के उस टुकड़े व क्लैंप को साथ लाई थी जिससे ट्रेन को पलटाए जाने आशंका रेलवे द्वारा व्यक्त की गई थी। 

ट्रैक से बांधा नहीं जा सका पटरी का टुकड़ा

टीम ने करीब एक घंटे तक कोशिश की, लेकिन क्लैंप की मदद से पटरी के टुकड़े को ट्रैक से बांधा नहीं जा सका। इसी बीच बारिश शुरू हो गई। बारिश बंद होने के बाद टीम दोपहर बाद चार बजे दोबारा घटनास्थल पर पहुंची। उसके बाद टीम ने वही प्रक्रिया दोहराई, मगर किसी भी एंगल से उस टुकड़े को रेल ट्रैक से बांधा नहीं जा सका।

चूंकि, क्लैंप का एक हिस्सा टूटा हुआ है, इसलिए पटरी का टुकड़ा जरा सा झटका लगते ही हट जा रहा था। फोरेंसिक अधिकारियों ने यही निष्कर्ष निकाला कि ट्रेन को पलटाने के लिए पटरी का टुकड़ा बांधे जाने की थ्योरी सही नहीं है। 

रेल ट्रैक की खूंटी ने उलझाई जांच 

पुलिस को रेल ट्रैक के किनारे गड़ी लोहे की खूंटी ने भी उलझा दिया। दरअसल ट्रैक के किनारे रेलवे खूंटी गाड़ता है। इनका काम ट्रैक के एलाइनमेंट को जांचना होता है। गर्मी और सर्दी में रेल पटरी फैलती व सिकुड़ती है। ट्रेन के वजन से रेल ट्रैक धंसता भी है। 

एक रेलकर्मी ने बताया कि खूंटियों की मदद देखा जाता है कि रेल की पटरी का विचलन कितना हुआ है। खास बात यह है कि जो पटरी का टुकड़ा मिला, उसके आकार और पेंटिंग से साफ है कि वह खूंटी ही है और क्लैंप भी रेल ट्रैक की मदद के लिए लगाए जाते हैं। एलाइनमेंट देखने के लिए हर एक किमी पर 14 खूंटियां गाड़ी जाती हैं।

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