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लोग ताने मारते थे… परिवार का नाम डुबाइ देहौ… आज वही मेरे लिए तालियां बजाते हैं: कपिल कनपुरिया

उसे गुमां है कि मेरी उड़ान कुछ कम है मुझे यकीं है कि ये आसमान कुछ कम है। कानपुर के केशवपुरम के रहने वाले वीडियो क्रिएटर कपिल कनपुरिया के जीवन का यही फलसफा है। अपने वीडियो से लोगों को गुदगुदाने वाले अभिनेता और कंटेंट राइटर कपिल के आज इंटरनेट मीडिया पर साढ़े छह लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। पढ़िए कपिल कनपुरिया की जुबानी उनकी सफलता की कहानी…

By Jagran News Edited By: Shivam Yadav Updated: Mon, 01 Jan 2024 08:15 PM (IST)
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लोग ताने मारते थे… परिवार का नाम डुबाइ देहौ…
हिमांशु द्विवेदी, कानपुर। उसे गुमां है कि मेरी उड़ान कुछ कम है, मुझे यकीं है कि ये आसमान कुछ कम है। कानपुर के केशवपुरम के रहने वाले वीडियो क्रिएटर कपिल कनपुरिया के जीवन का यही फलसफा है। अपने वीडियो से लोगों को गुदगुदाने वाले अभिनेता और कंटेंट राइटर कपिल के आज इंटरनेट मीडिया पर साढ़े छह लाख से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। 

उनके वीडियो में कानपुरिया अंदाज, यहां के रहन सहन, अनूठी बोली और व्यवहार की झलक दिखती है। जो भी वीडियो देखता है ठहाके लगाए बिना नहीं रह सकता। हालांकि, आज वह जिस मुकाम पर हैं, वहां तक पहुंचना आसान नहीं था। तमाम ताने सहे और संघर्षों में तपे। नतीजा यह है कि जो पहले उन्हें गालियां देते थे… आज वही उनके काम पर तालियां बजाते हैं। 

पढ़िए, कपिल कनपुरिया की जुबानी उनकी सफलता की कहानी…

मैं कपिल कनपुरिया... केशवपुरम का रहने वाला हूं। बचपन से एक्टिंग का शौक था। हाईस्कूल तक पहुंचते पहुंचते ये शौक जुनून बन गया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने लगा। साल 2007 में भागकर मुंबई पहुंच गया। इसके चक्कर में इंटर में फेल हो गया।

पिताजी (कृष्ण कुमार शुक्ला) प्राइवेट नौकरी करते थे और चाहते थे कि बस बिटवा को कौनो तरह सरकारी नौकरी मिल जाए। रिश्तेदार और आस-पड़ोस वाले ताने मारने लगे कि ई का करि रहे हौ… इहमां कुछौ नाईं रखा है। परिवार का नाम डुबाइ देहौ। 

मम्मी-पापा बहुत समझाए तो हम घर लौटे और बीए से लेकर एमबीए तक की डिग्री हासिल की। साल 2013 में दिल्ली की एक कंपनी में अकाउंट ऑफिसर की नौकरी मिल गई। 

काम करते रहे लेकिन अंदर का अभिनेता जिंदा था। नौकरी के साथ नुक्कड़ नाटक करने लगे। एक दिन बॉस ने कह दिया कि नौकरी कर लो या तो नुक्कड़ नाटक। इस ताने के बाद हमने नौकरी छोड़ दी और दूसरी कंपनी में पहुंच गए। 

साल 2015-16 में कुछ वेब सीरीज में काम मिला, जिसे सराहा भी गया। हालांकि, सफलता अभी बहुत दूर थी। इस कश्मकश के बीच 2020 में कोरोना आया और दुनिया ठहर सी गई। अपने घर कानपुर लौट आया। 

वर्क फ्रॉम होम के बीच एक ऑडियो एप पर मिमिक्री करने लगा। साल 2021 में अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ मिलकर छोटे-छोटे वीडियो बनाने लगा, लेकिन लोगों ने ज्यादा पसंद नहीं किया। इसकी वजह थी कि उसमें हम ही मम्मी, पापा और पत्नी का रोल करते थे। धीरे-धीरे दोस्त और रिश्तेदार भी अपने काम में व्यस्त हो गए।

'अम्मा को एक्टिंग के लिए मनाने में बेलने पड़े पापड़'

एक दिन हमने सोचा क्यों न अपनी अम्मा (पुष्पा शुक्ला) और पत्नी (कीर्ति शुक्ला) को ही वीडियो का हिस्सा बनाया जाए लेकिन अम्मा को मनाने में बहुत पापड़ बेलने लगे। उनसे बात की तो बोलीं...अब ई उमर मां इहे करै का रहि गा है। हमसे न हो पाई। बहुत मनाए-समझाए तो वह मान गईं लेकिन अब उनको एक्टिंग सिखाने की चुनौती थी। 

खैर, अम्मा उसमें भी आगे निकलीं। अगस्त 2021 में सावन के पहले दिन भोलेनाथ के दर्शन कर नए सिरे से पहला वीडियो बनाया, जिसे लोगों ने खूब प्यार दिया। मैं अपने वीडियो की स्क्रिप्ट खुद लिखता हूं। फिर मां और पत्नी के साथ रिहर्सल के बाद वीडियो शूट करता हूं। इस तरह, एक वीडियो तैयार करने में पांच से छह दिन का समय लगता है। 

आज इंस्टाग्राम पर वीडियो अपलोड करता हूं तो उसे चंद घंटों में ही लाखों लोग देख लेते हैं और सराहते भी हैं। लोगों से मिलने वाली सराहना ही मेरी सबसे बड़ी पूंजी है। समय ऐसा बदला कि जो पहले ताने मारते थे वही अब मेरे लिए तालियां बजाते हैं।

दोस्त से पैसे कैसे वापस लें… के वीडियो से मिली पहचान

पिछले साल 2022 में एक वीडियो बनाया, जिसकी थीम थी...दोस्त से पैसे कैसे वापस पाएं। इस वीडियो ने तहलका मचा दिया। तीन करोड़ से ज्यादा लोगों ने उस वीडियो को देखा। इसके बाद तो मानों गाड़ी चल पड़ी। लोगों ने खूब प्यार बरसाया जिसका सिलसिला आज भी जारी है।

मेरे कनपुरिया लहजे का लोग उड़ाते थे मजाक

अपनी कनपुरिया भाषा का मैं हमेशा कद्रदान रहा हूं। गुरुग्राम और दिल्ली में जब नौकरी करने गया तो वहां कानपुर के कई और दोस्त भी थे, लेकिन वे कनपुरिया लहजे में कभी बात नहीं करते थे। मैं कनपुरिया बोली में बात करता तो लोग मेरी भाषा का मजाक उड़ाते थे, लेकिन मेरा मानना था कि यह मेरी असली पहचान है और कलाकार होने के नाते अपनी पहचान को मिटने नहीं देना चाहिए। 

वीडियो बनाने से पहले मैंने ठान लिया कि इसी के जरिये अपनी बोली और भाषा को पहचान दिलाऊंगा। यही वजह है कि मैं अपनी हर वीडियो में कनपुरिया अंदाज में ही बात करता हूं। आज यही मेरी पहचान बन गई है।

गाली-गलौज वाले कंटेंट कभी नहीं करूंगा'

आज के डिजिटल दौर में गाली-गलौज वाले कंटेंट की बाढ़ आई हुई है, लेकिन मेरा प्रण है कि इनसे दूर ही रहूंगा। शराब और गुटखे के विज्ञापन भी खूब मिले, लेकिन मना कर दिया। वीडियो में मां और पत्नी हैं तो वैसे भी ऐसी गलतियों के लिए जगह नहीं बचती। मनोज बाजपेयी और पंकज त्रिपाठी मेरे आदर्श हैं और उन्हीं की तरह रियलिस्टिक सिनेमा करना चाहता हूं।

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